Tuesday, 16 May 2017

Motiyon ki ladi

मोतियन की लड़ी

गर्व से झूमी
मोतियन की लड़ी
गले में पड़ी

ले आये पिया
मोतियन की लड़ी
डोरी थी बड़ी

मुक्ता की माला
पहनी तो सास की
आँखों में गड़ी

कीमत बढ़ी
अंगूठी की जैसे ही
मोती से जड़ी

मोती की लड़ी
थी दुकान में धरी
मन में चढ़ी

सखी ले आई
मोतियन की लड़ी
अँखियाँ गड़ीं

मोती  का हार
खोया तो बह चली
अश्रु की झड़ी

कभी हार में
कभी ताज में मोती
जाकर मढ़े

जैसे ही मोती
हो जाता अनमोल
सीप से कढ़े

ग्रह की शांति
पहन के अंगूठी
मोती की जड़ी


कोई न मोल
रह जाये जो मोती
सीप में पड़ी

पहने हार
मन की शांति बड़ी
मुक्ता की जड़ी

चमक  रहा
अंगूठी में सफ़ेद
नन्हां सा चाँद


सीधे ही आई
प्रकृति से जो मोती
कीमती बड़ी

मढ़ी
खड़ी





तुम्हीं तो आये

नींद न आयी
रात देर सुलाने
तुम्हीं तो आये

किरणें भेज
होते भोर जगाने
तुम्हीं तो आये

भूखे थे हम
छींट अन्न खिलाने
तुम्हीं तो आये 

प्यास लगी जो
जल ले के पिलाने
तुम्हीं तो आये

नग्न थे हम
तन वस्त्र ओढ़ाने  
तुम्हीं तो आये

सुना था मन
बीच प्यार बसाने 
तुम्हीं तो आये

वर्षा बसंत
ये मौसम सुहाने
तुम्हीं तो लाये

प्यासी अँखियाँ
लिए छवि निराली 
तुम्हीं तो आये

जलने लगी
पृथ्वी को नहलाने 
तुम्हीं तो आये

काँपा ये जग
लिए धूप गर्माने 
तुम्हीं तो आये




तुम आ जाना

मुझमें पड़ा
खालीपन भरने
तुम आ जाना 

मुझे सुलाने 
रात लोरी सुनाने 
तुम आ जाना 

तुम्हें जोहूंगी 
कभी किसी बहाने 
तुम आ जाना 

नशे का घूँट 
भर प्यार पिलाने
तुम आ जाना 

रोउंगी जब 
मुझे चुप कराने 
तुम आ जाना 

सजी रहूंगी 
नजर को लगाने
तुम आ जाना 

बन सहेली 
पहेली सुलझाने 
तुम आ जाना 

करुँगी मैं तो 
गलती पे मुस्काने
तुम आ जाना 

मुरझा जाए 
मन मेरा खिलाने 
तुम आ जाना 

होऊं उदास 
तो हंसाने हंसाने 
तुम आ जाना 

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