Friday, 14 November 2014

Hindi haiku (aankh)

नेत्रहीन भी
देख लेता दुनिया
मन की ऑंख

नहीं हो ज्ञान
आँख होते हुए भी
अँधा समान

दिल ने पाई
उम्र भर की सजा
आँखों की खता

पढ़ क्या लिया
दिल उछल पड़ा
आँखों में लिखा

बहुतेरे हैं
ऑंखें फेरने वाले
बुरे समय

काले ही होते
चाँद सूरज तारे
आँख न होती

ढूंढ लेती हैं
चाँद पर दाग भी
हमारी ऑंखें

उनके बिन
सपनों की जगह 
आँखों में  पानी

दिल की आग 
बुझाने को था कम  
आँखों का पानी  

कर देता है
नज़रों को धुंधला
आँखों में पानी

पिया सौ घड़ा
ठहरीं कुछ बूँदें
आँखों में पानी

उछल जाता
एक बूँद दवा से
आँखों में पानी



खुदा ने बख्शी
सबसे बड़ी नीमत
आँखों की जोड़ी

आँखों ने पिया
सुंदरता का रस
नशे में मन

खुलते जब
दिखती है दुनिया
सूर्य के नेत्र

आता समक्ष
ओझल चाँद तारे
आँखों के मेघ

आँखों में गिरी
नन्ही सी किरकिरी
पीड घनेरी

लोगों से आँख
फिरता है बचाये
खाया उधार

जन्म से अंधी
देखती है दुनिया
ज्ञान की आँखों

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