Tuesday, 4 April 2017

Dilli haiku





दिल्ली निराली
जो कोई आया यहाँ
उसको पाली

कानून बना
चले जाते तोड़ने
गांव अपने

क़ुतुब मीनार :: रक्खे दिल्ली को ऊँचा

जर जमीर
क्या नहीं बिक जाती
दिल्ली की गली

दिल्ली ने दिया
शायरी की निशानी
मिर्जा ग़ालिब

 जंतर मंतर :: पत्थरों पर ज्योतिष


देश भर की
दिल्ली में  दिख जाती
छोटी सी झांकी

चलते देखे
हाइवे पर उलटे
दिल्ली के रिक्शे


सिग्नल जम्प !
लाइसेंस दिखाओ
फ़ोन की धौंस

रोक रोक के
थक जाती पुलिस
संसद मार्च

भीड़ में खाली
कर देती है जेब  

दिल्ली की बस

काला  होकर
यमुना का तो नीर
रहता स्थिर

होती सबकी
दाल चावल सब्जी
अलग मंडी

ले गए गोरे
लालकिला के रत्न
पत्थर छोड़े

बन संवर
माल में तितलियां
सांझ पहर

जेब थी खाली
गुरूद्वारे जाकर
लंगर खा ली

कौड़िया पुल
हर मंगलवार
लंबी कतार

माँ कात्यायनी
आकर बस गयी
छतरपुर

होते ही शाम
शराब की दुकान
मधु का छत्ता

जामा मस्जिद
मछली की महक
रही न अब

जामा मस्जिद 
कबूतर भी होते 
साथ नमाजी

जुम्मे को जामा
हजारों की नमाज
साथ में आज

पुराना किला!
ऑटो वाले भइया
नहीं रिठाला

देख चाहे जी
गाड़ी छोड़ दें वहीँ
ट्रैफिक जाम

स्कूल भी ढाबा
और पांच सितारा
दिल्ली में शिक्षा

सड़क पर
एक साथ घूमते
सांड़ व कुत्ते

कहीं न खाली
पटरी पे चलती
दुकानदारी

दिल्ली भकोसे
पानी-पूरी समोसे
छोले पठूरे

दोना लेकर
रोपती पानी पूरी
जीभ चटोरी


मिलने पर
मॉल को रुख सीधे
बॉय फ्रेंड के

दिखाना किसे
देख लेता है कोई
गले की चेन

सैकड़ों गांव
दिल्ली है लील चुकी
अभी भी भूखी

एक से उन्चास 
न शून्य न पचास
दिल्ली का ताप

एक ही गुर्दा
अस्पताल से लाये
वापिस मुर्दा


निकाला और
निकालना था और
डॉक्टर दांत

रोड पे लोग
गुजारने को खड़े

नेता की गाड़ी

नीचे की गाड़ी
निहारती ऊपर
फ्लाईओवर

बांटने वाले
अनेक मिल जाते
मुफ्त का ज्ञान

शांति की खोज
कमल मंदिर
अक्षर धाम

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