माननीय सदस्यों / मित्रों, १ मई २०१७ से ३ मई २०१७ तक साहित्यिक मधुशाला के मंच को संचालित करने हेतु, एक बार पुनः मुझे आमंत्रित किया गया है। समूह के एडमिन व सदस्यों का आभार। तो १ से ३ मई २०१७ तक आप को जिस विषय पर हाइकु लिखना है वह है -
'सब्जी' यानि कि शाक, साग, तरकारी, भाजी आदि; सब जी !
जी हाँ, ३ मई तक सुन्दर भाव और बिम्ब डालकर स्वादिष्ट और गुणकारी सब्जी पकाकर आपको हाइकु के रूप में परोसना है। हाँ, किसी को कुछ पसंद होता है, किसी को कुछ; तो हर प्रकार की सब्जी परोसिये, चाहे करेला हो या कद्दू, क्या पता किसको क्या पसंद आये। और आपके हाइकु में खेत से लेकर रसोई, और मुंह तक जाने की यात्रा का कोई भी प्रसंग सम्मिलित हो सकता है। मेरा एक हाइकु -
घर की भिंडी
मिल रहा अपने
स्वेद का स्वाद
आपकी लेखनी से उत्तम, आनंद पूर्ण व रुचिकर हाइकु के सृजन की अपेक्षा के साथ, आपका -
- एस० डी० तिवारी
इलायची की गंध
मन करता
खाने को कभी कभी
बैगन भर्ता
किसी का हाथ
बेशर्म बन आलू
लेता है थाम
नीचे को चला
थैले में टमाटर
गया मसला
होने पे बंद
सब्जी मंडी में शुरू
गायों का मेला
कड़वा लागे
पर करेला खा के
मधु तो भागे
सब्जियां हरी
पौष्टिकता से भरी
स्वास्थ वर्धक
बनी जो लौकी
मुझे नहीं है खाना
गुड़िया भौंकी
साग पालक
विटामिन के साथ
रक्तवर्धक
रूला देती है
अपने हत्यारे को
कटती प्याज
सुगंध भरी
धनिया की चटनी
स्वाद अपनी
बनी पालक
अनशन करके
बैठे बालक
हरा सलाद
भोजन में शामिल
उत्तम स्वास्थ्य
बनी जो तोरी
नाक मुंह सिकोड़ी
बिटिया मेरी
किसी का होता
कटे आलू बेचारा
भोज भंडारा
स्वाद जमाता
आलू सब्जी का राजा
चिढ़ता आलू
खा जाता है करेला
चीनी उसकी
किसी का हाथ
थाम लेती है प्याज
हुई बेशर्म
चले न काम
मटर हो या चना
प्याज के बिना
भाता है मन
भर कर बैगन
तवे पे भुना
भाई न सब्जी
मां व बेटी में ठनी
टिंडे की बनी
स्वाद से भरी
टमाटर पड़ के
सब्जी की तरी
जाते ही भिंडी
दिखाने लगी भाव
खेत से मंडी
सजा सलाद
ऊपर रखकर
धनिया पात
मूली गाजर
पक्का
आलू गोभी का स्थान
***************
कोफ्ता में डाला
डाला गर्म मसाला
विस्मृत सब
मसालों का मिश्रण
दादी का दिया
कम या ज्यादा
कर देता बर्बाद
नमक स्वाद
सब्जी व दाल
पा हल्दी की संगत
पाते रंगत
हींग तड़का
लगते ही दाल में
घर महका
सबका हाल
छींक कर बेहाल
मिर्च की छौंक
आधी अधूरी
मसाले की दुनिया
बिना धनिया
बनाई पत्नी
धनिया की चटनी
महका घर
मिर्च लगाई
ऑंखें बुझाने आईं
मुंह में आग
देता सलाद
बुरक काली मिर्च
उत्तम स्वाद
आम के साथ
चटनी का स्वाद
लाता पुदीना
खिल उठता
जल जीरा का रंग
पुदीना संग
गर्मी में देता
उदर को राहत
दवा पुदीना
काली कलूटी
बिना हल्दी के दाल
स्वाद भी रूठी
कई रोगों का
मसालों में शामिल
मेथी निदान
सब्जी में पड़
कई फायदे देती
भेषज मेथी
कई रोगों का
आयुर्वेद में तोड़
जीरा बेजोड़
अजवाइन
सब्जी होती सुपाच्य
साथ में स्वाद
गर्म मसाला
थोड़ा सा ज्यादा डाला
बदहजमी
हींग तड़का
लगते ही दाल में
घर महका
सबका हाल
छींक कर बेहाल
मिर्च की छौंक
सर्दी में चाय
अदरक डाल के
सबको भाय
श्वेत गुलाबी
लगते हैं शराबी
सेव के फूल
लाये बसंत
पतझड़ में भूल
सेव के फूल
रूप पे अलि
लुभाये चले आते
सेव की कली
गुणों का फल
देता है एक दिन
सेव का फूल
लेकर खड़ी
पांच पांच पंखुड़ी
सेव की कली
गंध से भरी
हर एक पंखुड़ी
चंपा की कली
नन्हां सा दिल
लगती अनखिली
चंपा की कली
देवता देवी
प्रसन्न कर देती
चंपा की कली
'सब्जी' यानि कि शाक, साग, तरकारी, भाजी आदि; सब जी !
