Sunday, 30 July 2017

Haiku mausam pyar 3

भिगोई तन
पहली वो बारिश
भीगा न मन

बरसे ऐसे
धुल गया कजरा
कारे बदरा

मन उदास
सूखा रहा आकाश
आये न घन

उनके बिना
बरसा न सावन
तरसा मन

आयी फुहार
लाई पिया को साथ
इस सावन

भीगी मैं खूब
सखि! संग साजन
इस सावन

झूलूँगी झूला
सावन में पी संग
ऊँची ले पेंग

झूलूँगी झूला
सबसे ऊँची पेंग
संग पिया के

झूलूँगी झूला
सोची थी सावन में
साईयाँ भूला

पिया आये ना
सावन ऋतु आई
बरसे नैना

भीगीं पलकें
भीगती रहीं रातें
उनकी यादें



सावन आया
भू पे धाक जमाया
पिया न आया

झूलूँगी झूला
सोची मैं सावन में
पिया न आया

खूब सताया
छीन रातों की नींद
पिया न आया

आये बदरा
बह गए कजरा
पिया न आया

अकेली रातें
किससे करूँ बातें
पिया न आया


प्रेमी युगल
बने प्रेम के संत
आया बसंत

कोयल अलि
गाते गीत रसिक
आया बसंत

हुआ बसंती
मन ऋतु के रंग
आया बसंत

बागों में प्रेमी
फूल भौरों के संग
आया बसंत

ढूंढते पंछी
मन-मीत का संग
आया बसंत 


कब आओगे
आ गया मधुमास
मधु लाओगे ?

निहारी पथ
अबकी मधुमास
आने की आस

ख़ुशी समायी
मन में सावन की
पी आवन की

प्यासा जीवन
मरुस्थल सा बन
पिया न पास

नहीं निकट
सावन में साजन
विघ्न विकट

तुम थे पास
मनाये मधुमास
बारहों मास


तेरा व मेरा
पलता प्यार देख
उमड़े मेघ

फैलाया तूने
प्यार भरा आंचल
जले बादल

घन घुमड़ा
याद आ गए तुम
प्रेम उमड़ा

आषाढ़ मास
आ गए घन घेर
जगाने प्यास



तुम्हारे साथ
लगता मधुमास
हरेक ऋतु 

*******

जल के मन
ओस से हुआ छन्न
तुम्हारे बिन

जलाई तन
जाड़े की ठिठुरन
तुम्हारे बिन

रात की ओस
कर देती बेहोश
तुम्हारे बिन

लागे न नीक
चैत मास के दिन
तुम्हारे बिन

काटीं रतियाँ
हमने तारे गिन
तुम्हारे बिन

सावन आया
मन रहता खिन्न
तुम्हारे बिन

सताता बड़ा
जब आता है जाड़ा
तुम्हारे बिन

खिली भी कली
मगर अधखिली
तुम्हारे बिन

आये थे मेघ
गए अंगना देख
तुम्हारे बिन

भूत का डेरा
लगता घर मेरा
तुम्हारे बिन


*********
जाग उठता
सावन की बौछार
देख के प्यार

रातों को आके
टिमटिमाते तारे
जगाते प्यार

खिल उठता
देख फूलों को खिले
दिल में प्यार

छा जाती जब
बसंत की बहार
पलता प्यार

खिलखिलाती
जाड़े की धूप आती
गाता है प्यार

**********
गर्मी की आड़
लेती तो पी बोलता
चल पहाड़

बदली ऋतु
रहा अडिग किन्तु
प्यार हमारा

चुरा ही लेती
हर ऋतु से कुछ
प्यार की ऋतु

कोई भी ऋतु
खिल जाता हंस के
प्यार का फूल 


घेरे बदरा
कसमस जियरा
उनके बिन

उड़ाती रही
उनके बिन होश
जाड़े की ओस

जाड़े की रात
नभ! बहाया आंसू
क्या तू भी तन्हा  


कोहरा बन
चारों ओर छाओ ना
पास आओ ना

वाह री आग
तुझे जो प्यार करे
हो जाता खाक

काटी हमने
जुगनुओं के साथ
अँधेरी रात 


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