लौ क्या लगाई
आग लगी दिल में
तेरे प्रेम की
तुमसे मिले
राग के फूल खिले
जी सुगंधित
तुम सुन्दर
तो प्यार का गहरा
मैं समुन्दर
पायी न तट
उठी प्रेम लहर
ढाई कहर
जाकर नदी
सागर को अर्पित
प्यार में डूबी
मिलने चली
रहता कोसों दूर
पिया से नदी
उमंग भरी
सिंधु पिया के घर
चल दी नदी
चूम के होंठ
समा जाती दिल में
सिंधु के नदी
बहती नदी
देख बहा दिल में
प्रेम की नदी
घुमड़े मेघ
सावन में दिल में
उमड़ा प्यार
प्यार जताता
पंखों में चोंच घुसा
पंछी का जोड़ा
देह रगड़
शेर शेरनी मस्त
प्रणय क्रीड़ा
घेरी बदरी
बांध रखूंगी पी को
प्रेम रसरी
बिखरी जुल्फें
चाँद छुपा घटा में
खोये छटा में
लटका केश
बादल बन छाया
चाँद शर्माया
लगाए टकी
कोयल व चकोर
चाँद की ओर
धुंध से छनी
पड़ी तुझ पे धूप
निखरा रूप
समुद्र तट
भिगोये हम पांव
थाम के हाथ
सिंदूरी शाम
बैठ हम देखते
सूर्य डूबते
तारों में जोश
आज क्यों बैठ गया
चाँद खामोश
भागी है आज
छोड़ के उसे धूप
सूर्य उदास
बनाने वाला
बड़ा हँसता होगा
इन्सां का दिल
अकेले सोये
देख के आषाढ़ में
बादल रोये
अभी भी याद
मुझको है वो रात
भीगे थे साथ
जगाये रखी
अपने साथ वह
सितारों को भी
खोजती रही
अकेले में है प्यारा
कौन सा तारा
तूने बहाया
डूबा मैं घड़ी घडी
प्रेम की नदी
*******
डुबोई मुझे
दिल में उठकर
प्रेम लहर
सर्दी या गर्मी
सजना की बेशर्मी
होती न कम
ऐसा है तेरा
जले सिंधु अपार
गहरा प्यार
तुम्हारा प्यार
और सिंधु अपार
रत्नों की खान
तेरे प्यार की
होते ही हलचल
दिल में तूफां
नाप ले तू ही
सागर सा गहरा
मेरा है प्यार
लगाया टक
चकोर रात भर
चाँद का मैं भी
भूल जाने दे
बीती हुई बातों को
याद न दिला
तुम्हारे बिन
बहती प्रेम नदी
प्यासी मैं मीन
दिल में नित
खिलते रहे पुष्प
तूने की शुष्क
प्रेम की राह
चलोगे मेरे साथ ?
थाम लो हाथ
***********
चमकता ना
यूँ चाँद गगन में
तुम न होते
आ नहीं पाती
सुगंध सुमन में
तुम न होते
राहत कौन
दिलाता थकन में
तुम न होते
होते न फूल
पुष्पित चमन में
तुम न होते
कहाँ से होती
ठंडक पवन में
तुम न होते
जीता ये दिल
काँटों की चुभन में
तुम न होते
मिलता नहीं
आशीष नमन में
तुम न होते
*****************
आग लगी दिल में
तेरे प्रेम की
तुमसे मिले
राग के फूल खिले
जी सुगंधित
तुम सुन्दर
तो प्यार का गहरा
मैं समुन्दर
पायी न तट
उठी प्रेम लहर
ढाई कहर
जाकर नदी
सागर को अर्पित
प्यार में डूबी
मिलने चली
रहता कोसों दूर
पिया से नदी
उमंग भरी
सिंधु पिया के घर
चल दी नदी
चूम के होंठ
समा जाती दिल में
सिंधु के नदी
बहती नदी
देख बहा दिल में
प्रेम की नदी
घुमड़े मेघ
सावन में दिल में
उमड़ा प्यार
प्यार जताता
पंखों में चोंच घुसा
पंछी का जोड़ा
देह रगड़
शेर शेरनी मस्त
प्रणय क्रीड़ा
घेरी बदरी
बांध रखूंगी पी को
प्रेम रसरी
बिखरी जुल्फें
चाँद छुपा घटा में
खोये छटा में
लटका केश
बादल बन छाया
चाँद शर्माया
लगाए टकी
कोयल व चकोर
चाँद की ओर
धुंध से छनी
पड़ी तुझ पे धूप
निखरा रूप
भिगोये हम पांव
थाम के हाथ
सिंदूरी शाम
बैठ हम देखते
सूर्य डूबते
*************
तुम नहीं थे
कैसे बताऊँ कैसे
मौसम बीते
तुम नहीं थे
चिढ़ाता फूल पर
बैठ भ्रमर
तुम नहीं थे
ना सुगंध कहीं थे
खिले पुष्प में
तुम नहीं थे
विकल कर जाती
कोयल गाती
तुम नहीं थे
मारते ताने तारे
मिल के सारे
तुम नहीं थे
कैसे बताऊँ कैसे
मौसम बीते
तुम नहीं थे
चिढ़ाता फूल पर
बैठ भ्रमर
तुम नहीं थे
ना सुगंध कहीं थे
खिले पुष्प में
तुम नहीं थे
विकल कर जाती
कोयल गाती
तुम नहीं थे
मारते ताने तारे
मिल के सारे
तारों में जोश
आज क्यों बैठ गया
चाँद खामोश
भागी है आज
छोड़ के उसे धूप
सूर्य उदास
बनाने वाला
बड़ा हँसता होगा
इन्सां का दिल
देख के आषाढ़ में
बादल रोये
अभी भी याद
मुझको है वो रात
भीगे थे साथ
जगाये रखी
अपने साथ वह
सितारों को भी
खोजती रही
अकेले में है प्यारा
कौन सा तारा
तूने बहाया
डूबा मैं घड़ी घडी
प्रेम की नदी
*******
डुबोई मुझे
दिल में उठकर
प्रेम लहर
सर्दी या गर्मी
सजना की बेशर्मी
होती न कम
ऐसा है तेरा
जले सिंधु अपार
गहरा प्यार
तुम्हारा प्यार
और सिंधु अपार
रत्नों की खान
तेरे प्यार की
होते ही हलचल
दिल में तूफां
नाप ले तू ही
सागर सा गहरा
मेरा है प्यार
लगाया टक
चकोर रात भर
चाँद का मैं भी
भूल जाने दे
बीती हुई बातों को
याद न दिला
तुम्हारे बिन
बहती प्रेम नदी
प्यासी मैं मीन
दिल में नित
खिलते रहे पुष्प
तूने की शुष्क
प्रेम की राह
चलोगे मेरे साथ ?
थाम लो हाथ
***********
चमकता ना
यूँ चाँद गगन में
तुम न होते
आ नहीं पाती
सुगंध सुमन में
तुम न होते
राहत कौन
दिलाता थकन में
तुम न होते
होते न फूल
पुष्पित चमन में
तुम न होते
कहाँ से होती
ठंडक पवन में
तुम न होते
जीता ये दिल
काँटों की चुभन में
तुम न होते
मिलता नहीं
आशीष नमन में
तुम न होते
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