Tuesday, 10 February 2015

Hindi haiku 11.2.2015

छोटी के हाथ
घुनघुना के स्थान
थमाया जूना

कोई न होता
झूठे मन से बड़ा
टूटे से खड़ा

पुराने पड़े
कभी चाँद छुपता
बुर्के के पीछे

पेवन लगे
इस बुर्के में वृद्धा
कभी चाँद थी

चीलों का झुण्ड
कर देता सफाई
जीवों के शव

अकेले में भी
तन्हाई की रातों में
यादों का शोर

कुत्तों का भोज
कौवों के आ जाने से
खीशिया जाते
 
पत्नी के हित
किया समुद्र पार
राम का प्यार

विवाह किया
गौरा से हर बार
शिव का प्यार

वैलेंटाइन डे
बैठा दिया जोड़ों को
खुले मैदान

अन्यत्र जीत
फूल की दुकान पे
ढूंढते हार

प्रभु भुलाता
हमारी गलतियां
हम उसे ही


भोर सुहानी
है रोज की कहानी
लाता सूरज


पत्थर दिल
मंदिर जाकर भी
वही इंसान
पत्थर वहां जा के
हो जाता भगवान

माँ त्याग देती
अपनी सुंदरता को
पुत्र के लिए
पुत्र माँ को ही त्यागता
सुन्दर पत्नी हेतु 


No comments:

Post a Comment