Tuesday, 10 February 2015

Hindi Haiku Suraj

सूर्य का रथ
जुते सात तुरंग
खदेड़ा तम

मुख करे तो
परछाई भी पीछे
सूर्य की ओर

छांट देते हैं
घने बादलों को भी
रवि व सत्य

देता प्रेरणा
अँधेरा ही हमको
 खोजें दीप को

बदल देता
सूरज वहीँ बैठे
हवा का रूख

मुस्कराता ही
बादलों से झांकता
सूर्य सदैव

धरा का मुख
घूंघट में रहता
रवि न होता

वायु नाचता
सूर्य की धुन पर
पूर्वा पछुआं

सूरजमुखी
सूरज को देखते
अघाता नहीं

प्रकट होती
निशाचरी शक्तियां
सूर्यास्त हुए

निशा लजाई
सूरज देखते ही
मुख छुपाई

सुबह शाम
क्षितिज रंग जाता
अद्भुत रंग

चाँद की छुट्टी
सूरज लौट आया
कर विश्राम

नभ में खेलें
लुका छुपी का खेल
सूरज चाँद

रात सो जाती
भुवन जग जाता
सूर्य के आते

सूर्य के आते
छुप जाते हैं तारे
डर के मारे

नभ का नृप
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को
जगमगाता

नाच नचाता
अपने नौ रत्नो को
बैठे ही सूर्य

सुबह होते
सूरज धरती का
घूँघट खोले 

उषा के आते
निशा ने फेक दिया
अपना बुर्का

उल्लू की गति
जा छुपे कोतड़ में
सूरज जगा

हुआ सूर्यास्त
कैद कमल दल
अलि अभागा

सुबह हुई
खिलते ही कमल
भागा भ्रमर


लाता सूरज
है रोज की कहानी
भोर सुहानी

गाने लगती
होते चिड़िया रानी
भोर सुहानी

सूर्य को जल
होते ही देती नानी
भोर सुहानी




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