Saturday, 15 July 2017

Haiku Aug 17 / pyar1

तुम्हारे होंठ
जैसे सुर्ख गुलाब
नहीं जबाब

कहाँ से आई
सुन्दर रूप लिए
परी लजाई

तुम्हारी ऑंखें
जैसे आम की फांकें
सख्ती से ताकें

तुम्हारे नैन
भीतर डूबा दिल
गहरी झील

आँखों की बड़ी
तुम्हारी ये पुतरी
पारसमणि

तुम्हारे गाल
दहकते अनार
दिल बीमार

तुम्हारे गाल
टमाटर से लाल
काटे न कोई !

तुम्हारी हंसी
हम हो गए तेरे
दिल के कैदी

निकली देख
तुम्हारा गोरा रूप
रात में धूप

हुआ घायल
मुस्करा दिए तुम
दिल कायल

तुम्हारे बाल
रेशम से कोमल
दिल का जाल

तुम्हारी बाहें
लगतीं गले पड़
स्वर्ग की राहें

छाई बेहाली
देखा जबसे तेरी
होठों की लाली

हिलती तेरी
दिल झूमता संग
कानों की बाली

शोभेगी तेरी
डाल कर उंगली
मेरी मुदरी


हंस सी तेरी
कर देती बेहाल
अनोखी चाल

रही है डाल
दुनिया दृष्टि बुरी
कैशोरी चाल

तेरी बिंदिया
देखते तो खो जाती
मेरी निंदिया

दिल लुभाई
जब तूने लगाई
माथे की बिंदी

बैरन बनी
हम दोनों के बीच
तेरी नथनी

कलाई भरी
साईयाँ को बुलातीं
चूड़ियां हरी

नकली
देख कंगना
हाथों में

चाँद को ढंकी
झलमल चुनरी
बन बदरी

माथे पे बिंदी
तेरी ये चमकती
नभ पे चाँद

****

पकड़े तुम
हाथ तो दिल गया
भौरे सा झूम

नहीं अंटता
तुम्हारी सुंदरता
छोटा आईना

सोचा है कैसे ?
मेरे कटेंगे दिन
तुम्हारे बिन

जला के दिल  
जिन्दा हूँ अब तक 
तुम्हारे लिए 

छेड़ते रोज 
मुझे देख अकेले 
दूर से तारे 

तुम्हारा साथ
पाकर पाया मैंने
जग सौगात

खुशियां मेरी
एक एक दिन की
दी हुईं तेरी

चुभी न कहीं
नयनों से उतरी
दिल में दर्द

दुनिया सुनी 
तुम बिन लगते 
दिन भी खूनी 

****
देखा न करो 
दीवाना ही हो जाय 
रोज आईना 

नहीं पाओगे 
जब तक आओगे 
रखा ये दिल 

जिसको चाहा 
नहीं है कोई और 
तुम्हारे सिवा 

मैंने चुराया 
हिसाब बराबर 
तूने चुराया 

तुझे देख के 
सेकंड की सुई सा 
दिल धड़के 

माँगा मन्नत 
पाकर के तुझको 
पाया जन्नत 

कविता मेरी 
गढ़ती है अनूप 
तेरा ही रूप 


ढलकी उम्र
आंसुओं में बह के
तन्हा रह के

उनकी अदा
दुनिया हुई फ़िदा
मैं तो दीवाना

तुम ज्यों आये
हमने जला दिया
प्रेम का दीया

****
है परेशान
जबसे उन्हें देखा
दिल नादान

अंदर डूबा
हो पाया पार वही
प्यार की नदी

खुली थीं बाहें
कौन था रोक दिया
प्यार की राहें

तुम आते हो
जगमगा जाता है
दिल का दिया

चाँद की ओर
ताकता है चकोर
मैं तेरी राह

सावन बीता
एक बूँद के लिए
पपीहा बैठा

जल्दी से भाग
खेला तो जला देगी
प्यार की आग

प्यार है पानी
प्यार ही बुझाती है
प्यार की आग

कैसे कटेगी
सर्दियों में तन्हाई
राम दुहाई

वर्षों बाद भी
थी पुस्तक में पड़ी
पुष्प पंखुड़ी

****
नथनी लाई
मगर पछताई
नाक न छेद

कान छेदायी
कहती रह गयी
बाली न आई

तेरी पायल
रुनझुन करती
हुए घायल

पायल डाल
हो गई मतवाली
गोरी की चाल

माथे बिंदिया
नयनों में अंजन
मोह ली मन


लग जा गले
हमारा प्यार पले
अम्बर तले

ढलकी उम्र
आंसुओं में बह के
तन्हा रह के

है परेशान
जबसे उन्हें देखा
दिल नादान 


गालों पे टिल 
