होता उत्थान
जब हो समाज में
नारी सम्मान
पालन कर्ता
सृजन की क्षमता
रखती नारी
कार्य निष्पादन ही
मन प्रवृत्ति
नारी है त्याग
अपनों के पश्चात
उसका आप
निभाती धर्म
विपदाओं में संग
धैर्य है नारी
उपकार का भाव
रखती नारी
निर्मल नारी
जिस बर्तन गयी
उसी को धारी
खड़ी हो जाती
अतीत का दर्पण
बिटिया बन
हो सकती है
नारी ही महतारी
प्रभु की लीला
आपदा आई
हुई चण्डिका माई
कोमल नारी
जन्म की दात्री
माँ बन होती नारी
पालनहारी
पालनहारी
जिस घर में गयी
उसे सवारी
मोह माया उसकी
पृथ्वी पे न्यारी
स्नेह की एक
भरा घड़ा है नारी
स्नेह की भूखी
नहीं संभव
मनुष्य की पूर्णता
गौरव नारी
मानव की माँ
पूज्यनीय सदैव
देवी है नारी
कभी बन जाती है
आफत नारी
पालती नारी
बनके महतारी
दुनिया सारी
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