खिले वे पुष्प
राह चलते लगे
कोई स्मारक
सर्द हवाएँ
भेड़ियों का आतंक
छुपे हिरण
जमी सतह
मछलियों की छत
झील का जल
भेदें न लक्ष्य
बिन साधे निकले
शर व शब्द
सरसों फूले
गोरी करे श्रृंगार
है कोई बात !
काली रातों में
तुझे भाये पी संग
मुझे भाये पी
बालम बहे
मुझे छोड़ उस पर
मै इस पार
प्रेम की नदी
जो भी अंदर डूबा
वही है पार
देखते रहे
कभी वो कभी चाँद
एक दूजे को
बच्चे ने देखा
ताल में ढेला फ़ेंक
चाँद का नृत्य
रोज चाहती
छत पर ही सोना
चांदनी रात
चांदनी रात
सितारे जमी पर
फूल चमेली
उड़ता कौवा
आँख चाँद के बीच
चन्द्र ग्रहण
चन्द्र खिलौना
बालक की थाली में
माँ का करिश्मा
रात कटती
जब वो नहीं होते
चाँद को देख
बोल देता हूँ
चाँद से भी सुघर
खुश हो जाय
चाँद ताल में
अपना मुख देखे
गुड़िया चाँद
पूर्णेन्दु रात
खीर के कटोरे में
उतरा चाँद
सजा अम्बर
माथे पे लगाकर
चाँद की बिंदी
राह चलते लगे
कोई स्मारक
सर्द हवाएँ
भेड़ियों का आतंक
छुपे हिरण
जमी सतह
मछलियों की छत
झील का जल
भेदें न लक्ष्य
बिन साधे निकले
शर व शब्द
सरसों फूले
गोरी करे श्रृंगार
है कोई बात !
काली रातों में
तुझे भाये पी संग
मुझे भाये पी
बालम बहे
मुझे छोड़ उस पर
मै इस पार
प्रेम की नदी
जो भी अंदर डूबा
वही है पार
देखते रहे
कभी वो कभी चाँद
एक दूजे को
बच्चे ने देखा
ताल में ढेला फ़ेंक
चाँद का नृत्य
रोज चाहती
छत पर ही सोना
चांदनी रात
चांदनी रात
सितारे जमी पर
फूल चमेली
उड़ता कौवा
आँख चाँद के बीच
चन्द्र ग्रहण
चन्द्र खिलौना
बालक की थाली में
माँ का करिश्मा
रात कटती
जब वो नहीं होते
चाँद को देख
बोल देता हूँ
चाँद से भी सुघर
खुश हो जाय
चाँद ताल में
अपना मुख देखे
गुड़िया चाँद
पूर्णेन्दु रात
खीर के कटोरे में
उतरा चाँद
सजा अम्बर
माथे पे लगाकर
चाँद की बिंदी
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