देख कर उनके 
अटका दिल 

पड़ी अकेली 
नैनों से बरसात 
सावन मास 


मुश्किल किया 
एक पल भी जीना 
इश्क कमीना 

********
हुआ दुस्वार 
जी पाना खुशहाल  
तुमसे दूर 

बड़ी मुश्किल 
हुआ पाना मंजिल 
तुमसे दूर 

जलते रहे 
कड़क ठण्ड में भी 
तुमसे दूर 

ख्वाब सजाये
मगर चले आये  
तुमसे दूर 


प्यार के बोल 

प्रेम की राह 

दिल की बात 

बेमौत मारा 
दीवाना बना कर 
इश्क तुम्हारा 

शब्द न बोल 
समझ जाते ढोर  
प्यार की भाषा 

****
हवा जो चली
खिली दिल की कली
तेरे प्यार की

सताया तूने
ख्वाब दिखाया तूने
तेरे प्यार का

पन्ना पलटा
तेरा ही नाम लिखा
इस बार भी

आहट हुई
देखा तो तेरे सिवा
नहीं था कोई

जब भी पढ़ा
दिल का फलसफा
तेरा ही नाम 


तुझसे बनी
जिंदगी की कहानी
सबने सुनी

तुमसे मिल
जाने क्या पाता दिल
जाता है खिल

जबसे मिला
तन्हा डरने लगा
तुम्हारा साथ

शूल पिरोई
पहनी विरह के
यामिनी रोई

भुलाना चाहें
जितना ही तुमको
याद सताएं

****
मिले जबसे
मिलता नहीं चैन
तुमसे नैन

पड़ी तो लगा
चाँद उतर आया
तुम्हारी छाया

झटके तुम
टूटे इस दिल के
टुकड़े गुम

तुम जबसे
मेरे दिल में बसे
दूर गम से

तुम थे यहीं
ढूंढे हम जहाँ में
दिल में कहीं

घर से चला
कैसे कहूं अपना
कोई न रोका

देख उनके
जैसे ही पीछे दौड़े
मुंह वे मोड़े

मेरे ही कूचा
आकर वे मटके
हाल न पूछा

तुम्हें पाकर
चाहते नहीं खोना
बाद में रोना

रहा न गया
पास गए दिल की
कहा न गया

***
महकती हूँ
दिलों में बसती हूँ
उल्फत हूँ मैं

दिल बेकाबू
पल भर का जादू
प्यार हो जाना

हो गए दूर
जबसे मशहूर
हुए हो तुम

सिखाया होगा
पतंगों को जलाना
समा को तूने

तू नहीं होती
भरी महफिल भी
तन्हा लगती

कहते रहे
रहते रहे दूर
थे मजबूर

तुझे चाहता
जानती हूँ उसे भी
यही कहता

जला लिया तो
बुझी उसकी आग  
मेरे दिल को

बहती नदी
सागर में गिरती
प्यार अश्कों में

****
डाल के देखो
दुनियां प्यारी बड़ी
प्यार का चश्मा

प्रेम की गली
करके तुम्हारा ही
भरोसा चली

जलता रहा
देख ना पाए तुम
दिल का धुंआ

दूषित हुआ
कितने दिल जले
पर्यावरण

लाये सौगात
कुछ कहे न बोले
रख के चले

रोज रोती मैं
याद करके तुम्हें
कैसे सोती मैं

नजर मिली
सुगबुगाने लगी
गली की हवा

कृष्ण गोपाल
गईयां भी करतीं
तुझसे प्यार

प्यार को कभी
पीस के रख देती
जीवन चक्की

बटन टांका
कमीज का तुमने
प्यार ही है न

****
चाय की प्याली
उठते ही आ जाती
प्यार ही है न

क्या है पसंद
खाने में पूछ जाती
प्यार ही है न

जल्दी आ जाना
चलते ही कहती
प्यार ही है न

दवाई खाया ?
बीमारी में पूछती
प्यार ही है न

तेरी बातों से
आंसू छलक आये
प्यार ही है न 

झगड़ कर
फिर मान भी गए
प्यार ही है न

ना रूठे होते
तुम न झूठे होते
तुमसे हम

हुए थे खफा
हुए तुम बेवफा
खुद से हम 

गुम थी सिट्टी
थमाया था उसको 
पहली चिट्ठी 

रखी अभी भी  
खुशबू बिखराती
पहली पाती 

** **

खूब निहारे
चाँद को छोड़ तारे
तेरी सूरत  

सर्दी बेदर्दी
सताने नहीं पाई
तू व रजाई

जैसे ही छुआ
हंस कर वो बोली
दीवाना हुआ !

