Monday, 23 March 2015

Haiku - akal / sookha

वर्षा की ऋतु
नदी में बह रही
गरम हवा

बच्चे करते
भीगे बिना ही पार
सूखे की नदी

सूखे तालाब
रात में पशुओं का
विश्राम स्थल

खाली हो गयी
किसान की कोठिली
पृथ्वी है प्यासी  

पड़ा अकाल
पक्षी गये विदेश
पशु बेहाल

सावन मास
दर्शन भी ना देते
रूठे बादल

अन्न आयात
सरकार तैयार
पड़ा अकाल

मेघा बरस
पानी दे तू पानी दे
जिंदगानी दे

हुई गठित
सूखा राहत कोष
खर्च समिति

मंत्री का देखे
सूखा क्षेत्र के बच्चे
हेलीकाप्टर

इन्द्र देवता!
आये सबको याद
पड़ा अकाल

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