Friday, 3 April 2015

Haiku do arth

लेवा न सिला
कागज नहीं बना
लुगदी न थी

वो आया नहीं
पाजामा मिला नहीं
सिला नहीं था

मेघ से झाँका
घूंघट में से ताका
मेरे दो चाँद

चूल्हा न जला
इंजन नहीं चला
ईंधन न था

थाल गन्दा था
पतंग उडी नहीं
मंजा नहीं था

गाड़ी हिली ना
सामान गया नहीं
ठेला नहीं था

सिर में तेल
नहीं हो सका खेल
बिना बाल के

हाथ सूना था
नट कस ना पाया
चूड़ी गायब

रूठ के गयी
मानो ले के जाएगी
वो मेरी जान

रह ना पाया
दवाई नहीं खाया
बच्चा कल से


चिलगोजा की
तोड़ने में छटकी
पृथ्वी पे गिरी

रस्सी टूटी क्यों
हाथी हार क्यों गया
बल कम था

मन की मन
रजाई हुई मैली
पाई ना खोल

बाढ़ समाप्त
बिना चमक मोती
उतरा पानी

पड़ी दुलत्ती
चल गयी बन्दूक
छेड़ा जो घोडा

नारी की लम्बी
पर्वत की है ऊँची
सुन्दर चोटी

जले तो, ज्योति
देवता हों प्रसन्न
अगर-बत्ती

जाना था घर
बस हुई पंचर
फंसा चक्कर

घेर के आई
सूरज का प्रकाश
दिन में घटा

जैसे ही मेघ
चांदनी ने बिखेरा
नभ में छटा

बंधा ना घड़ा
हिम ना बना पानी
गला नहीं था

दर्द से चीखा
पांव में हुआ फोड़ा
जब वो फोड़ा

उसकी बुद्धि
तीव्रता में उदंड
हो गयी हवा

पिया उसने
उत्सव  के रंग में
हो गया भंग

वो नशे में क्यों
पार्टी शीघ्र ख़त्म क्यों
पड़ा था भंग

माँ प्रसन्न क्यों
सांड भड़का था क्यों
लाल को देखा

गद्दा दबा क्यों
कलाई खाली थी क्यों
कड़ा नहीं था

जूता तंग क्यों
सांभर बचा था क्यों
बड़ा नहीं था 

छटा जो मेघ
चांदनी ने बिखेरी
नभ में छटा

घटा जो घेरी
सूरज का प्रकाश
दिन में घटा


दिल में छुपा
आँखों ने बता दिया
बेपर्दा दिल

आँखे जो मिली
आँखों ने कुछ कहा
झुका ली आँखे

नींद सतायी
आँखों पे छींटा मार
भगायी नींद

नहीं भी बसो
किन्हीं आँखों में यदि
गिरना नहीं

पार्टी के बाद
फेंके पत्तल दोने
कुत्तों की पार्टी

टूटा खिलौना
देख नन्हें मुन्ने का
मन भी टूटा

कटी फसल 
किसान लाता घर 
चूहा बिल में 

वट का वृक्ष 
होता अति विशाल   
नन्हा सा गोदा


वृक्ष की डाली
पसरी बन बाहें
झूलते पत्ते

जग में नित
बिखराता किरणें
सूरज जग


दोना भर
गाजर का हलवा
हमें भी दो ना

चैन पाने को
ज्यादा धन कमाया
गंवाया चैन

मन में बैठा
उसे देख न पाता
भटका मन

होली का पर्व
चढ़ा भांग का नशा 
बिगड़ी होली


झांकता वक्ष
पड़ा है कमीज का
टूटा बटन

वर्षा की बूँद
नदी की राह चली
सिंधु की ओर
(संकुचित से विस्तृत बिम्ब )





अपेक्षा- इच्छा, आवश्यकता, आशा, इत्यादि। 
अंक- भाग्य, गिनती के अंक, नाटक के अंक, चिन्ह संख्या, गोद।
अर्थ- मतलब, कारण, लिए, भाव, अभिप्राय, धन, आशय, प्रयोजन।
अधर- धरती (आकाश के बीच का स्थान), पाताल, नीचा, होंठ। 
आराम- विश्राम, निरोग होना।
उत्तर- उत्तर दिशा, जवाब, हल, अतीत, पिछला, बाद का इत्यादि।

कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ ।

कनक- सोना, धतूरा, गेंहूँ।
खर- दुष्ट, गधा, तिनका, एक राक्षस।
खल- दुष्ट, धतूरा, दवा कूटने का खरल।
गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार।
गुण- कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, धनुष की डोरी।
गति- चाल, दशा, मोक्ष, हालत।

घन- बादल, अधिक, घना, गणित का घन, पिण्ड, हथौड़ा ।

जड़- मूल, मूर्ख।
ज्येष्ठ (जेठ)- पति का बड़ा भाई, बड़ा, हिन्दी महीना।

तीर- बाण, किनारा, तट।

दंड- सज़ा, डंडा, एक व्यायाम।
दल- समूह, सेना, पत्ता, हिस्सा, पक्ष, भाग, चिड़ी।
पद- चरण, शब्द, पैर, स्थान, ओहदा, कविता का चरण।
पानी- जल, चमक, इज्जत ।
फल- लाभ, मेवा, नतीजा, भाले की नोक।
बल- सेना, शक्ति।
भाग- हिस्सा, विभाजन, भाग्य।




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