शिशु का स्पर्श
सुखद अनुभव
कोमल त्वचा
पास से जाती
रेलगाड़ी के साथ
भगति नींद
भेद खोलती
चूड़ियों कि खनक
आधी रात को
समझ लेती ऑंखें
बिना ध्वनि के
जिह्वा को छोड़
सारे अंग बोलते
मूक की भाषा
आँखों की धुन
बारात में नाचता
बधिर व्यक्ति
बधिर हेतु
मरुस्थल की भांति
सुर सरिता
नभ में चाँद
रात के सन्नाटे में
दिक दर्शक
गुम हो जाती
मंदिर की घंटी में
भोर की नींद
कान में गूंजे
खगों का सुप्रभात
आँखों में नींद
नृत्य करती
बीन की मीठी धुन
नागिन सुन
ऊँची आवाज
पडोसी का संगीत
सुनते हम
प्रातः की बेला
दौड़ लगाते बच्चे
स्कूल की घंटी
हॉर्न पे हॉर्न
जनाते - मुझे आता
तुमसे ज्यादा
आखिरी घंटा
प्रतीक्षा बजने की
छुट्टी की घंटी
गिर के टूटी
कीमती वह प्याली
हाथ से छूटी
अनेक बातें
दिल कह देता है
बिना शब्दों के
खग ही जाने
हमारे लिए ची ची
खग कि भाषा
बच्चों के चिल्लाहट
No comments:
Post a Comment