जी हाँ, ३ मई तक सुन्दर भाव और बिम्ब डालकर स्वादिष्ट और गुणकारी सब्जी पकाकर आपको हाइकु के रूप में परोसना है। हाँ, किसी को कुछ पसंद होता है, किसी को कुछ; तो हर प्रकार की सब्जी परोसिये, चाहे करेला हो या कद्दू, क्या पता किसको क्या पसंद आये। और आपके हाइकु में खेत से लेकर रसोई, और मुंह तक जाने की यात्रा का कोई भी प्रसंग सम्मिलित हो सकता है। मेरा एक हाइकु -
घर की भिंडी
मिल रहा अपने
स्वेद का स्वाद
आपकी लेखनी से उत्तम, आनंद पूर्ण व रुचिकर हाइकु के सृजन की अपेक्षा के साथ, आपका -
- एस० डी० तिवारी
इलायची की गंध
बिकती सब्जी
होती जिस रंग की
जला के बत्ती मन करता
खाने को कभी कभी
बैगन भर्ता
किसी का हाथ
बेशर्म बन आलू
लेता है थाम
नीचे को चला
थैले में टमाटर
गया मसला
होने पे बंद
सब्जी मंडी में शुरू
गायों का मेला
कड़वा लागे
पर करेला खा के
मधु तो भागे
पौष्टिकता से भरी
स्वास्थ वर्धक
बनी जो लौकी
मुझे नहीं है खाना
गुड़िया भौंकी
साग पालक
विटामिन के साथ
रक्तवर्धक
रूला देती है
अपने हत्यारे को
कटती प्याज
सुगंध भरी
धनिया की चटनी
स्वाद अपनी
बनी पालक
अनशन करके
बैठे बालक
हरा सलाद
भोजन में शामिल
उत्तम स्वास्थ्य
घर की भिंडी
मिल रहा अपने
स्वेद का स्वाद
नाक मुंह सिकोड़ी
बिटिया मेरी
कटे आलू बेचारा
भोज भंडारा
स्वाद जमाता
आलू सब्जी का राजा
सबके साथ
खा जाता है करेला
चीनी उसकी
थाम लेती है प्याज
हुई बेशर्म
चले न काम
मटर हो या चना
प्याज के बिना
भाता है मन
भर कर बैगन
तवे पे भुना
भाई न सब्जी
मां व बेटी में ठनी
टिंडे की बनी
स्वाद से भरी
टमाटर पड़ के
सब्जी की तरी
जाते ही भिंडी
दिखाने लगी भाव
खेत से मंडी
सजा सलाद
ऊपर रखकर
धनिया पात
मूली गाजर
पक्का
आलू गोभी का स्थान
***************
कोफ्ता में डाला
डाला गर्म मसाला
विस्मृत सब
मसालों का मिश्रण
दादी का दिया
कर देता बर्बाद
नमक स्वाद
सब्जी व दाल
पा हल्दी की संगत
पाते रंगत
लगते ही दाल में
घर महका
सबका हाल
छींक कर बेहाल
मिर्च की छौंक
आधी अधूरी
मसाले की दुनिया
बिना धनिया
बनाई पत्नी
धनिया की चटनी
महका घर
मिर्च लगाई
ऑंखें बुझाने आईं
मुंह में आग
देता सलाद
बुरक काली मिर्च
उत्तम स्वाद
आम के साथ
चटनी का स्वाद
लाता पुदीना
खिल उठता
जल जीरा का रंग
पुदीना संग
गर्मी में देता
उदर को राहत
दवा पुदीना
काली कलूटी
बिना हल्दी के दाल
स्वाद भी रूठी
कई रोगों का
मसालों में शामिल
मेथी निदान
सब्जी में पड़
कई फायदे देती
भेषज मेथी
कई रोगों का
आयुर्वेद में तोड़
जीरा बेजोड़
अजवाइन
सब्जी होती सुपाच्य
साथ में स्वाद
गर्म मसाला
थोड़ा सा ज्यादा डाला
बदहजमी
हींग तड़का
लगते ही दाल में
घर महका
सबका हाल
छींक कर बेहाल
मिर्च की छौंक
सर्दी में चाय
अदरक डाल के
सबको भाय
गुणों के साथ
लहसुन व प्याज
स्वाद का राज
रखना पथ्य
अधिक मसालों से
अधिक मसालों से
वैद्य का कथ्य
सब्जी क्या खाक
मसाला नहीं डाला
सब्जी क्या खाक
मसाला नहीं डाला
**************
लगते हैं शराबी
सेव के फूल
लाये बसंत
पतझड़ में भूल
सेव के फूल
रूप पे अलि
लुभाये चले आते
सेव की कली
गुणों का फल
देता है एक दिन
सेव का फूल
लेकर खड़ी
पांच पांच पंखुड़ी
सेव की कली
8888888888888
लेकर खड़ी
कचनार की कली
पांच पंखुड़ी
भाजी बनाने
कचनार की कली
बाजार चली
लान सजा दी
कचनार की कली
नाजों की पली
रंग बिखेर
कचनार की कली
बसंती हो ली
रोगों में कई
कचनार की कली
गुणों की वरी
********************
गले में डाला
गूँथ के वरमाला
चंपा के फूल
गुणों को जाना
आयुर्वेद बखाना
चंपा के फूल
मानव सत्व
दर्शाता पांच तत्व
चंपा का फूल
सुकून भर
लेते तनाव हर
चम्पा के फूल
गमों से दूर
लेकर चले जाते
चंपा के फूल
करते वास
रंग रूप व बास
चंपा के फूल
गोरी का जूड़ा
महकाता चलता
चंपा का फूल
गंध से भरी
हर एक पंखुड़ी
चंपा की कली
करता शुद्ध
चमन चितवन
चंपा का फूल
नन्हां सा दिल
लगती अनखिली
चंपा की कली
देवता देवी
प्रसन्न कर देती
चंपा की कली
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