Friday, 12 December 2014

Hindi haiku - mahak

गीत सुनाता
पाने हेतु सुगंध   
फूलों को भौंरा

बिना फ़ोन के
भेज देते सन्देश
भौरों को फूल

ज्यों खिल जाते
फिसले चले आते
फूलों पे भौंरे

सुगंध द्वारा
देवों  को आमंत्रण
अगरबत्ती

फैली सुगंध
खुलते ही ढक्कन
इत्र की शीशी

रसोईघर
मसालों की महक
मुह में पानी

बरसात  की
गिरीं पहली बूँदें
सोंधी खुशबू

बाबू ढूंढते
फाईलों के ढेर में
मरी चुहिया

नाक में दम
किया मच्छरों के भी
करके धुआं

ढूंढ ही लेती
छुपे अपराधी को
कुत्ते की नाक

हल बेहाल
छींक छींक कर के
मिर्च की छौंक

घर में आये
मुह पान दबाये
पिया जी पीये

रोज नहाये
मछली की फिर भी
बास न जाये

अगले दिन
फिर कैसे पहने
गर्मी के वस्त्र

साफ़ करतीं
चीटिया मिल जुल
छिटकी चीनी

कीड़े. की मृत्यु
चीटियों को भनक
ले चली शव

खिली कलियाँ
भंवरों की गुंजन
आया बसंत

भूख लगे तो
बाग में भी पसंद
रोटी की गंध

हत्यारे पे भी
बरसाता सुगंध
 वृक्ष चन्दन

मूंग की दाल
देशी घी का तड़का
गंध में स्वाद

गमक जाता
पूरा रसोईघर
हींग की छौंक

घर के कोने
प्लास्टिक का गमला
नकली फूल

लटकी माला
प्लास्टिक के फूलों की
 बिना गंध के

पुष्प गुलाब
झरके भी महके
यूँ हो जिंदगी

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