Thursday, 15 January 2015

Gadhon ko mohabbat, chummi me maja ghazal



भौंरे जब फूलों पर मंडराते हैं,
देखकर, दीवाने मचल जाते हैं।
भंवर और फूल की कहानी से,
हैं कि कई, दीवाने बन जाते हैं।
कम ही मिलते हैं दीवाने ऐसे,   
जो गिर के भी संभल पाते हैं।
दीवाना कहें या कातिल उन्हें,
कली को तोड़, मसल जाते हैं।
जानें ना मुहब्बत की मासूमियत,
जालिम, दिल को खल जाते हैं।
कोयल की मीठी कूक का सबब,
कौवे, कांव से ही कर जाते हैं।
गधों को मोहब्बत कौन सिखाये,
फूलों को ही निगल जाते हैं।


चुम्मी में मजा, पर, गाड़ी की चुम्मी से एक्सीडेंट होता है 
पढ़ लिख के अधिकारी, मगर वोट से प्रेसिडेंट होता है
दूसरे मुल्क से आया हुआ, आदमी कहलाता विदेशी
अपने ही देश में रहने वाला, हर कोई रेजिडेंट होता है
हर ज्ञान बांटने वाला, कहलाता ना हो गुरु बेशक 
सीखने वाला मगर, हर एक सख्श ही स्टूडेंट होता है 
बेढंग से जो काम करता, अनाड़ी ही कहते उसको 
बढ़िया तरीके से कर पाता है, जो कॉंफिडेंट होता है
सेकंड हैंड गाड़ी, बड़े धड़ल्ले से बिक जाती बाजार में 
की जाती है पसंद मगर, जिसमें ना कोई डेंट होता है
जमा करते हैं पैसा लोग, खरीदने को सामान बड़ा
बुढ़ापे के लिये बचाया जो पैसा, वही प्रोविडेंट होता है 
गूँथ कर बन जाती माला, मोतियों के दाने धागे में 
सुन्दर लगती माला जिसमें, लटका पेन्डेन्ट होता है

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