Sunday, 29 March 2015

Haiku gharelu / bachpan

पल्ले में दबी
छिपकली भाग ली
छोड़ के पूँछ

गिड़गिड़ाता
मकड़ी के जाल में
फंसा मच्छर

चिड़िया चुगी
मेहनत से दाना
गिरा चोंच से

लगी भर है
खिड़की की चौखट
दीमक चाटी

किया मैंने भी
मच्छरों के नाक में
धुएं से दम

चींटा खे रहा
कागज की बनाई
मुन्ने की नाव

गुर्रा उठता
शिशु खींचता जब
पिल्लै की पूंछ

पत्नी ने छेड़ा
रासायनिक युद्ध
तिलचट्टे से

गीत सुना के
हरते झींगुर जी
रात की नींद

भार हो जाता
लम्बी बीमारी हो तो
स्वयं का भार

चाट रही वो
खाके अपने होंठ
स्वादिष्ट चाट

जाल बिछा के
सो रहा है मकड़ा
फंसा मच्छर

धुलती दाल
पतीले में प्रलय
बेचारे घुन

झूमे मच्छर
शराबी का पीकर
रात में रक्त

भरे कप में
बना मक्खी का काल
चाय का पीना

झाड़ू लगाई
बिन बुलाये आई
चीटों की मौत

एक मच्छर
घुसा मच्छरदानी
साथ के लिए

बनना होता
सिपाही को भी चोर
बच्चों का खेल

लल्लू के लाल
चले पाठशाला खा
रोटी अचार

पहले चांटा
जिद्द करने पर
पा गया बाटा

हुई पिटाई
बिना गृह कार्य के
स्कूल जो आई

कहाँ खेलेंगे
गुल्ली डंडा का खेल
आज के बच्चे

मेरे लिए थे
हीरे से भी कीमती
जीते वो कंचे

हत्या कर दी
कातिल क्रिकेट ने
गुल्ली डंडा की

टाई न बूट
बड़े विद्वान गढ़े
गांव के स्कूल


ध्रुव प्रह्लाद
आदर्श से हो चुके
सांप्रदायिक

याद है अभी
चंदा मामा का कौर
माँ के हाथों से

पा के जो ख़ुशी
साईकिल में मिली
कार में कहाँ

घूम आते थे
पहने नए वस्त्र
पूरे गांव में

निकल जाती
खींचता पूंछ जब
पिल्लै की चीख

दादा बनाते
हम दोनों उड़ाते
कागजी यान

नींद आ जाती
बैठते ही पढने
मम्मी जगाती

हलके थे बस्ते
हुई पूरी पढाई
बिल्कुल सस्ते

जब भी पड़ी
मास्टर जी की छड़ी
अच्छे के लिये

दो दूनी चार
लगता बड़ा भार
याद करना

बच्चों को पीटा
मॉनिटर बनके
बैर ही जीता

द्रोण दधिचि
पुस्तकों से बाहर
क्या की गलती

मुँह बनाके
खाली चरखी ले के
छत से आते

नाली में जाती
निकाल खेल चालू
डंडे से बाल

गिरा धड़ाम
पनही पहन के
चला बाबा की

पंख लगाये
उड़े बचपन के
ढूँढूँ मैं दिन

पता न चला
कब हो गए चाँद
वो चंदा मामा

सिर पे साथ 
हैं माँ के दोनों हाथ
जुएं हेरते

नकली मूंछ
कालिख की बना के
बड़े हो जाते

याद करते
खेल में कवितायेँ
अंताकक्षरी

बड़े सबक
कहानियों से सीखा
पंचतंत्र की

छुप के गाते
अगर प्यार किया
तो डरना क्या

पचारा पोत
खड़िया से लिखते
काली तख्ती पे

नभ में थे ही
पत्रिका में भी प्यारे
थे चंदा मामा

सबसे प्यारे
तब थे बाबा दादी
अब हैं पोते 


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