मन उडता
हवाओं से होकर
तारों के बीच
हवा ले आती
घेर के घटाओं को
मेरे अंगना
डोलते नित
हवा पर सवार
मेघ आवारा
सावन भादो
फेरे मारते मेघ
मेरी गली का
उडा देती है
फूलों की खुशबुएँ
क्रोधित हवा
आंधी भी बने
क्या बिगाड़ेगी हवा
ठूंठ पेड़ का
गिरा तो देता
उठा न पाता पेड़
वायु का क्रोध
भीषण गर्मी
मिल जाती राहत
पंखे की हवा
छंद लय में
घुट रही कविता
हाइकू हवा
नदी किनारे
जी चाहे बैठे रहें
ठंडी बयार
बिना ईंधन
विद्युत उत्पादन
पवन चक्की
उड़ा देती है
ताकि ले सकें सांस
हवा दुर्गन्ध
हवा हो जाती
हवा के ही कारण
गाड़ी अपनी
भभक जाती
जब संग पा जाती
आग हवा की
प्रत्येक सांस
रहती है अपनी
वायु निमित्त
कान पकड़
घुमाती रहती है
हवा मेघ को
हवा न होती
पुष्प रखते गंध
उन्ही के घर
ठहर जाती
फुलवारी में हवा
गंध चुराने
हवा चली जो
आधुनिकता की ये
बच्चे पब में
बहा ले जाती
हवा अपने साथ
हल्के वजन
लपेट रहा
चरखी पे वो डोर
मंद पवन
उड़ा ले गया
हवा का एक झोका
पक्षी का खोता
चिड़िया रानी
तैरती तुम ऐसे
हवा हो पानी
पवनसुत
उड़े वायु की वेग
सूर्य लीलने
बाट जोहता
नाविक पवन का
पाल की नौका
हवा का झोंका
उघारता घूंघट
बना निर्लज्ज
सुखी न साड़ी
फिर से धोनी पड़ी
हवा में उडी
तय करेगी
पतंग का उड़ना
हवा की दिशा
पहुंचा देती
कलेजे तक ठण्ड
पूर्वी बयार
गर्मी के दिन
लू में झुलसा देती
पछुआ हवा
बहे जा रहा
पश्चिम की हवा में
आज का युवा
हाइकू ग़ज़ल
हवा का शोर
ढूंढ रहे थे राह
खड़े बहरे
हवा तो हवा
भला एक जगह
वो क्यों ठहरे
चूमती चली
समुद्र के पानी को
उठी लहरें
ठंडी बयार
उभार दी दिल के
भाव गहरे
तुम्हारी साँसें
पास आते प्रीत के
ध्वज फहरे
हवाओं से होकर
तारों के बीच
हवा ले आती
घेर के घटाओं को
मेरे अंगना
डोलते नित
हवा पर सवार
मेघ आवारा
सावन भादो
फेरे मारते मेघ
मेरी गली का
उडा देती है
फूलों की खुशबुएँ
क्रोधित हवा
आंधी भी बने
क्या बिगाड़ेगी हवा
ठूंठ पेड़ का
गिरा तो देता
उठा न पाता पेड़
वायु का क्रोध
भीषण गर्मी
मिल जाती राहत
पंखे की हवा
छंद लय में
घुट रही कविता
हाइकू हवा
नदी किनारे
जी चाहे बैठे रहें
ठंडी बयार
बिना ईंधन
विद्युत उत्पादन
पवन चक्की
उड़ा देती है
ताकि ले सकें सांस
हवा दुर्गन्ध
हवा हो जाती
हवा के ही कारण
गाड़ी अपनी
भभक जाती
जब संग पा जाती
आग हवा की
प्रत्येक सांस
रहती है अपनी
वायु निमित्त
कान पकड़
घुमाती रहती है
हवा मेघ को
हवा न होती
पुष्प रखते गंध
उन्ही के घर
ठहर जाती
फुलवारी में हवा
गंध चुराने
हवा चली जो
आधुनिकता की ये
बच्चे पब में
बहा ले जाती
हवा अपने साथ
हल्के वजन
लपेट रहा
चरखी पे वो डोर
मंद पवन
उड़ा ले गया
हवा का एक झोका
पक्षी का खोता
चिड़िया रानी
तैरती तुम ऐसे
हवा हो पानी
पवनसुत
उड़े वायु की वेग
सूर्य लीलने
बाट जोहता
नाविक पवन का
पाल की नौका
हवा का झोंका
उघारता घूंघट
बना निर्लज्ज
सुखी न साड़ी
फिर से धोनी पड़ी
हवा में उडी
तय करेगी
पतंग का उड़ना
हवा की दिशा
पहुंचा देती
कलेजे तक ठण्ड
पूर्वी बयार
गर्मी के दिन
लू में झुलसा देती
पछुआ हवा
बहे जा रहा
पश्चिम की हवा में
आज का युवा
हाइकू ग़ज़ल
हवा का शोर
ढूंढ रहे थे राह
खड़े बहरे
हवा तो हवा
भला एक जगह
वो क्यों ठहरे
चूमती चली
समुद्र के पानी को
उठी लहरें
ठंडी बयार
उभार दी दिल के
भाव गहरे
तुम्हारी साँसें
पास आते प्रीत के
ध्वज फहरे
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