देखना भला
अवसर अगला
दोष न ढूंढो
लक्ष्य की प्राप्ति
न की जाने की राह
महत्वपूर्ण
विधि से ज्यादा
शिष्टता का पालन
जरूरी होता
क्रोध में व्यक्ति
दिखा देता सबको
स्वयं चरित्र
रखोगे खुद
अपने पे भरोसा
औरों को होगा
कर देने से
भाग्य के द्वार बंद
सोचना बंद
पड़ी आदतें
ढाल लेती हैं हमें
अपने जैसा
परिपक्वता
अभ्यास से आती है
प्रयास करो
पाती उससे
किसी के प्रति निष्ठा
सदा प्रशंसा
सबसे बड़ी
सफलता की राह
इच्छा की शक्ति
औरों के प्रति
करी हुई अच्छाई
वापिस आती
भाग्य व कर्म
जब करें संगम
लक्ष्य सुगम
सदुपयोग
संवारने में कल
आज का कर
चरित्रवान
प्रतिष्ठावान से भी
ज्यादा महान
अकेला नहीं
विचारवान व्यक्ति
जग में कहीं
किये सत्कर्म
कभी न जाते व्यर्थ
बांध लो गांठ
पूंछ हिलाता
पैसे से लाया कुत्ता
प्यार पाकर
लक्ष्य की प्राप्ति
राह की शुरुआत
दृढ विश्वास
किसी को अंधा
प्यार नहीं बनाता
किसी से ईर्ष्या
**********
हारी बुराई
अवसर अगला
दोष न ढूंढो
लक्ष्य की प्राप्ति
न की जाने की राह
महत्वपूर्ण
विधि से ज्यादा
शिष्टता का पालन
जरूरी होता
क्रोध में व्यक्ति
दिखा देता सबको
स्वयं चरित्र
रखोगे खुद
अपने पे भरोसा
औरों को होगा
कर देने से
भाग्य के द्वार बंद
सोचना बंद
पड़ी आदतें
ढाल लेती हैं हमें
अपने जैसा
परिपक्वता
अभ्यास से आती है
प्रयास करो
पाती उससे
किसी के प्रति निष्ठा
सदा प्रशंसा
सबसे बड़ी
सफलता की राह
इच्छा की शक्ति
औरों के प्रति
करी हुई अच्छाई
वापिस आती
भाग्य व कर्म
जब करें संगम
लक्ष्य सुगम
सदुपयोग
संवारने में कल
आज का कर
चरित्रवान
प्रतिष्ठावान से भी
ज्यादा महान
अकेला नहीं
विचारवान व्यक्ति
जग में कहीं
किये सत्कर्म
कभी न जाते व्यर्थ
बांध लो गांठ
पूंछ हिलाता
पैसे से लाया कुत्ता
प्यार पाकर
लक्ष्य की प्राप्ति
राह की शुरुआत
दृढ विश्वास
किसी को अंधा
प्यार नहीं बनाता
किसी से ईर्ष्या
बड़ी अजीब
ये दुनिया भी देती
भेष से भीख
काली से काली
हर रात के बाद
आती है भोर
ये दुनिया भी देती
भेष से भीख
काली से काली
हर रात के बाद
आती है भोर
**********
हारी बुराई
दशहरा द्योतक
जीती अच्छाई
भारत होता
विजयदश्मी पर
श्रीराममय
तीर धनुष
दशहरा पर खेल
बालक खुश
नौ दिन होते
रामलीला में डूबे
जय माँ दुर्गे
पति ने कहा
मुझे खाना हलवा
हुआ बलवा
बनी समस्या
मुंबई की बारिश
रोड पे नैया
थामी रफ़्तार
मुंबई की बारिश
मूसलाधार
बॉम्बे शहर
समुद्र घूम रहा
सडकों पर
निकला चाँद
लगा के सजा नभ
माथे पे बिंदी
जैसे कुतरी
डाल पे गिलहरी
चू गया आम
पूंछ हिलाती
खूंटे से बंधी गाय
मक्खी उड़ाती
निकल पड़े
जमीं में बीज गड़े
वर्षा देखने
ऐसे क्यों बैठी
तितली तुम रूठी ?
डाल पे सूखी
खींचता चीर
आज भी दुर्योधन
रोको मोहन
उठाये सिर
आते ही बरसात
खर पतवार
कमा के लाई
बच्चों में कामवाली
बांटती थाली
दिलाते याद
पूर्वजों का संस्कार
पितरपख
पंद्रह दिन
शुभ कार्य वर्जित
पितरपख
प्रसन्न काग
जागे उनके भाग
पितरपख
श्रद्धा से श्राद्ध
मृत आत्मा को प्राप्त
पितरपख
स्नान व दान
पूर्वजों का सम्मान
पितरपख
दिलाते याद
पूर्वजों का संस्कार
पितरपख
पंद्रह दिन
शुभ कार्य वर्जित
पितरपख
प्रसन्न काग
जागे उनके भाग
पितरपख
श्रद्धा से श्राद्ध
मृत आत्मा को प्राप्त
पितरपख
स्नान व दान
पूर्वजों का सम्मान
पितरपख
बांध के साथ
रखता परिवार
वह है प्यार
करने आयी
हिमालय पे आभा
प्रभा से भेंट
प्रभा ने रखा
हिमालय पे सोना
लूट लो आ के
जाते ही रात
हिमालय की चांदी
शुभ प्रभात
उम्र हो चली
चलो कर आते हैं
तीरथ कहीं
डाली को छोड़
पतझड़ में पत्ते
सैर को चले
वृक्ष को पानी
हरी भरी हो जाती
पास की घास
चढ़ाने खड़ीं
जल बीच निर्जल
सूर्य को जल
देने को अर्घ
जल में खड़ी दादी
छठ का पर्व
उमड़ी भीड़
सूर्य को अर्घ देने
नदी के तीर
घट भीतर भेजो
सूर्य ! नमन
खुदा ने खोला
जहन्नुम का दर
और ये बोला
हाथ खून लगा ले
सीट पक्की करा ले
देखता रहा
खूंटे को मिमियाता
बिका बकरा
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