Sunday, 21 December 2014

Hindi haiku - sunana




शिशु का स्पर्श
सुखद अनुभव
कोमल त्वचा

पास से जाती
रेलगाड़ी के साथ
भगति नींद

भेद खोलती
चूड़ियों कि खनक
आधी रात को

आँखों की भाषा
समझ लेती ऑंखें
बिना ध्वनि के


जिह्वा को छोड़
सारे अंग बोलते
मूक की भाषा

आँखों की धुन
बारात में नाचता
बधिर व्यक्ति

बधिर हेतु
मरुस्थल की भांति
सुर सरिता

नभ में चाँद
रात के सन्नाटे में
दिक दर्शक

गुम हो जाती
मंदिर की घंटी में
भोर की नींद

कान में गूंजे
खगों का सुप्रभात
आँखों में नींद

नृत्य करती
बीन की मीठी धुन
नागिन सुन

ऊँची आवाज
पडोसी का संगीत
सुनते हम

प्रातः की बेला
दौड़ लगाते बच्चे
स्कूल की घंटी

हॉर्न पे हॉर्न
जनाते - मुझे आता
तुमसे ज्यादा

आखिरी घंटा
प्रतीक्षा बजने की
छुट्टी की घंटी

गिर के टूटी
कीमती वह प्याली
हाथ से छूटी

अनेक बातें
दिल कह देता है
बिना शब्दों के

खग ही जाने
हमारे लिए ची ची
खग कि भाषा

सुनायी न दी
बच्चों के चिल्लाहट

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