Tuesday, 10 July 2018

Haiku July 2018


नहा धोकर
बरसात में हुए
वृक्ष सुन्दर

पाने को कुछ
दिखाते हैं जो प्रेम
होता फरेब

प्रसन्न होगा
भर देगा वो घर
चिंता न कर

कभी न सोता
किसी पल पुकारो
सुन वो लेता

कहीं तो होगा
एक दिन हमारी
वो सुन लेगा




गमों को हम कैसे भुलाते,
जगी यादें कैसे सुलाते!
दी होती न वो साथ मेरा। 
क्या सखे साजन ? नहिं सखे मदिरा।

बड़े बड़ों का भूत उतारा,
पड़ा रहता कोने बेचारा।
इसके बिना न उड़ता झंडा।
क्या सखि साजन ? नहिं सखि डंडा। 

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