Sunday, 22 March 2015

Shaheedon ka karj

दफ़न आज
शहीदों की मजारें
धन के नीचे

सूख चूका है
शहीदों का माटी से
खून जो सींचे

करती अब
राजनीति सवारी
सहादत पे

बन जाते हैं
नेता जी कारोबारी
सहादत के

गुलाल नहीं
शहीदों के खून से
लाल ये माटी

तुम्हें सौंपा है
शहीदों ने दे प्राण
सम्भाल माटी



शहीदों का कर्ज

खुशियां दी, जवानी दिया
जिंदगी की अपनी रवानी दिया।
वतन की रक्षा के वास्ते
शहीदों ने  क़ुरबानी दिया।

भगत, सुखदेव, राजगुरु और
मंगल ने खून से सींची माटी।
चन्द्र शेखर, सुभाष बोस के
प्राणों के मोल मिली आजादी।

शहीदों कि सूची बड़ी लम्बी
कितने नाम गुम भी गए हैं।
मगर प्राण और खून उनका
इस माटी में सन ही गए हैं।

उन्होंने दी थी क़ुरबानी कि
इस देश को आजादी मिले।
अपने बच्चों को गोदी लिए
भारत माँ मुस्कराती मिले।

आजाद देश की रक्षा में भी
शहीद हुए हैं वीर अनेक।
ताकि शांति, सुरक्षा में जिए
भारत माँ का पूत प्रत्येक।

नेता अधिकारी ऐसे हो चुके
बलिदानों की नहीं सोचते ।
देश को लावारिस जान के
अवसर पा गिद्ध सा नोचते ।

जात, धर्म और पैसे में बाँट
बहुत से लोग कर रहे हैं ठाट।
भोले भाले लोगों के देश के
साधनों का होता बन्दर बाट।

शहीदों के बलिदानों को भी
अब है पैसों से तोला जाता।
जो जितना अधिक बटोर ले
उसको ही बड़ा बोला जाता।

हमने कुछ पत्थर गाड़ कर
बस अपना फर्ज निभा लिया।
कुछ शहीदों के नाम खुदवा
शहीदों का कर्ज चुका दिया।

सबको न्याय नहीं मिले तो
यह देश कैसे है स्वतंत्र भला।
भ्रष्ट, दबंगों के पंजों जकड़ा
स्वस्थ कहाँ जनतंत्र भला।

भारत की यह तश्वीर देख
वे स्वर्ग में सर फोड़ते होंगे।
कोई कुबेर, कोई रंक आज भी
बलिदानों को कोसते होंगे।

जागो हे जन गण जागो
जाने न दो व्यर्थ बलिदान।
सम्मान चाहिए उन वीरों को
तुम्हारे लिए जो दिए थे प्राण।

भारत के हर वासी को मिल
शहीदों का कर्ज चुकाना होगा।
शहीदों के सपनों का भारत
मिलकर हमें बनाना होगा।




शहीदों ने दीं खुशियां सारी
न्यौछावर कर दिया अपने प्राण।
तब जाकर मिला ये तिरंगा
देश वाशियों को सम्मान।

ये विडम्बना, जो तिरंगा जलाता
मीडिया की सुर्ख़ियों में आता। 
जो तिरंगे में लिपट कर आता
उसकी न कोई गाता है गाथा।

बस दफ़न कर दिया जाता
उसे यह देश भूल जाता है

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