निखर जाते
सोना और मनुष्य
आग में तप
जला देती है
बड़े बलवान भी
चिन्ता की आग
भड़क जाती
विरोध करने पर
क्रोध की आग
बुझाने हेतु
क्या क्या पापड़ बेले
पेट की आग
चूल्हे की आग
बुझाने को जरूरी
पेट की आग
बुझा न सका
तन्हाई में सावन
मन की आग
खिलाडी भरे
मैदान में उतरे
जीत की आग
नहीं जलाया
आज घर का चूल्हा
शोक में डूबे
शक की आग
जल देती है रिश्ते
भले ही पक्के
झुलस जाता
बदले की आग में
कोई भी जन
बिना आग के
नहीं जल सकता
एक दीया भी
अंतिम यात्रा
आग में से होकर
हिन्दू रिवाज
चली भुनाने
घर में नहीं दाने
अम्मा की शान
क्रोध की अग्नि
भस्म कर देती है
खुद को ही
धधका देता
पवन का चुम्बन
ज्वाला को और
जिए तो वे ही
तिरंगे में लिपट
चिता को गए
पंख जलाये
दुस्साहस के बस
गिद्ध सम्पाती
कैसे पकेगा
आज रात भोजन
गैस समाप्त
भस्म हो जाता
रुई का बड़ा ढेर
छोटी सी लुत्ती
सत्य की पुष्टि
सीता ने की देकर
अग्नि परीक्षा
लोहा व व्यक्ति
फौलाद बनने को
तपना होता
एक ही आग
प्रह्लाद सुरक्षित
होलिका दग्ध
कच्ची सी मिटटी
बन जाती है ईंट
आग में तप
जलता दीया
रात भर जलके
रोशनी दिया
चिता की बुझी
प्रतिशोध की आग
धधक उठी
वर्षों का जोड़ा
मिनटों में हो जाता
आग में स्वाहा
प्रगति देख
जलते ही रहते
पड़ोसी भाई
उसीका तन
जिसके सिर चले
आग में जले
आग लगा के
जल देती है प्रीत
नन्ही सी जीभ
श्रम ही नहीं
जीत लेकर आती
मन की आग
आग के बिना
नहीं चल सकता
कोई इंजन
कोई भी आग
नहीं टिक सकती
बिना ईंधन
आग लगती
सीमा के इस पार
आंच उधर
ईर्ष्या की आग
पनपने ना देती
किसी को कभी
आग लगे तो
आ ही जाते हैं लोग
घी डालने को
भोजन
चूल्हा जले
आग लगाई
चुन्नू ने पटाखों में
सोना और मनुष्य
आग में तप
छुपाये होती
ठंडी पड़ी लकड़ी
दिल में आग
ठंडी पड़ी लकड़ी
दिल में आग
बड़े बलवान भी
चिन्ता की आग
विरोध करने पर
क्रोध की आग
बुझाने हेतु
क्या क्या पापड़ बेले
पेट की आग
चूल्हे की आग
बुझाने को जरूरी
पेट की आग
तन्हाई में सावन
मन की आग
खिलाडी भरे
मैदान में उतरे
जीत की आग
आज घर का चूल्हा
शोक में डूबे
शक की आग
जल देती है रिश्ते
भले ही पक्के
झुलस जाता
बदले की आग में
कोई भी जन
बिना आग के
नहीं जल सकता
एक दीया भी
आग में से होकर
हिन्दू रिवाज
चली भुनाने
घर में नहीं दाने
अम्मा की शान
क्रोध की अग्नि
भस्म कर देती है
खुद को ही
धधका देता
पवन का चुम्बन
ज्वाला को और
जिए तो वे ही
तिरंगे में लिपट
चिता को गए
पंख जलाये
दुस्साहस के बस
गिद्ध सम्पाती
कैसे पकेगा
आज रात भोजन
गैस समाप्त
भस्म हो जाता
रुई का बड़ा ढेर
छोटी सी लुत्ती
सत्य की पुष्टि
सीता ने की देकर
अग्नि परीक्षा
फौलाद बनने को
तपना होता
एक ही आग
प्रह्लाद सुरक्षित
होलिका दग्ध
कच्ची सी मिटटी
बन जाती है ईंट
आग में तप
जलता दीया
रात भर जलके
रोशनी दिया
चिता की बुझी
प्रतिशोध की आग
धधक उठी
वर्षों का जोड़ा
मिनटों में हो जाता
आग में स्वाहा
प्रगति देख
जलते ही रहते
पड़ोसी भाई
उसीका तन
जिसके सिर चले
आग में जले
आग लगा के
जल देती है प्रीत
नन्ही सी जीभ
श्रम ही नहीं
जीत लेकर आती
मन की आग
नहीं चल सकता
कोई इंजन
कोई भी आग
नहीं टिक सकती
बिना ईंधन
आग लगती
सीमा के इस पार
आंच उधर
ईर्ष्या की आग
पनपने ना देती
किसी को कभी
आग लगे तो
घी डालने को
कुछ भी करो
नहीं जला पाती
सांच को आंच
दिल की लगी
दिल से ही बुझती
आग की ज्वाला
नहीं जला पाती
सांच को आंच
दिल की लगी
दिल से ही बुझती
आग की ज्वाला
चूल्हा जले
आग लगाई
चुन्नू ने पटाखों में
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