चिर तालाब
मेढक की छपाक
उछला पानी
धरा ने दिया
तीन भाग पानी को
एक हमको
बरसा पानी
शहर की हो गयी
मुफ्त धुलाई
पानी बरसा
झूमे ताल तलैया
नदी छमकी
स्वास्थवर्धक
नारियल का पानी
स्वाद के साथ
और मांगती
गोलगप्पे का पानी
जीभ चटोरी
साथ में मन्दाकिनी
कई हजार
खिसकती खटिया
चूता छप्पर
यजमानी व
बेईमानी का धन
पानी का धन
गावं में बाढ़
सरकार बहाती
पानी सा पैसा
गली मोहल्ले
तैरते खाट डब्बे
गावं में बाढ़
पहले मेरा
नहर के पानी पे
लाठी का जोर
ना आती छम्मो
ना रहा पनघट
कुआँ उदास
एक बोतल
संभाल कर रखा
गंगा का जल
नदियों का भी
हो जाता बटवारा
पाने को पानी
ललचाई लोमड़ी
मुह में पानी
कैसे निबटे
जग्गू मग्गू का भेद
नाली का पानी
पौधों को नहलाना
जड़ में पानी
बहता जाता
समय सरिता में
जीवन पानी
कुछ ऐसा की होवो
शर्म से पानी
धरे अथाह जल
नदी नीर का
डाल देता है
क्रोध खौलता पानी
मन में छाले
प्यासे भी मरे
चुल्लू भर पानी में
डूबे तो मरे
जल के बिना
धरती हो जयेगी
मरू की भूमि
मेघा रे मेघा
पानी दे तू पानी दे
जिंदगानी दे
मेरे गांव में
द्वार आये को पानी
गुड़ के साथ
जल जीवन
जल का संरक्षण
मानव धर्म
जल का मोल
कितना अनमोल
प्यासा ही जाने
डूबा देता है
विशाल जहाज भी
पेंदी में छेद
मन प्रसन्न
देख जल की क्रीड़ा
ऊँचे फव्वारे
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