Sunday, 16 April 2017

Ganv se dilli


खाली था, निठल्ला था,
पढ़ाई के मामले में झल्ला था।
खेती न भाती, लोग खिल्ली उड़ाते ;
एक दिन बैग उठाये, गांव से दिल्ली आये।
पहले तो नौकरी पकड़ी,
पगार कुछ खास न थी, लगा ली रेहड़ी।
मामला जम गया,
अपने काम में रम गया।
कुछ पैसे कमा लिया,
थोड़ी धाक जमा लिया।
और कुछ लोगों का प्यार जीता,
बन गया रेहड़ी, पटरी यूनियन का नेता।
किस्मत का साथ था,
एक सांसद का सिर पर हाथ था,
धीरे धीरे समय बीता,
वह पार्षद का चुनाव जीता।

अब तो उसकी दुनिया बदल चुकी थी।
बुरे दिनों की शाम ढल चुकी थी।
कभी नंगी खटिया पर सो जाता था,
अब आठ इंच का नरम गद्दा था ।
कभी चोखा लिट्टी खा लेता था,
अब दाल मक्खनी, कभी आर्डर का पिज्जा था ।
पहन लेता,
गांव का दरजी, जैसा भी सिल देता।
अब तो बन चुका है,
ब्रांडेड पोशाक का क्रेता।
पेड़ के नीचे जुड़ा लेता,
अब ऐसी की ठंडी हवा खाता है।
टूबवेल पर खुले में नहा लेता,
चिटकनी लगाकर फव्वारे से नहाता है।
प्रातः उठकर खेत की ओर हो आता,
अब कार से टहलने जाता है।
गांव का चक्कर लगा सबसे मिल आता,
अब मिलने वालों का तांता लग जाता है।
खेत अपना खुद सींच आता था,
अब गमले में पानी डालने माली आता है।
बन्दर जैसे पेड़ों पर चढ़ जाता था,
अब व्यायाम के लिए जिम जाता है।
तैरने का शौक पोखरे में पूरा होता
अब स्विमिंग पूल में कोच सिखाता है।
खुद गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ा,
बेटा इंटरनेशनल स्कूल जाता है।
खुद लेमनचूस के लिए रोता था,
बेटा इम्पोर्टेड चॉकलेट खाता है।
अपने बिना स्त्री की कमीज पहनता,  
बेटा टाई लगाता है। 
बाप के रुतबे और पैसे का फायदा,
उससे ज्यादा बेटा उठाता है।

समय के साथ स्थिति बदल गयी,
धीरे धीरे तोंद निकल गयी।
एकाध रोगों  ने देह में घर कर लिया, 
उच्च रक्त चाप ने पकड़ लिया।
चेक करने डॉक्टर घर आता है।
खाने में, कई कुछ छोड़ने की,
नसीहत दे जाता है।
सर्विकल दर्द के मारे,
अब तखत पर सोना पड़ता है। 
मधुमेह की शिकायत है,
मिठाई देख कर रहना पड़ता है।
पार्टियों में अब भी जाता है, 
पर पूड़ी टुंग कर खाता है।
दो बड़ी कारें द्वार पर खड़ीं
टहलने दो किलोमीटर पैदल जाता है।
दिमाग को तनाव खा जाता है,
चुनाव में हार का डर सताता है।
नेता जी को छोड़कर अकेला,
बेटा पढ़ लिख कर विदेश चला।
घर पर अकेलापन लगता है,
मानो घर काटने को दौड़ता है।
चमचों ने भी मुंह मोड़ लिया है,
उनके यहाँ आना जाना छोड़ दिया है।
नेता जी सोचते, क्या खोया क्या पाया
जहाँ से चला था, फिर वहीँ आया।




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