सैनिक हिंदुस्तान के, वीर तुम महान हो।
तुम निडर जवान हो, देश की तुम शान हो।
देश पे कुर्बान तुम, आन हो तुम देश की।
देश की ही रक्षा में, लगा दिए हो जिंदगी।
तुम हो तो राष्ट्र है, तुमसे ही हैं हम खड़े।
कैसी भी हों ताकतें, तुम रहे अडिग, अड़े।
पहाड़ तोड़ बढे चले, आंधी हो, तूफान हो। सैनिक ...
संग हो न साथ हो, कोई भी विषाद हो।
देश भक्ति का बड़ा, तुम लिए उन्माद हो।
घाटी हो, पहाड़ हो, तुम निडर बढ़े चले।
करते तुम बहादुरी से, दूर सब मुश्किलें।
कारण वीरता के, विश्व में पहचान हो। सैनिक ...
हाथ में सजा रहे, राष्ट्र की ध्वजा रहे।
तुम्हारे हौसलों से सब, शत्रु वीर लजा रहे।
तिरंगा झुके नहीं! तुम कभी रुके नहीं।
दिन हो या रात हो, कर्मों से चुके नहीं।
आती कोई आपदा, उसका भी निदान हो। सैनिक ...
राष्ट्र विरोधी ताकतें, बन न सकीं रूकावटें।
मातृ भूमि हेतु बढे, पीछे न कदम हटे।
देश हित जहाँ कहीं, तुम बढे चले वहीँ।
षड्यंत्रों को मात दे, तुम कहीं रुके नहीं।
राष्ट्र के नागरिकों का, तुम अभिमान हो। सैनिक ...
***
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !
देश के जवान तुम, शान हो तुम देश की
देश की ही आन में, लगा दिए हो जिंदगी
तुम हो तो राष्ट्र है, तुमसे ही हैं हम खड़े
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !
संग हो न साथ हो, कोई भी विषाद हो
देश भक्ति का बड़ा, लिए तुम उन्माद हो
घाटी हो, पहाड़ हो, तुम निडर चढ़े चले !
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !
राष्ट्र की ध्वजा रहे, हाथ में सजा रहे
तुम्हारे हौसलों से सब, शत्रु वीर लजा रहे
तिरंगा झुके नहीं, तुम कभी रुके नहीं !
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !
राष्ट्र विरोधी ताकतें, बनें ना रूकावटें
मातृ भूमि हेतु बढे, पीछे न कदम हटें
देश हित जहाँ कहीं, तुम बढे चले वहीँ !
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !
- एस० डी० तिवारी
हे राष्ट्र के प्रहरी, हे वीर जवान,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
कर दिए प्राण तुम राष्ट्र के नाम
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
तुम्हारा शौर्य, अरि में भय है
तुम्हारी जय, राष्ट्र की जय है।
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
कर दिए प्राण तुम राष्ट्र के नाम
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
तुम्हारा शौर्य, अरि में भय है
तुम्हारी जय, राष्ट्र की जय है।
तुम्हारी वीरता से ही अमन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
देश की रक्षा में तुम जीते,
आंधी और तूफान से लड़कर,
कंकड़ और काँटों में चलकर,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
देश की रक्षा में तुम जीते,
देश के लिये हो मर मिटते।
राष्ट्र हेतु तुम्हारा तन मन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
कंकड़ और काँटों में चलकर,
किया सुरक्षित धरा गगन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
करता चाहे वॉर वो छुप के,
टूट पड़ते पंचानन की भांति,
राष्ट्र पर जब आपदा आती।
करता चाहे वॉर वो छुप के,
करते खट्टे दांत तुम रिपु के।
तुम तो निश्चित शत्रु दमन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।टूट पड़ते पंचानन की भांति,
राष्ट्र पर जब आपदा आती।
तुमसे विपदाओं का गमन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
तुम हो तो है भारत का गौरव,
तुमसे फैला राष्ट्र का सौरभ।
गौरवान्वित सारा जन गण है,
तुमसे फैला राष्ट्र का सौरभ।
गौरवान्वित सारा जन गण है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
- एस० डी० तिवारी
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