चली मुनिया
घर बार छोड़ के
नयी दुनिया
डाले लहंगा
उम्मीद से महंगा
नयी दुल्हन
हुई दिल की हार
फूलों का हार
हाथ में जयमाला
ताके गर्दन
रो रहे माता पिता
चाचा व भाई
पूरा घर आँगन
नई दुल्हन
घर आँगन
हो रही रुनझुन
नई दुल्हन
सजी दुल्हन
हाथ में जयमाला
लक्ष्य गर्दन
छोटी बहन
आई सुन्दर भाभी
ख़ुशी की चाभी
नयी नवेली
मेहदी की लाली में
पिया की हो ली
नए हो गए
घर दरोदीवार
नयी दुल्हन
घर चहक उठा
आई दुल्हन
बदली फ़िज़ा
आते ही घर पर
नयी दुल्हन
बहियों भरी
आई नई नवेली
चूड़ियाँ हरी
आते ही जन्मे
घर में नए रिश्ते
नई दुल्हन
रही होती तो
आज दुल्हन होती
गिरवा दिया
पचास लोग
होंगे बिन दुल्हन
हज़ार में से
बसंत ऋतु
धरती बन जाती
एक दुल्हन
नयी दुल्हन
चाची भाभी ननद
नए संबंध
दुल्हन आई
द्वार खड़ी ननद
द्वार छेकायी
आने ना देगी
बहन बिना नेग
नई दुल्हन
दुल्हन पीछे छोड़
सखी सहेली
कैसा चलन
हो ना पाये दुल्हन
विधवा मन
बच्चे को दूध
कैसे पिला पायेगी
वो दूध पीती
मायका ससुराल
दोनों का ख्याल
बड़ी हो जाती
ससुराल आकर
दुनिया और
बंध गये हैं
आने पर दुल्हन
बिट्टू के पांव
पिया का संग
ग्यारह बन जाती
एक को पाके
शुरू हो गयी
तीन टांग की दौड़
आई दुल्हन
जहाँ पा गयी
पाके पिया का संग
हुई दबंग
गुण मिलाते
पर गुण न गाते
दुल्हन लाके
चारदीवारी
तोड़ हुई बाहर
नई दुल्हन
रात हो गयी
जाग उठे नींद से
चाँद सितारे
हो गयी रात
किससे कह डालूँ
मन की बात
रात हो गयी
उनकी यादों में ही
नींद खो गयी
हुआ सपना
घूंघट का उठाना
पल्लू गायब
लाड़ छोड़ के
मैके से चली लाडो
राज करने
रचाये बिना
रचता स्वयम्बर
फेस बुक पे
*******
स्वर्ग से आई
घर में ख़ुशी छाई
नन्हीं सी परी
अंगना सुन
बेटी की रुनझुन
खिल उठता
कोई न और
समझा कमजोर
बेटी को कुल
हो गयी बड़ी
बेटी होगी परायी
सोच के रोये
नहीं है कम
रखती पूरा दम
बेटे से बेटी
दो घर बार
थाम के पतवार
खेती है बेटी
होतीं बेटियां
बलात की शिकार
हमें धिक्कार
गालों की राह
टपक रहे मोती
बेटी को डांट
बच्चे को दूध
कैसे पिला पायेगी
वो दूध पीती
बेटी का होता
मायका ससुराल
दोनों का ख्याल
बड़ा हो जाता
ससुराल आकर
बेटी का लोक
चली मुनिया
घर बार छोड़ के
नयी दुनिया
हुए बेहाल
विदा हो ससुराल
गयी ज्यों बेटी
गयी बहार
अपने ससुराल
गयी जो बेटी
बेटी से होती
आंगन की खुशबू
अद्भुत फूल
बेटी चाहती
बस पिता का प्यार
धन से तोबा
******
बाप की इच्छा
बेटी दिखे हंसती
ससुराल जा
चहक उठा
पूरा घर आँगन
नई दुल्हन
आते ही जन्मे
नए नए सम्बन्ध
नयी दुल्हन
दुल्हन आई
द्वार खड़ी ननद
द्वार छेकायी
चली अकेली
दुल्हन पीछे छोड़
सखी सहेली
गुण मिलाते
पर गुण न गाते
बहू को लाके
पाये व्यव्हार
बहू भी बेटी जैसा
देगी दुलार
मैके देवकी
ससुराल यशोदा
बेटी की दो माँ
पायेगी बहू
देगी घर संवार
बेटी सा प्यार
बहू हो जाती
घर की पतवार
पाकर प्यार
हो जाती खुश
पुकारें बेटी कह
सास ससुर
घर की कश्ती
बहू सवारी नहीं
नाविक होती
कैसा हिसाब
बेटे को पूरी छूट
बहू को खूंट
स्वर्ग से आई
घर में ख़ुशी छाई
नन्हीं सी परी
अंगना सुन
बेटी की रुनझुन
खिल उठता
कोई न और
समझा कमजोर
बेटी को कुल
हो गयी बड़ी
बेटी होगी परायी
सोच के रोये
नहीं है कम
रखती पूरा दम
बेटे से बेटी
दो घर बार
थाम के पतवार
खेती है बेटी
होतीं बेटियां
बलात की शिकार
हमें धिक्कार
गालों की राह
टपक रहे मोती
बेटी को डांट
बच्चे को दूध
कैसे पिला पायेगी
वो दूध पीती
बेटी का होता
मायका ससुराल
दोनों का ख्याल
बड़ा हो जाता
ससुराल आकर
बेटी का लोक
चली मुनिया
घर बार छोड़ के
नयी दुनिया
हुए बेहाल
विदा हो ससुराल
गयी ज्यों बेटी
गयी बहार
अपने ससुराल
गयी जो बेटी
बेटी से होती
आंगन की खुशबू
अद्भुत फूल
बेटी चाहती
बस पिता का प्यार
धन से तोबा
******
बाप की इच्छा
बेटी दिखे हंसती
ससुराल जा
चहक उठा
पूरा घर आँगन
नई दुल्हन
आते ही जन्मे
नए नए सम्बन्ध
नयी दुल्हन
दुल्हन आई
द्वार खड़ी ननद
द्वार छेकायी
चली अकेली
दुल्हन पीछे छोड़
सखी सहेली
गुण मिलाते
पर गुण न गाते
बहू को लाके
पाये व्यव्हार
बहू भी बेटी जैसा
देगी दुलार
मैके देवकी
ससुराल यशोदा
बेटी की दो माँ
पायेगी बहू
देगी घर संवार
बेटी सा प्यार
बहू हो जाती
घर की पतवार
पाकर प्यार
हो जाती खुश
पुकारें बेटी कह
सास ससुर
घर की कश्ती
बहू सवारी नहीं
नाविक होती
कैसा हिसाब
बेटे को पूरी छूट
बहू को खूंट