Thursday, 19 July 2018

Tirange me lipat


तिरंगे में लिपट कर आया है।  
दूध न पानी, खून से नहाया है।  

संजोये हुए था जिंदगी के सपने,
छीन लिया समय से पहले ही रब ने।   
जवानी में देश की सेवा की ठानी,  
बुढ़ापे में संवारेगा गांव को अपने।  
यौवन राष्ट्र की भेंट चढ़ाया है।  
तिरंगे में लिपट कर आया है।  
  
किसी का भाई और किसी का लाल था।  
अरि के लिए खड़ा सीमा पर काल था।  
कर रखा राष्ट्र को वो साँसे समर्पित,     
सुरक्षा के हेतु धरा रूप विकराल था।  
भय से उसके रिपु बहुत थर्राया है। 
तिरंगे में लिपट कर आया है। 

गत वर्ष पति बना, पिता बनने वाला था। 
देश भक्ति में खुद को पूरा ढाला था। 
इन खुशियों से दूर बहुत, महावीर वो,  
सीमा पर डंटा देश का रखवाला था। 
वतन के लिए प्राण गंवाया है। 
तिरंगे में लिपट कर आया है। 

आज देश, गांव, आसमान रो रहा है। 
खेतों की फसल व खलिहान रो रहा है। 
राष्ट्र के कर्म वीर का शव जलाकर,
भभक भभक कर श्मशान रो रहा है।  
आया है, वो शहीद की काया है। 
तिरंगे में लिपट कर आया है। 

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