Monday, 3 April 2017

Maine dilli dekha hai


दिल्ली के दिल तक / दिल्ली के झरोखे
दिल्ली के गिले शिकवे /

कई हजार सालों से, बाजोश चलने का सिलसिला है।
दिल्ली लोगों का ही नहीं, कई शहरों का काफिला है। 

इतिहास से भी लंबा है, दिल्ली के चलने का सफर।
चलता चला आ रहा, महाभारत से भी पहले से शहर।  
कारवां में जुड़े इंद्रप्रस्थ से लेकर सूरजकुंड, सीरी,
फिरोजाबाद, लालकोट, तुग़लकाबाद, महरौली,
दीनपनाह, शाहजहानाबाद, लुटियन्स, लालकिला है।
दिल्ली लोगों का ही नहीं, कई शहरों का काफिला है। 

कई बार उजड़ी, बसी और बेआबरू भी होती रही।
अपनों के दिए घाव लिए, बेबस होती और रोती रही।
बेइंतहां दर्द सहती रही, कभी उफ़ तक न की मगर।
इतना बड़ा है कि इसके दिल में सारे देश का बसर।
जो भी समा गया दिल में, फिर कभी नहीं निकला है।  
दिल्ली लोगों का ही नहीं, कई शहरों का काफिला है। 

ऊंट, घोड़ों पर कभी थी, अब बस, मेट्रो में चलती है।
संकरी गलियों से निकल, फ्लाईओवर पर उड़ती है।
हाट, बाजार से चलकर, ये शॉपिंग माल में आ गयी।
एक्का, तांगा से उतरकर, बड़ी मोटर कार में आ गयी।
पार्किंग का पचड़ा, इतना बड़ा, पड़ोसियों में गिला है।
दिल्ली लोगों का ही नहीं, कई शहरों का काफिला है। 

यधिष्टिर की सच्चाई और ग़ालिब की थी शान यहाँ।
पृथ्वीराज की बहादुरी, भारतवर्ष की पहचान यहाँ।
इंसान तो बहुत रहते, पर इंसानियत कम ही रहती।
कब्जियाने की होड़, हवस की सबकी कहानी कहती।
लूटने खसोटने का हुनर, इसे विरासत में मिला है।
दिल्ली लोगों का ही नहीं, कई शहरों का काफिला है। 

धरम करम बढ़ चढ़ कर होता, नियत मगर ख़राब है। 
सस्ता, महंगा, घटिया, नकली घपले से बिक जात है।
कभी लोग सीधे चलते, अब गाड़ी दौड़ाते आड़े, तिरछे। 
छोटे रास्ते के चक्कर में, चल देते कई बार हैं उलटे।
अपना उल्लू साधना, बना हर सख्श का मसला है। 
दिल्ली लोगों का ही नहीं, कई शहरों का काफिला है। 



दिल्ली के बारे में जितना कहा जाय उतना ही कम है।  इसका लम्बा और रुचिकर इतिहास सभी के मन और मस्तिष्क पर आच्छादित है। दिल्ली, अपने में जो इतिहास और संस्कृति समेटे हुए है, पूरे विश्व में कहीं भी देखने, सुनने को नहीं मिलता। कहते हैं दिल्ली भारत का दिल है। मैं तो कहता हूँ दिल्ली भारत ही नहीं अपितु दिल्ली में जो भी बसा है उन सबके दिल में बसती है। दिल्ली की अच्छाईयों का अनुमान तो इसी बात से लगाया जा सकता है, कि यहाँ आने वाला, दिल्ली का ही होकर रह जाता है। इसका मुख्य कारण यही है, कि दिल्ली भी उसके मन में रस बस जाती है। दिल्ली की जनसँख्या प्रत्येक वर्ष बढ़ जाना इसका प्रमाण है।दिल्ली में हर रहने वाले को कई प्रकार के खट्टे मीठे अनुभवों का सामना करना पड़ता है। यहाँ के वासी, मिठास का आस्वादन तो करते ही रहते हैं। इसलिए मैंने कुछ खट्टे पकवानों पर अधिक ध्यान दिया है, जिसे अपनी कुछ कविताओं के द्वारा आपको परोसने का प्रयत्न किया है।  दिल्ली की सुव्यवस्था जहाँ हरेक को अपनी ओर आकर्षित करती है वहीँ कई बातें ऐसी भी होती हैं, जो दिल को झकझोर देती हैं। अलग अलग झरोखों से दिल्ली को मैं कैसे देखता हूँ, इस पुस्तक में हास्य व्यंग्य रचनाओं द्वारा, कुछ सन्देश देने के साथ, पाठकों के मनोरंजन का ध्यान रखते हुए, कुछ दृश्य प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया हूँ।

इस पुस्तक के अतिरिक्त मैंने हाइकु काव्य, कहानियां, गजल, हिंदी काव्य और अंग्रेजी की कविताओं की कई पुस्तकें लिखी हैं, जो पाठकों को शीघ्र उपलब्ध होंगी। मेरी कुछ रचनाएँ आभासी दुनियां यानि कि इंटरनेट की विभिन्न वेब साईटों पर भी प्रकाशित होती रहती हैं, जहां पाठकों का भरपूर प्यार मिलता रहता है। मैं उन सभी पाठकों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। उम्मीद है आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद निरंतर मिलता रहेगा, क्योंकि आपके स्नेह से प्रेरित मेरी कलम, रुकने वाली नहीं है।

                                                                                                          एस० डी० तिवारी




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