जन्म लेते ही, बेवकूफियों का बोझ उठा लेता है।
उन्हीं की बदौलत इंसान गलतियां बुला लेता है।
अक्ल के साथ खुदा ने, इसे बेवकूफियां भी बख्शीं
तभी तो अपने जाल में वो खुद को उलझा लेता है।
इंसान के भूलने की आदत भी, नीमत समझो
वरना बदले की आग में, इंसानियत जला लेता है।
बेवकूफियों के चलते, जब देखो भागता रहता
मंजिल की खबर न हो, मगर दौड़ लगा लेता है।
गलतियां ना करे तो, इंसान खुद को खुदा समझे
बेवकूफियों में उसे साथ मिले, हाथ मिला लेता है।
बनावटी हंसी से मगर, वह उसको छुपा लेता है।
कितना जरूरी है, इंसान की बेवकूफियां भी यारों
इन्हीं बेवकूफियों पर तो, थोड़ा हँस हंसा लेता है।
एस० डी० तिवारी
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