तरु का छाँव
तुम बिन लगता
मरू का घाम

सीने में रहा
हमारे व तुम्हारे
एक ही दर्द

मुफ्त मिलते
रुसवाई के जख्म
प्रेम की गली

पत्थर दिल
मुहब्बत का फूल
पाया न खिल

प्यार का कली
तुमने सींचा नहीं
खिल न सकी

हुई न पार
प्यार के सागर से
ख्वाब की नाव

हुए बेकार
छुड़ाया घर बार
तुम्हारा प्यार

*****
सम्हाल रखे
अब भी पढ़ लेते
तुम्हारे पत्र


हंस उठते
तेरे दरश कर
मेरे नयन

पुष्प पंखुड़ी
किताब में जो पड़ी
तेरा ही दिया

जलाया दीया
मैंने प्यार का जब
चलीं आंधियां

प्रेम का दीया
जला तो हुआ उग्र
हवा का रुख

चिर संचित
धरे थे अनुराग
अब ना भाग

नारी सागर
गिरती है जाकर
प्रेम की नदी

घूमे बाजार
पैसे से या उधार
मिला न प्यार

दिल बेकाबू
देखकर हो जाता
हुस्न का जादू

कैसा भी योद्धा
झुका देता है सर
हुस्न का बल

****
गए बाजार
हुस्न के लग गया
इश्क का रोग

पड़ जाता है
जिसे लग जाता है
इश्क का रोग

वैद्य भी हारे
कर दवा बेचारे
इश्क का रोग

सो नहीं पाता
चांदनी में चकोर
इश्क का रोग

प्यासा भटका
सावन में पपीहा
इश्क का रोग

*****

क्या क्या न किया
तुम्हें पाने के लिए
दिल बेकाबू

हंसी को देख
समझना न, नहीं
आँखों में आंसू

***

काटी थी रातें
हमने तारे गिन
तुम्हारे बिन

साल सी रात
लगे सदी सा दिन
तुम्हारे बिन

आंखें बुझी सी
मन रहता खिन्न
तुम्हारे बिन

मन का चैन
तन्हाई ने ली छीन
तुम्हारे बिन

डसतीं रातें
बन कर सांपिन
तुम्हारे बिन 



हुई आहट
द्वार पे खटखट
खोली तो हवा

बो दी है तारे
अँधेरी रात ला के
इश्क जगाने

जब भी आती
आते हो बड़ा याद
ये बरसात

किस्मत फूटी
जब निदिया टूटी
वे जा चुके थे

कहा था कभी
मुहब्बत तुमसे
कह दो झूठ

***
आकर मेघ
टप टप बरसा
मन तरसा

तेरे प्यार का
अथाह समुन्दर
डूबे अंदर

घेरे बादल
प्रेम में नाच उठे
प्रेमी पागल

मेरी सादगी
शायद बदल दे
तेरी जिंदगी

फड़फड़ाये
मेरे प्राणों के पंख
तुझे पाने को

तेरी नजर
रही बटुए पर
मैं बेखबर

तू है हसीन
करती मुझे प्यार
पर यकीन

तुम दिल के करीब थे : मेरे नसीब थे

प्यार में धोखा
जानता हर कोई
फिर भी खाता

हिचकी आई
उसके सिवा और
कोई न होगा

चाहे थे हम
चाहे जाये मौसम
तू नहीं जाये

****

अनेकों मोड़
पार किये तो आये
तुम्हारे तक

खोल के रखा
आसानी से आ सको
स्वप्न के द्वार

चाँद और वो
देखते छत पर
एक दूजे को

मुझसे नहीं
किसी और से सही
निभाया तो तू

सोते से जागा
तूने खटखटाया
दिल का द्वार

जागी ननदी
चूड़ियों ने कर दी
