Friday, 20 February 2015

Varsha ritu haiku

मित्रों, सदस्यों, माननीय कवियों

हाइकू लिखने का अगला विषय है ' वर्षा ऋतु'. 21.२.२०१५ से २५.२.२०१५ तक वर्षा ऋतु से सम्बंधित भाव, विचार, बिम्ब,दृश्य जिसमे  बादल, मेघ, घटा, सावन, वर्षा , बरसात आदि  सभी सम्मिलित हैं, पर हाइकू लिखना है. मेरे लिखे दो हाइकू उदहारण   स्वरुप निम्न हैं

झूम उठते
देखकर बादल
मोर किसान

घेर ली घटा
ज्यों घर से निकले
सावन माह

बूंदों की झड़ी
पपीहा ताके प्यासा
स्वाति की बूँद

बादल देख
कुम्भकार चिंतित
किसान मग्न

चले जा रहे
ऊपर से बादल
मैं जोहूं वाट

घुमड़ी घटा
उमड़ी बच्चा टोली
भीगने का जी

लगाया पौधा
वर्षों पश्चात मिला
आम का फल

खे रहे नाव
कागज की बना के
गड्ढे में बच्चे

धरा की आस
बुझाने हेतु प्यास
ताके मेघ को

तेज बारिश
स्कूल की हुई छुट्टी
बच्चों की मौज

दौड़ा बालक
बिछली से होकर
गिरा धड़ाम

पानी बटोर
बरसात का नदी
सिंधु की ओर

वर्षा बेहाल
हो गया उतावला
गांव का ताल

बूंदे टपका
बादलों ने बजाया
जल तरंग

मनवा झूले
सावन की फुहार
पेड़ों पे झूले

मंद हो जाता
जब घेरती घटा
सूर्य का तेज

दहाड़ कर
झगड़ते बादल
नभ में शोर

बरसा पानी
भर गयी गड़ही
चुई मड़ई

दिखाई देतीं
खेतों में बस मेड़ें
सावन भादों

तेज बारिश
सम्पूर्ण शहर की
मुफ्त धुलाई

बूंदों की चोट
गिर पड़ी फसल
हो के बेहोश

वर्षा के बाद
पेड़ों से बरसात
हवा का झोंका

चींटा खे रहा
बरसात के बाद
मुन्ने की नाव

दादुर मोर
बरसात की ख़ुशी
मचाते शोर

बोरे का गेहूं
रखे ही जाम गया
टपकी छत

छप्पर तले
खिसकती खटिया
छत में छेद


भिगो तो दूंगा
देना होगा मुझे ही
सूखे वस्त्र भी

आता सावन
विरहन के मन
लगाता आग

बुढऊ बाबा
चले खेत की ओर 
तान के छाता 



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