नेत्रहीन भी
देख लेता दुनिया
मन की ऑंख
नहीं हो ज्ञान
आँख होते हुए भी
अँधा समान
दिल ने पाई
उम्र भर की सजा
पढ़ क्या लिया
दिल उछल पड़ा
आँखों में लिखा
बहुतेरे हैं
ऑंखें फेरने वाले
बुरे समय
काले ही होते
चाँद सूरज तारे
आँख न होती
ढूंढ लेती हैं
चाँद पर दाग भी
हमारी ऑंखें
उनके बिन
सपनों की जगह
आँखों में पानी
ठहरीं कुछ बूँदें
आँखों में पानी
उछल जाता
एक बूँद दवा से
आँखों में पानी
खुलते जब
दिखती है दुनिया
सूर्य के नेत्र
आता समक्ष
ओझल चाँद तारे
आँखों के मेघ
आँखों में गिरी
नन्ही सी किरकिरी
पीड घनेरी
लोगों से आँख
फिरता है बचाये
खाया उधार
जन्म से अंधी
देखती है दुनिया
ज्ञान की आँखों
देख लेता दुनिया
मन की ऑंख
नहीं हो ज्ञान
आँख होते हुए भी
अँधा समान
दिल ने पाई
उम्र भर की सजा
आँखों की खता
पढ़ क्या लिया
दिल उछल पड़ा
आँखों में लिखा
बहुतेरे हैं
ऑंखें फेरने वाले
बुरे समय
काले ही होते
चाँद सूरज तारे
आँख न होती
चाँद पर दाग भी
हमारी ऑंखें
सपनों की जगह
आँखों में पानी
दिल की आग
बुझाने को था कम
आँखों का पानी
कर देता है
नज़रों को धुंधला
आँखों में पानी
पिया सौ घड़ाआँखों में पानी
ठहरीं कुछ बूँदें
आँखों में पानी
उछल जाता
एक बूँद दवा से
आँखों में पानी
खुदा ने बख्शी
सबसे बड़ी नीमत
आँखों की जोड़ी
आँखों ने पिया
सुंदरता का रस
नशे में मन
सबसे बड़ी नीमत
आँखों की जोड़ी
आँखों ने पिया
सुंदरता का रस
नशे में मन
दिखती है दुनिया
सूर्य के नेत्र
आता समक्ष
ओझल चाँद तारे
आँखों के मेघ
आँखों में गिरी
नन्ही सी किरकिरी
पीड घनेरी
लोगों से आँख
फिरता है बचाये
खाया उधार
जन्म से अंधी
देखती है दुनिया
ज्ञान की आँखों
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