जा के चुगली

जकड़े हम
तुम्हारी उल्फत में
निकला दम

आ ही गए तो
चाँद निकलने दो
चाहे ना रुको

टूटे ना कहीं
दिल खिलौना चाहे
पत्थर नहीं 


हम जो फिरे
कई चेहरे फिरे
बेरोजगार

वैद की दवा
प्रेम का वो रोगी था
हो गयी हवा

रखा तुमने
मेरे कंधे पे सिर
लगा मेरे हो

रखने दिए
तुम कंधे पे सिर
सुकून मिला

झूठ है ब्रेक
विश्वास से  चलती
प्रेम की गाड़ी

भड़का कर
आंच से डर रहे ?
प्रेम की आग

बुझने न दो
जलने से पहले
प्रेम की आग

लगाए हो तो
निखरोगे भी कभी
प्रेम की आग

आंच न आती
धीरे धीरे जलाती
प्रेम की आग

जलती रही
छाया रहा अँधेरा
प्रेम की आग

चौंधिया देती


सेंक भी ले लो
जलाया जो तुमने
दिल किसी का

नहीं देखता
प्रेम का एक छोर
प्रेम का अँधा

अपना प्रेम
दिल से देख लेता
प्रेम का अँधा

देखता बस
चिड़िया की ही आंख
प्रेम का अँधा

देख न पाता
कैसे प्यार जताता
प्रेम का अँधा

पा जाता ज्योति
पा के अपना प्यार
प्रेम का अँधा

विरागी आंखें
ठोप ठोप बरसीं
बाढ़ आ गयी

आँखों में प्यार
मैंने ढूंढ ही लिया
लाखों में यार

सामने आये
हमारी राहें रुकीं
निगाहें झुकीं

उनसे मिल
लापता हुआ दिल
मैं दिलदार

ठंडी बयार
हिला कर जगाती
सोई वो याद

मुश्किल राहें
चलेंगे साथ मिल
थाम लो बाहें

तुम आ गए
राहों में जल गए
प्यार के दिये

तुम जो संग
लगे हर मौसम
मुझे बसंत

सुबह आती
बीतने के पश्चात्
अँधेरी रात

प्रेम की नदी
डूबा जो भी अंदर
उतरा वही

यादों के तीर
वर्षों पहले छूटे
अभी भी पीर

शब्द ही बचे
पुरानी डायरी में
समय गया

अपना कह
अपना नहीं सका
क्या थी बेबसी ?

जाओगे तुम
मैं देखूंगी तुम्हारी
यादों में तुम्हें

चाहने वाले
होते हजारों तारे
एक ही चाँद 

लाखों चमके
चमकीला सबसे
तारा हो तुम

कहे तू प्यासी
लाएंगे उठाकर  
हम सागर

सुने ना कोई
मेरे दिल की बात
पास आ जाओ

बड़ी खास है
तू क्या देगा सौगात
आज की रात

तेरी आवाज
लजाती सुन कर
कोयल आज

बड़ा सुन्दर
तेरा साथ पाकर
हो जाता जहाँ

तुम जो साथ
एक एक ग्यारह
हम हो जाते

जगाया तूने
इश्क की चिनगारी
सुलगा दिल

दिल बीमार
परीलोक से आई
तुम्हीं दवाई

बनाया अँधा
तेरा इश्क न छोड़ा
कहीं का बंदा

किनारे बैठ
आंसुओं से वो झील
भरती रही


दिल की बात
कोई और न सुने
थोड़ा पास आ

किनारे बैठ
आंसुओं से वो झील
भरती रही

रूठ गए तो
जान लिए उनसे
गहरे रिश्ते

हुए न पार
तेरी आँखों में हम
डूबे सनम 

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