Wednesday, 14 January 2015

Hindi haiku - sparsh

गोदी में शिशु
जी हुआ गदगद
कोमल स्पर्श

छुरी छटकी
उंगली में जा लगी
रक्त प्रवाह

गिरा ऊपर
पैर पे पड़े छाले
खौलता पानी

दौड़ रहा था
छिल गयी कुहनी
बच्चा फिसला

नहीं हो रहा
आज नहाने का जी
बहुत सर्दी

गीज़र चालू
गुनगुने पानी से
सर्दी में स्नान

बैठी अकेली
सीने से लगाकर
नर्म तकिया

रखे डायरी
बैठी तकिया पर
संजोती यादें

लेकर बैठी
बड़े से रोएँ वाला
गोद में पिल्ला

सहला रही
गाय के बछड़े को
भोलू  की अम्मा

माँ फूक रही
ले चावल दाल का
हाथ में कौर

श्वेद में भीगा 
चिपचिपा बदन
स्नान की इच्छा

पांव में छाले
चलना पड़ा लम्बा
बिना जूते के

नया लाया था
जूते ने काट दिया
पांव में छाले

सेमल रूई
नरम एहसास
भरी तकिया

निकाल फेका
सर्दी में भी स्वेटर
चुभता ऊन


तुम्हारा स्पर्श
जागृत कर देता 
मन स्पंदन

मुरझा जाती
छूते ही छुइमुई
शर्म के मारे

शिशु का स्पर्श
भर देता आनंद
कोमल त्वचा

गुड़िया मेरी
चूम लेता हूँ गाल
फूलों सी मृदु

बड़ों का होता
आशीर्वाद से युक्त 
चरण स्पर्श

कान पकड़े
नाक पे बैठ जाती
ऐनक मेरी

माँ सहलाती
पिता जी निकालते
गाय का दूध

अध्यापक ने 
जोर से ऐंठा कान
लाल हो गया

छुप के चली
पर्दे में छिपकली
हिला तो गिरी

सोने ना देती
गुदगुदी करती
रेंगती मक्खी

कर देता है
मृदु भाष उनका
ह्रदय स्पर्श


शहीद बेटा
तिरंगे में लिपटा
भारत माँ का

पैरों को चूम
हो घुँघरू की गूंज
मन झंकृत

होठ को होठ
छू लेने को व्याकुल
पहली रात

उंगली जली
रोटी पलटने में
छू गया तवा

उंगली जली
फूटकर निकली
रोटी से भाप

अनजाने में -
हो गयी पहचान
छुइ उंगली

नींद ले आती
न कि नर्म बिस्तर
माँ की थपकी

टटोल लेती
भगौने का चावल
बस दो चार
 

1 comment:

  1. श्वेत में भीगा
    चिपचिपा बदन
    स्नान की इच्छा
    Can anyone please tell me the meaning of this haiku?

    ReplyDelete