लगती नारी
गहने से भी प्यारी
पहने हया
नहीं छुपता
गहने पहने भी
असली रूप
नहीं जचती
लगा के रूग्ण घोड़ी
लाल लगाम
जूड़े में लगे
फूल में दब जाते
सौ सौ गहने
डाल सजाया
सोने के आभूषण
मिट्टी की काया
डाल देती है
सुंदरता में जान
एक मुस्कान
खिले प्रसून
उद्यानों के गहने
देते शकुन
ढूंढें हीरे में
सुंदरता की खान
सुन्दर नारी
लाख आभूषण पे
अदा है भारी
पत्नी का प्यार
यदि पाना तो लाना
गले का हार
गोरी के माथे
खिलती बिंदी जैसे
नभ पे चाँद
चले ऊंट जी
पहन आभूषण
मेले बिकने
गुड़िया रानी
लाने झुमका हार
चली बाजार
पिया को भायी
चूड़ियाँ खनकाती
सजी कलाई
गला है सूना
कठिन खरीदना
मंहगा सोना
ननदी सुन
रात में रुन झुन
हंस पड़ती
प्यार की नदी
बहाती रहती हैं
फरमाइशें
बीच बैरन
बन जाती सौतन
रात नथनी
गांव की छोरी
चोटी में मुस्कराता
भूसे का तृण
गांव की गोरी
चूसे गन्ने की पोरी
झूमता तिल
लगा रखी है
हल्दी दूब का लेप
नाक छिदायी
भेद खोलती
चूड़ियों की चुगली
आधी रात को
गहने से भी प्यारी
पहने हया
नहीं छुपता
गहने पहने भी
असली रूप
नहीं जचती
लगा के रूग्ण घोड़ी
लाल लगाम
जूड़े में लगे
फूल में दब जाते
सौ सौ गहने
डाल सजाया
सोने के आभूषण
मिट्टी की काया
सुंदरता में जान
एक मुस्कान
खिले प्रसून
उद्यानों के गहने
देते शकुन
ढूंढें हीरे में
सुंदरता की खान
आचरण में
सुन्दर नारी
लाख आभूषण पे
अदा है भारी
पत्नी का प्यार
यदि पाना तो लाना
गले का हार
गोरी के माथे
खिलती बिंदी जैसे
नभ पे चाँद
चले ऊंट जी
पहन आभूषण
मेले बिकने
गुड़िया रानी
लाने झुमका हार
चली बाजार
पिया को भायी
चूड़ियाँ खनकाती
सजी कलाई
गला है सूना
कठिन खरीदना
मंहगा सोना
ननदी सुन
रात में रुन झुन
हंस पड़ती
प्यार की नदी
बहाती रहती हैं
फरमाइशें
बीच बैरन
बन जाती सौतन
रात नथनी
गांव की छोरी
चोटी में मुस्कराता
भूसे का तृण
गांव की गोरी
चूसे गन्ने की पोरी
झूमता तिल
लगा रखी है
हल्दी दूब का लेप
नाक छिदायी
भेद खोलती
चूड़ियों की चुगली
आधी रात को
अधेड़ दूल्हा
साली की ठिठोली
सरका विग
दिखाने के हैं
खाने को मोहताज
नकली दांत
पति हैरान
बाली ने खींच डाली
पत्नी के कान
************
रहे ना छुप
होंठ हों चाहे चुप
दिल की बात
बोले न होंठ
आँखों ने कह डाली
दिल की बात
ले आया हार
पूरी हुई पत्नी की
दिल की बात
कह लेने से
मन हल्का हो जाता
दिल की बात
दिल में रखे
मुह सुजाये बैठी
दिल की बात
ढूंढते प्रेमी
करने को एकांत
दिल की बात
किससे कहे
पिया है परदेश
दिल की बात
***********************
लोभ का जाल
खींच कर ले जाता
गहरे ताल
जब भी देखूं
बनारसी जलेबी
मुह में पानी
करता पार
विवेक पतवार
लोभ सिंधु से
मन की चाह
दुनिया की दौलत
हो मेरी राह
प्रेरणा स्रोत
बुराई का बनता
मन का लोभ
साली की ठिठोली
सरका विग
दिखाने के हैं
खाने को मोहताज
नकली दांत
पति हैरान
बाली ने खींच डाली
पत्नी के कान
************
रहे ना छुप
होंठ हों चाहे चुप
दिल की बात
आँखों ने कह डाली
दिल की बात
ले आया हार
पूरी हुई पत्नी की
दिल की बात
कह लेने से
मन हल्का हो जाता
दिल की बात
दिल में रखे
मुह सुजाये बैठी
दिल की बात
ढूंढते प्रेमी
करने को एकांत
दिल की बात
किससे कहे
पिया है परदेश
दिल की बात
***********************
लोभ का जाल
खींच कर ले जाता
गहरे ताल
बनारसी जलेबी
मुह में पानी
करता पार
विवेक पतवार
लोभ सिंधु से
मन की चाह
दुनिया की दौलत
हो मेरी राह
प्रेरणा स्रोत
बुराई का बनता
मन का लोभ
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