Thursday, 27 November 2014

Hindi Haiku - raat din

कम हो जाता
उम्र से एक दिन
प्रत्येक दिन

दिवस काल
बुद्धिमानो का काम
जगे रहना

रात को देखो
दिन में करो पूरा
देखे सपने

सो के बिताया
दिवस भी हो जाता
निशा सामान

लेकर आता
प्रत्येक सूर्योदय
नूतन दिवा

समाये होती
बिछुड़ने की बात
शुभ रात्रि में

रोक सके जो
कोई रात न होती
सूर्य व आशा

लम्बी हो जाती
वे ही सामान्य रातें
तकलीफ में

लेकर आती
दिन की मेहनत
रात की नींद

अभागा नर
अंगूर में भी ढूंढे
कड़वा स्वाद

गर्मी में छुपें
जाड़े में हम ढूंढें
दिन की धूप

ख़ुशी के दिन
प्रभु के नाम हो तो
दुख ना आये

स्पष्ट दिखती
शहरों की तस्वीर
रात होने पे

जो समझ ले
दिन रात का भेद
सुखी जीवन

बुरे दिनों से
छीना मैंने ताकत
लड़ने हेतु

पूरी रात भी
भागता ही दिखता
महानगर

शुरू हो जाते
उल्लू चमगादड़
रात होते ही

दिन व रात
लुका छुपी का खेल
सूर्य चाँद का


सातों दिनों को
सात ग्रहो ने बांटा
पृथ्वी बेदिन

नींद बाटते
रात को उगकर
चाँद सितारे

देतीं आभास
नागिन डसने का
तनहा रातें

गहरा जाता
रातों का स्याह रंग
अकेलापन

कट जाती हैं
विरहन की रातें
याद में डूबे
 
बाल अवस्था -
जीवन की सुबह
बुढ़ापा - शाम
युवा है दिन जैसा
जग होता उज्वल







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