Wednesday, 12 November 2014

hindi haiku (tajmahal)

पत्थर नहीं
ख्वाबों से भी बनता
ताजमहल

वो प्यार भी है
प्यार की निशानी भी
ताजमहल

प्यार के ख्वाब
देख आये दिल में
ताजमहल

रौशन हुआ
पसीने में धुल के
ताजमहल

पैरों पे खड़ी
प्रेम की कहानी है
ताजमहल

इतराता है
चांदनी में नहाता
ताजमहल

मैं भी बना दूँ
मुमताज तो मिले
ताजमहल

चाँद देखता
बड़ा ही इतराता
ताजमहल

प्रेम कहानी
संगमर्मर पर
ताजमहल

बनवा कर
खाया कैद की हवा
ताजमहल




उसकी ख्वाइश है उसके प्यार में
मैं भी बनवा दूँ एक ताजमहल
बोला, हूँ मैं भी वफ़ा का शहंशाह
बन तू मुमताज, बनवा दूं ताजमहल

उसने तो बादशाहत की बदौलत
हजारों मजदूरों को सताया होगा
उसके लिए औरों ने स्वेद बहाया होगा
तब जाकर बनाया होगा ताजमहल

मैंने उल्फत के शब्दों की ईंटें बटोर
अपने दिल के दर्द से तराशकर
आंशुओं के नीर से धोकर, सुखाकर
रख दी बुनियाद बनने को ताजमहल

संगमरमर के पत्थरो से जोड़ी हुई
प्यार की खड़ी एक कहानी भर है
वह तो मोहब्बत की निशानी भर है
ख्वाबों से ऊँचा होगा मेरा ताजमहल

हमारी तो बहुत बुलंद ईमारत होगी
तेरी रूह की हरदम इबादत होगी
तू मौजूद है, एहसास बक़ायद होगी
दिल से दीदार हो बनाऊंगा ताजमहल



No comments:

Post a Comment