Wednesday, 7 January 2015

Hindi Ghazal - insaan ki bewakoofiyan


जन्म लेते ही, बेवकूफियों का बोझ उठा लेता है। 
उन्हीं की बदौलत इंसान गलतियां बुला लेता है। 

अक्ल के साथ खुदा ने, इसे बेवकूफियां भी बख्शीं 
 तभी तो अपने जाल में वो खुद को उलझा लेता है। 

इंसान  के भूलने की आदत भी, नीमत समझो
वरना बदले की आग में, इंसानियत जला लेता है। 

बेवकूफियों के चलते, जब देखो भागता रहता    
मंजिल की खबर न हो, मगर दौड़ लगा लेता है। 


गलतियां ना करे तो, इंसान खुद को खुदा समझे  
बेवकूफियों में उसे साथ मिले, हाथ मिला लेता है। 

लिये होता है इंसान, कहीं न कहीं उदासी दिल में      
बनावटी हंसी से मगर, वह उसको छुपा लेता है। 

कितना जरूरी है, इंसान की बेवकूफियां भी यारों 
इन्हीं बेवकूफियों पर तो, थोड़ा हँस हंसा लेता है। 

एस० डी० तिवारी 


  

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