हाइकू मानो
लिखना व पढ़ना
एक व्यसन
वापस चले
खग अपने देश
बदली ऋतु
उड़ जाते हैं
पंछी सीमा के पार
बिना वीसा के
हे कबूतर
सजनी को दे आना
मेरी ये चिट्ठी
चिड़ियाघर
उड़ने को व्याकुल
उदास पंछी
कागा बोलता
बैठे मुंडेर पर
वो जोहे वाट
कोयल बोली
सुबह तो हो गयी
अब उठो भी
बिना डर के
तार पे बैठे पक्षी
उच्च वोल्टेज
रोता रहता
पिंजरे में हो बंद
पक्षी का दिल
वर्षा आते ही
पुरजोर प्रारम्भ
नीड निर्माण
खम्भे पे बैठे
सुख दुःख क़ी बातें
पक्षी का जोड़ा
मैं बैठा नीचे
चिड़िया डाल पर
पेड़ क़ी छाँव
हम बनाते
वृक्ष काट मकान
पक्षी बेघर
उड़ता तो है
पर गा नहीं पाता
हवाई यान
पेड़ पे बैठा
पक्षी देखता बस्ती
बाढ़ में डूबी
जन में जागा
उड़ने का सपना
पक्षी को देख
पंख होते तो
उड़ के चली आती
मन क़ी सोच
गधा न होता
सर पर ही ढोता
आदमी बोझ
दौड़ा रे दौड़ा
दुम उठा के दौड़ा
रेस का घोडा
लड़ते तो है
युद्ध नहीं करते
कभी भी पशु
बिना लगाम
दौड़ा रही घोड़े को
कुकुरमक्खी
हत्या करता
पर लोग कहते
शेर को राजा
पशु समान
संवेदन विहीन
नर या नारी
पृथक होते
विवेक के कारण
व्यक्ति व पशु
विस्वासपात्र
मित्रों से भी अधिक
पालतू कुत्ता
पूंछ होते भी
उघार ही घूमता
आवारा कुत्ता
रखता ऊंट
अपनी पीठ पर
पानी का घूँट
नाक नकेल
बेशक बिगड़ैल
काबू में ऊंट
कर न पाएं
अच्छे अच्छे भी सीधी
कुत्ते की दुम
कौवा हेरता
बैठ कर किलनी
भैंस की पीठ
जीने का हक़
पशु को भी उतना
हमें जितना
पशु से होगा
यदि कोई निर्दय
सबसे होगा
रोते रहते
पशु बिना आवाज
चिड़ियाघर
नहीं खिलाता
कमा कर इंसान
पशु का खाता
वन दोहन
मनुष्य के हितार्थ
पशु बेघर
मानव स्वार्थ
प्रकृति को आघात
पशु का वध
बेजुबान हैं
पशु बेदर्द नहीं
दया के पात्र
बुद्धि के नाते
है मानव का धर्म
पशु की रक्षा
उनके साथ
हम न बने पशु
वे हैं ही पशु
पृथ्वी की छटा
जरा करो कल्पना
पशु के बिना
दूध भी छीनो
व गाय के प्राण भी
कहाँ का न्याय
तीनो बन्दर
जंगल भाग गए
गांधी बाबा के
सांप ने छीना
फिरता मारा मारा
चूहा बेघर
सामान घर
लखनऊ स्टेशन
बैग में छेद
नही सिखाई
पेड़ पर चढ़ना
बाघ को बिल्ली
भू के अंदर
बन रहा बिल में
चूहे का घर
मूक हो गए
पतझड़ आने पे
वाचाल वृक्ष
लिखना व पढ़ना
एक व्यसन
वापस चले
खग अपने देश
बदली ऋतु
उड़ जाते हैं
पंछी सीमा के पार
बिना वीसा के
हे कबूतर
सजनी को दे आना
मेरी ये चिट्ठी
चिड़ियाघर
उड़ने को व्याकुल
उदास पंछी
कागा बोलता
बैठे मुंडेर पर
वो जोहे वाट
कोयल बोली
सुबह तो हो गयी
अब उठो भी
बिना डर के
तार पे बैठे पक्षी
उच्च वोल्टेज
रोता रहता
पिंजरे में हो बंद
पक्षी का दिल
वर्षा आते ही
पुरजोर प्रारम्भ
नीड निर्माण
खम्भे पे बैठे
सुख दुःख क़ी बातें
पक्षी का जोड़ा
मैं बैठा नीचे
चिड़िया डाल पर
पेड़ क़ी छाँव
हम बनाते
वृक्ष काट मकान
पक्षी बेघर
उड़ता तो है
पर गा नहीं पाता
हवाई यान
पेड़ पे बैठा
पक्षी देखता बस्ती
बाढ़ में डूबी
जन में जागा
उड़ने का सपना
पक्षी को देख
पंख होते तो
उड़ के चली आती
मन क़ी सोच
गधा न होता
सर पर ही ढोता
आदमी बोझ
दौड़ा रे दौड़ा
दुम उठा के दौड़ा
रेस का घोडा
लड़ते तो है
युद्ध नहीं करते
कभी भी पशु
बिना लगाम
दौड़ा रही घोड़े को
कुकुरमक्खी
हत्या करता
पर लोग कहते
शेर को राजा
पशु समान
संवेदन विहीन
नर या नारी
पृथक होते
विवेक के कारण
व्यक्ति व पशु
विस्वासपात्र
मित्रों से भी अधिक
पालतू कुत्ता
उघार ही घूमता
आवारा कुत्ता
रखता ऊंट
अपनी पीठ पर
पानी का घूँट
बेशक बिगड़ैल
काबू में ऊंट
कर न पाएं
अच्छे अच्छे भी सीधी
कुत्ते की दुम
कौवा हेरता
बैठ कर किलनी
भैंस की पीठ
जीने का हक़
पशु को भी उतना
हमें जितना
पशु से होगा
यदि कोई निर्दय
सबसे होगा
रोते रहते
पशु बिना आवाज
चिड़ियाघर
नहीं खिलाता
कमा कर इंसान
पशु का खाता
वन दोहन
मनुष्य के हितार्थ
पशु बेघर
मानव स्वार्थ
प्रकृति को आघात
पशु का वध
पशु बेदर्द नहीं
दया के पात्र
बुद्धि के नाते
है मानव का धर्म
पशु की रक्षा
उनके साथ
हम न बने पशु
वे हैं ही पशु
जरा करो कल्पना
पशु के बिना
दूध भी छीनो
व गाय के प्राण भी
कहाँ का न्याय
तीनो बन्दर
जंगल भाग गए
गांधी बाबा के
फिरता मारा मारा
चूहा बेघर
सामान घर
लखनऊ स्टेशन
बैग में छेद
नही सिखाई
पेड़ पर चढ़ना
बाघ को बिल्ली
भू के अंदर
बन रहा बिल में
चूहे का घर
पतझड़ आने पे
वाचाल वृक्ष
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