किसकी हार
ये बूढ़े वह बच्चा
दादा पोता में
एक चींटी की मौत
बड़े बड़े झाड़ू चल रहे हैं
कीट पतंगे उछल रहे हैं।
चींटियों में हल चल मची है
उनके भी घर उजड़ रहे हैं।
एक चीटी पूछी दूसरी से
बहन ! यह क्या हो रहा है।
वह बोली, जन्मोत्सव हेतु
यह स्थल खाली हो रहा है।
चीटी बड़ी खुश हो गयी।
अरे! तो मौज आने वाली है
स्वादिष्ट मिष्ठान की
दावत दिलाने वाली है।
हाँ बहन! सो तो है, सुना है
बहुत बड़ा उत्सव होगा।
लंदन से बग्गी आएगी
दूर तक फैला मंडप होगा।
अप्सराओं का नृत्य होगा
नौ मन का केक कटेगा।
कुछ गरीब बुलाये जायेंगे
उनको वहां उपहार बांटेगा।
मैं तो बाल बच्चों को ले
पहले ही जाकर जुट जाउंगी।
खाना मिठाई बिखरी होगी
बच्चों संग छक कर खाऊँगी।
ना बहन, ना, ऐसा ना करना
वे सफाई हेतु झाड़ू लगाएंगे।
कितने आंधी में उड़ जायेंगे
बाकी कालीन तले दब जायेंगे।
हं ! ऐसा मौका फिर आएगा !
ऐसा महोत्सव कौन मनाएगा?
बड़े नेता का जन्मोत्सव है
सुना है माल भी लुटायेगा।
लंदन की भी चींटियाँ
नहीं चढ़ पाती जिस बग्गी पर।
बच्चे भी थोड़ा घूम लेंगे
उस पर डिज्नी लैंड समझ कर।
मंडप के पास पहुंची ही थी
एक झाड़ू ने दूर झटक दिया।
झाड़ू की हवा जोरदार थी
मंडप से बाहर पटक दिया।
सफाई पश्चात कार्पेट बिछा
कई बच्चे दब गए उस में।
चींटी को खबर भी न मिली
पड़ी थी राबड़ी के चक्कर में।
पंहुची खाने की मेज तक
वह लाल कार्पेट पर चढ़कर।
राबड़ी खाने के चक्कर में
जा धमकी परात के ऊपर।
उसकी एक टांग चिपक गयी
उस राबड़ी के ही परात पर।
इतने में पड़ गयी नेता के
खानसामे की नजर उस पर ।
किसी ने देखा तो बदनामी होगी
खानसामे ने तुरंत सोचा।
उसकी टांग पकड़, उठाया
और जलते चूल्हे में झोंका ।
उसकी मौत ही लेकर आई
किस्मत ने उससे छल किया।
एक बड़ी पार्टी के चक्कर में
बेचारी चींटी ने बलि दिया।
एक चींटी जो बाहर से ही
सारा तमाशा देख रही थी।
पकवान खाने का लोभ छोड़
दूर से आँखे सेक रही थी।
चिल्ला कर बोली 'नहीं मानी!
कहा था, बड़े लोग मसल देते हैं।
चींटी तो क्या, इंसानों को भी
सिर उठायें तो कुचल देते हैं। '
यूँ तो वन्य जीव के भी कानून हैं
हम तो इनके घरों में ही रहते हैं।
पर छोटे जीवों की किसे परवाह
करते वही, जो ये नेता चाहते हैं।
- एस० डी० तिवारी
ये बूढ़े वह बच्चा
दादा पोता में
एक चींटी की मौत
बड़े बड़े झाड़ू चल रहे हैं
कीट पतंगे उछल रहे हैं।
चींटियों में हल चल मची है
उनके भी घर उजड़ रहे हैं।
एक चीटी पूछी दूसरी से
बहन ! यह क्या हो रहा है।
वह बोली, जन्मोत्सव हेतु
यह स्थल खाली हो रहा है।
चीटी बड़ी खुश हो गयी।
अरे! तो मौज आने वाली है
स्वादिष्ट मिष्ठान की
दावत दिलाने वाली है।
हाँ बहन! सो तो है, सुना है
बहुत बड़ा उत्सव होगा।
लंदन से बग्गी आएगी
दूर तक फैला मंडप होगा।
अप्सराओं का नृत्य होगा
नौ मन का केक कटेगा।
कुछ गरीब बुलाये जायेंगे
उनको वहां उपहार बांटेगा।
मैं तो बाल बच्चों को ले
पहले ही जाकर जुट जाउंगी।
खाना मिठाई बिखरी होगी
बच्चों संग छक कर खाऊँगी।
ना बहन, ना, ऐसा ना करना
वे सफाई हेतु झाड़ू लगाएंगे।
कितने आंधी में उड़ जायेंगे
बाकी कालीन तले दब जायेंगे।
हं ! ऐसा मौका फिर आएगा !
ऐसा महोत्सव कौन मनाएगा?
बड़े नेता का जन्मोत्सव है
सुना है माल भी लुटायेगा।
लंदन की भी चींटियाँ
नहीं चढ़ पाती जिस बग्गी पर।
बच्चे भी थोड़ा घूम लेंगे
उस पर डिज्नी लैंड समझ कर।
मंडप के पास पहुंची ही थी
एक झाड़ू ने दूर झटक दिया।
झाड़ू की हवा जोरदार थी
मंडप से बाहर पटक दिया।
सफाई पश्चात कार्पेट बिछा
कई बच्चे दब गए उस में।
चींटी को खबर भी न मिली
पड़ी थी राबड़ी के चक्कर में।
पंहुची खाने की मेज तक
वह लाल कार्पेट पर चढ़कर।
राबड़ी खाने के चक्कर में
जा धमकी परात के ऊपर।
उसकी एक टांग चिपक गयी
उस राबड़ी के ही परात पर।
इतने में पड़ गयी नेता के
खानसामे की नजर उस पर ।
किसी ने देखा तो बदनामी होगी
खानसामे ने तुरंत सोचा।
उसकी टांग पकड़, उठाया
और जलते चूल्हे में झोंका ।
उसकी मौत ही लेकर आई
किस्मत ने उससे छल किया।
एक बड़ी पार्टी के चक्कर में
बेचारी चींटी ने बलि दिया।
एक चींटी जो बाहर से ही
सारा तमाशा देख रही थी।
पकवान खाने का लोभ छोड़
दूर से आँखे सेक रही थी।
चिल्ला कर बोली 'नहीं मानी!
कहा था, बड़े लोग मसल देते हैं।
चींटी तो क्या, इंसानों को भी
सिर उठायें तो कुचल देते हैं। '
यूँ तो वन्य जीव के भी कानून हैं
हम तो इनके घरों में ही रहते हैं।
पर छोटे जीवों की किसे परवाह
करते वही, जो ये नेता चाहते हैं।
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