गोदी में शिशु
जी हुआ गदगद
कोमल स्पर्श
छुरी छटकी
उंगली में जा लगी
रक्त प्रवाह
गिरा ऊपर
पैर पे पड़े छाले
खौलता पानी
दौड़ रहा था
छिल गयी कुहनी
बच्चा फिसला
नहीं हो रहा
आज नहाने का जी
बहुत सर्दी
गीज़र चालू
गुनगुने पानी से
सर्दी में स्नान
बैठी अकेली
सीने से लगाकर
नर्म तकिया
रखे डायरी
बैठी तकिया पर
संजोती यादें
लेकर बैठी
बड़े से रोएँ वाला
गोद में पिल्ला
सहला रही
गाय के बछड़े को
भोलू की अम्मा
माँ फूक रही
ले चावल दाल का
हाथ में कौर
श्वेद में भीगा
चिपचिपा बदन
स्नान की इच्छा
पांव में छाले
चलना पड़ा लम्बा
बिना जूते के
नया लाया था
जूते ने काट दिया
पांव में छाले
सेमल रूई
नरम एहसास
भरी तकिया
निकाल फेका
सर्दी में भी स्वेटर
चुभता ऊन
तुम्हारा स्पर्श
जागृत कर देता
मन स्पंदन
मुरझा जाती
छूते ही छुइमुई
शर्म के मारे
शिशु का स्पर्श
भर देता आनंद
कोमल त्वचा
गुड़िया मेरी
चूम लेता हूँ गाल
फूलों सी मृदु
बड़ों का होता
आशीर्वाद से युक्त
चरण स्पर्श
कान पकड़े
नाक पे बैठ जाती
ऐनक मेरी
माँ सहलाती
पिता जी निकालते
गाय का दूध
अध्यापक ने
जोर से ऐंठा कान
लाल हो गया
छुप के चली
पर्दे में छिपकली
हिला तो गिरी
सोने ना देती
गुदगुदी करती
रेंगती मक्खी
कर देता है
मृदु भाष उनका
ह्रदय स्पर्श
शहीद बेटा
तिरंगे में लिपटा
भारत माँ का
पैरों को चूम
हो घुँघरू की गूंज
मन झंकृत
होठ को होठ
छू लेने को व्याकुल
पहली रात
उंगली जली
रोटी पलटने में
छू गया तवा
उंगली जली
फूटकर निकली
रोटी से भाप
अनजाने में -
हो गयी पहचान
छुइ उंगली
नींद ले आती
न कि नर्म बिस्तर
माँ की थपकी
टटोल लेती
भगौने का चावल
बस दो चार
जी हुआ गदगद
कोमल स्पर्श
छुरी छटकी
उंगली में जा लगी
रक्त प्रवाह
गिरा ऊपर
पैर पे पड़े छाले
खौलता पानी
दौड़ रहा था
छिल गयी कुहनी
बच्चा फिसला
नहीं हो रहा
आज नहाने का जी
बहुत सर्दी
गीज़र चालू
गुनगुने पानी से
सर्दी में स्नान
बैठी अकेली
सीने से लगाकर
नर्म तकिया
रखे डायरी
बैठी तकिया पर
संजोती यादें
लेकर बैठी
बड़े से रोएँ वाला
गोद में पिल्ला
सहला रही
गाय के बछड़े को
भोलू की अम्मा
माँ फूक रही
ले चावल दाल का
हाथ में कौर
श्वेद में भीगा
चिपचिपा बदन
स्नान की इच्छा
पांव में छाले
चलना पड़ा लम्बा
बिना जूते के
नया लाया था
जूते ने काट दिया
पांव में छाले
सेमल रूई
नरम एहसास
भरी तकिया
निकाल फेका
सर्दी में भी स्वेटर
चुभता ऊन
तुम्हारा स्पर्श
जागृत कर देता
मन स्पंदन
मुरझा जाती
छूते ही छुइमुई
शर्म के मारे
शिशु का स्पर्श
भर देता आनंद
कोमल त्वचा
गुड़िया मेरी
चूम लेता हूँ गाल
फूलों सी मृदु
बड़ों का होता
आशीर्वाद से युक्त
चरण स्पर्श
कान पकड़े
नाक पे बैठ जाती
ऐनक मेरी
माँ सहलाती
पिता जी निकालते
गाय का दूध
अध्यापक ने
जोर से ऐंठा कान
लाल हो गया
छुप के चली
पर्दे में छिपकली
हिला तो गिरी
सोने ना देती
गुदगुदी करती
रेंगती मक्खी
कर देता है
मृदु भाष उनका
ह्रदय स्पर्श
शहीद बेटा
तिरंगे में लिपटा
भारत माँ का
पैरों को चूम
हो घुँघरू की गूंज
मन झंकृत
होठ को होठ
छू लेने को व्याकुल
पहली रात
उंगली जली
रोटी पलटने में
छू गया तवा
उंगली जली
फूटकर निकली
रोटी से भाप
अनजाने में -
हो गयी पहचान
छुइ उंगली
नींद ले आती
न कि नर्म बिस्तर
माँ की थपकी
टटोल लेती
भगौने का चावल
बस दो चार
श्वेत में भीगा
ReplyDeleteचिपचिपा बदन
स्नान की इच्छा
Can anyone please tell me the meaning of this haiku?