बात बिगड़ी कि फिर न राहत मिली।
दोनों के दिलों को कड़वाहट मिली।
चले गए थे छोड़ कर वो दूर इतना
दिल को बहुत ही घबराहट मिली।
उनका दिल मचल रहा मिलने को
हवाओं में ये सुगबुगाहट मिली।
दरिया दिल बढ़ा समुन्दर की ओर
हर बढ़ते कदम की आहट मिली।
जैसे जैसे वक्त पास आता गया
जल्दी मिलने की उकताहट मिली।
फूलों से दिल खिल उठे चमन में
मोहब्बत की खोई बादशाहत मिली।
उस लमहे को कैसे बयां करूँ एसडी
दोनों होठों पर जो मुस्कराहट मिली।
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