गरीबों की तो
सिकुड़े बीत जाती
ठण्ड कि रात
सिकुड़े बीत जाती
ठण्ड कि रात
पूरे गांव में
अकेला मेरा घर
छाया कोहरा
जागता रहा
अलाव सारी रात
हमारे संग
नहाती रही
ठण्ड में रात भर
ठण्ड की रात
ढूंढते रहे चाँद
धुंध में खोया
मेघ में छुपा
बरसात की रात
दिखा न चाँद
गिरा जो पारा
घास पर छिटके
मोती के दाने
हाथ में लिए
गर्म चाय का कप
सर्दी से युद्ध
धूप में बैठी
मिल के दीं माँ बेटी
ठण्ड को मात
पारा क्या गिरा
चढ़ गये ऊपर
अनेक वस्त्र
मन को भाता
सब चीजों से ज्यादा
ठण्ड में धूप
किसके बस
ठण्ड के मौसम में
रोज नहाना
पटरी पर
दानी की दरकार
एक कम्बल
दौरे का दौर
रजाई में अकेली
ठण्ड की रात
मित्रों/सदस्यों/माननीय कवियों
इस ठण्ड में लगता है जिंदगी थम सी गयी है. बर्फ़बारी व कोहरे में अनेकों प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. अतः इसी विषय पर कुछ हाइकू हो जाएँ. यहाँ पर दो दृश्य/भाव दिए जा रहे हैं इनमे से किसी पर या सभी पर जैसा आप चाहें अपना हाइकू रच सकते हैं.
१. आप के हाइकू की प्रथम या अंतिम पंक्ति 'छाया कोहरा' अथवा 'ठण्ड की रात' होनी चाहिए
२. ठण्ड, शर्दी, जाड़ा, शरत आदि मौसम के नाम का प्रयोग न करते हुए आप शर्दी के मौसम का भाव या बिम्ब अपने हाइकू में उभरना है.
२. ठण्ड, शर्दी, जाड़ा, शरत आदि मौसम के नाम का प्रयोग न करते हुए आप शर्दी के मौसम का भाव या बिम्ब अपने हाइकू में उभरना है.
उदाहरण के लिए मेरे निम्न हाइकू पढ़ सकते हैं
गरीबों की तो
सिकुड़े बीत जाती
ठण्ड कि रात
सिकुड़े बीत जाती
ठण्ड कि रात
पूरे गांव में
अकेला मेरा घर
छाया कोहरा
अकेला मेरा घर
छाया कोहरा
जागता रहा
अलाव सारी रात
हम सो गए
अलाव सारी रात
हम सो गए
तो अब चालू मौसम को १७ वर्णो में समेटिये. 19.12.2014
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