Sunday, 5 July 2015

Media ban Narad

चटनी बनाती मीडिया, खबर एक मिल जाय। 
उसे परोसती तब तलक, कान नहीं पक जाय।

दो में लगा के मिडिया, गजब दिखाती खेल। 
बुलवाती और के मुंह, अपने शब्द धकेल।   

मीडिया कह स्वतंत्रता, कर देती अपमान। 
दौड़ लेती पीछे सुन, काग ले गया कान। 



बनाकर  

नारद बन कर मीडिया, करे इधर की उधर।
तनिक किये बिन चिंता, बात जा रही किधर।
बात जा रही किधर, बजे किसी का नगाड़ा।
अपनी रोटी सिके, और हो जाय कबाड़ा।
तिल का कर दे ताड, इसमें उसकी महारत ।
परोसती चटपटा न्यूज़, मीडिया बन नारद।


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