Tuesday, 24 October 2017

Bade baap ka beta

बड़े बाप का बेटा

बड़े बाप का बेटा था,
पैसे के बल पर ऐंठा था।
घर में नई कार आ गयी,
उसकी तो बहार आ गयी।
चमकता शानदार रंग था
लाल कार देख, पास पड़ोस दंग था। 
उसके मन कार बहुत भाई,
सुन्दर इतनी कि पड़ोसन लजाई।
उसमें एसी, हीटर, लाइटर था,
आगे और पीछे वाइपर था।
आटोमेटिक गियर था,
रेडियो, म्यूजिक प्लेयर था।
आटोमेटिक ही साइड मिरर था
रिवर्स के लिए अलार्म सेंसर था।
राह बताने के लिए जीपीएस था,
खुलकर बैठने का लेग स्पेस था।
कार की पिकअप बड़ी फ़ास्ट थी,
सेकंडों में साठ के पार थी। 
संगीतमय हॉर्न, जोरदार लाइट थी,
बाप बेटा में चलाने की फाइट थी।
बोतल, गिलास रखने की जगह थी,
कार को चलाने की वाकई वजह थी। 
बाप से आंख बचा, बेटा कार ले जाता, 
कभी कभी दोस्तों को भी घुमाता। 
लेकर, उसे बार बार निकल जाता,
कभी कभी तो दूर तक हो आता।
आगे जाती गाड़ी देख, जोश बढ़ जाता, 
दाएं, कभी बाएं से आगे निकल जाता। 
कोई उसे ओवरटेक करता, 
मन ही मन बड़ा क्रोध भरता। 
चलती गाड़ियों से रेस लगाता, 
अपनी कार की स्पीड दिखाता। 
पटरी पर लड़की की झलक पाता,  
अनायास ही हॉर्न का बटन दब जाता।  

एक दिन, उसे अवसर मिला, 
पिता जी बाहर गए थे, गाड़ी ले चला। 
सोचा, आज गर्ल फ्रेंड को घुमा दें, 
अपनी और गाड़ी की धाक जमा दें। 
चला गया वो लॉन्ग ड्राइव पर, 
स्पीड थी हंड्रेड फाइव पर। 
गर्ल फ्रेंड ने तारीफ़ कर दी  
कार आसमान पर चल दी। 
उत्साह, बढ़ चढ़ कर था,
चला रहा, थोड़ी पीकर था। 
सामने एक बिल्ली आयी 
काली थी नजर नहीं आयी। 
बिल्ली कूद कर जान बचाई 
कार जाकर, पटरी से टकराई। 
कार महँगी थी, मजबूत थी 
बंपर व शीशों में ही टूट फूट थी।  
पर पटरी पर जा रहा बेचारा 
गया बेमौत ही मारा।
थोड़ी ही देर में पुलिस आयी 
उसने पैसे की धौंस दिखाई। 
मगर सब बेकार हो गया, 
उस पर तीन सौ चार लग गया।
महंगे से महंगा वकील किया
झूठ सच का दलील दिया।
पैसे तो बहुत खर्च हुए
पर बिना किसी निष्कर्ष लिए।
पूरा परिवार परेशान हुआ
काम का भी नुकसान हुआ।
मुक़दमा चला, बहस चली
जेल गया, जमानत न मिली।
पैसा था, बाप का रुतबा बड़ा
सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा।
फिर भी कई साल रहा पड़ा
मुकदमे के पचड़े में जेल में सड़ा।
समझ आया, थोड़ी सी लापरवाही
कर सकती है बड़ी तबाही।
करने में अपनी मस्ती
सोचो ना दूसरे की जिंदगी सस्ती।




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