Sunday, 19 July 2015

Sharab peene ki jagah

एक ही विषय पर 5 महान शायरों का नजरिया -


Mirza Ghalib : मिर्ज़ा ग़ालिब : "शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर ,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं"

खुदा कहाँ नहीं! ये तू भी जाने है ग़ालिब
वह तो यहाँ भी है और वहां भी,
खुदा पर उसे ज्यादा ही भरोसा है 
इसलिए मयखाना चला जाता है शराबी।
एक - खुदा मुझे तेरी बड़ी फिक्र है तू भी मेरी फिक्र करना
यह बताने इबादतखाना जाता है
और एक - तू तो रखता ही सबकी फिक्र फिर मुझे क्या फिक्र  
यह सोचता मयखाना जाता है।

Iqbal : इक़बाल : "मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं "

कोई पीने की जगह ढूंढने, काफिर के दिल में भी कैसे जाये!
जो दिल में जगह दे, उसके लिए खुदा से कम  क्या होगा!
माना मस्जिद है खुदा का घर, वहां बैठ के पी नहीं सकता,
मगर, पीकर मस्जिद में बैठने से खुदा ने कब रोका।

पीने के लिए, जाने से मयखाना, कौन रोकता है
पीकर के जाने से इबादतखाना, कौन रोकता है
दिल में जगह दे दे कोई तो काफिर कहाँ रह जाता
ढूंढो दिलों में खुदा का ठिकाना तो कौन रोकता है

चाहो किसी को दिल में बिठाना तो कौन रोकता है

Ahmad Faraz : अहमद फ़राज़ : "काफिर के दिल से आया हूँ
मैं ये देख कर, खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं "

काफिर के दिल में भी खुदा है उसे पता भी है
मस्जिद जाये न बेशक करता सजदा भी है
तू काफिर के दिल तक गया, खुदा को देखा भी
अरे नादान, फिर चला क्यों आया ? मिलता भी

Wasi : वासी : "खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं "


जन्नत का तो शहंशाह ही है खुदा
बहा सकता है शराब का शैलाब।
जन्नत में जाकर तो डूब ही जायेगा
मिल जाएगी ख्वाईशें भर के शराब।

Saqi :सनम हाश्मी  "पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौनसा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नहीं"

जन्नत में मजा लेना है पीने का
तो दुनिया से थोड़ा गम साथ ले जाना।
थोड़ा पीने का मजा आ जायेगा
थोड़ा दुनिया में गम कम हो जायेगा।

अय्याज
पीने के लिए मुक्कदस जगह न ढूंढ अय्याज
अगर रहना ही है बेखबर दुनिया से तो पीने की जरूरत क्या
सजदे झुका रह खुदा के रात दिन
इसका नशा जिंदगी भर उतरता नहीं


जो झुक कर खुदा का सजदा करता है
जिंदगी का वक्त खूबसूरत गुजरता है।
पीने को जगह ढूंढने की उसे क्या जरूरत?
नशे में होके भी खुद की खबर रखता है।

जिसने भी खुदा के नाम का जाम पिया
माना  कि हासिल अपना मुकाम करता है।  
जिस पर खुदा की ज्यादा मेहर बरसती,   
वही तो महँगी शराब से जाम भरता है?

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