Thursday, 29 September 2016

Haiku oct 16 patthar / gulab


दे के जबाब
पाक को किये चित्त
हमारे वीर

पायेगा पाक
मुहतोड़ जबाब
किया जो घात

किये कमाल
आतंकियों को मार
हमारे वीर

खायेगा जिन्न
पाक को एक दिन
उसी का पाला

देंगे जबाब
तेरी करतूतों का
सोच ले पाक

रखते दम
सबक सिखाने की
पाक को हम

लिए ऐटम
जुबान पे घूमता
फोड़ेंगे हम

शांति की बात
समझता ना पाक
लात का भूत

सोच ना पाक
हमारी कमजोरी
शांति की चाह

जगाया तूने
सोते शेर को पाक
नतीजा आंक

नहीं बचेगा 
तेरा नामो निशान 
पाक ले जान 

नहीं बर्दाश्त 
कर देंगे परास्त  
शत्रु के घात

 रंग ले आया
सेना का पराक्रम
पाक को मात

अब ना बात
पछाड़ कर देंगे
पाक को मात 

भाई की जान
अटकी पाकिस्तान
पेट मुम्बई

जलाये गाँधी
नेताओं ने बुझा दी
त्याग की बाती

चलाये आंधी
देश प्रेम की गाँधी
हवा हो रही

कल तक थे
जो कन्हैया के पीछे
हुये नमो के

लड़ना सीखो
मुल्क की खामियों से
पाक के बच्चों 


खुद पे होता
नहीं पक्का भरोसा  
सेना पे शक

मांग ना लेना
बाप को फर्जी बता
माँ से सबूत

अब ना बात
पछाड़ कर देंगे  
पाक को मात 

नहीं चलेगा 
बात के साथ पाक !
भीतरघात 

घूमते आज   
सहस्रों ही रावण 
कहाँ हैं राम 

******************

पड़ जाये तो
कठिन है छूटना
नशे की लत

ले जाती गर्त
जीते जी मनुष्य को
नशे की लत

घर पे लाया
बोतल में कलह
पीने की लत

उनको गर्त
दिखता है जन्नत
नशे की लत

हो गया खाली
गुड़िया का गुल्लक
नशे की लत


मैके से लाई
बिक गयी पाजेब
नशे की लत

लड़खड़ाते
घर देर से आते
पीने की लत

गिरे पड़े थे
एक दिन नाली में
नशे की लत

पत्नी से होती
रोजाना तकरार
पीने की लत

मुंह की बास
छुपाते पान चबा
पीने की लत  

**************

भ्रष्ट आचार
बना लिए आधार
देश के शत्रु

औरों का हक़
छीनने की ललक
देश के शत्रु

देश का धन
लूट के भरे घर
देश के शत्रु

होते हैं खड़े
संविधान से परे
देश के शत्रु

नकली माल
बेच के मालामाल
देश के शत्रु

बेच खा जाते
सरकारी संपत्ति
देश के शत्रु

पैसे के लिए
मिल जाते शत्रु से
देश के शत्रु

बिना झिझक
दवा में मिलावट
देश के शत्रु

****************

रंग बिरंग
मन भावन गंध
पुष्प गुलाब

काँटों में रह
मुस्कराता है वह
पुष्प गुलाब

सबका प्यारा
लुटा कर खुशबु
पुष्प गुलाब

वायु स्वछन्द
कर देती सुगंध
पुष्प गुलाब

रंगों पे भारी
रखे सुगंध प्यारी
पुष्प गुलाब

इत्र की शीशी
रस पी इतराती
पुष्प गुलाब

जाता है खिल
सूंघ कर के दिल
पुष्प गुलाब

सुगंध बांटे
फांद कर के कांटे
पुष्प गुलाब

देख के मन
तोड़ने को बेचैन
पुष्प गुलाब

काला या श्वेत
सुगंध में ना फेर
पुष्प गुलाब

खिला गुलाब
हुआ माली बेताब
तोड़ लेने को

*************

मैंने बनाया
कहता मेरा घर
बोला पत्थर

बना पत्थर !
तू दिल रख कर
बोला पत्थर

चलाता छैनी
निर्मोही दिल पर
बोला पत्थर

मुझे टक्कर
रोयेगा मारकर
बोला पत्थर

मूर्ति मुझमें
काढ़ ले गढ़कर
बोला पत्थर

वैसे का वैसा
सदियों रहकर
बोला पत्थर

खाया ठोकर
चला अँधा होकर ?
बोला पत्थर

मुझे भी लगी
तू मारा कसकर
बोला पत्थर

रखे तू सोना
नगीना मैं मगर
बोला पत्थर 

ताज महल
मुझसे ही सुन्दर
बोला पत्थर

तराश ले तू
मूरत है अंदर
बोला पत्थर

**************

सोते बैठते
माँ रटती रहती
कब आएगा

सैनिक पुत्र
रोया विदाई कर
माँ का कलेजा

खबर आई
फटा माँ का कलेजा
बेटा शहीद

करता प्रश्न
उसे वहां क्यों भेजा
माँ का कलेजा

गर्व से हुआ
बाप का सर ऊँचा
बेटा शहीद

उससे पूर्व
सोचती क्यों न फटा
माँ का कलेजा

जब बनाती
माँ बेटे की पसंद
आंसू बहाती

आता त्यौहार
रोता बेटा पुकार
माँ का कलेजा


दिखता शून्य
छोड़ गया अँधेरा
शहीद पति

*******************
कोयल बोली
उठो सुबह हो ली
बहुत सो ली

हाथ ले जूता
मेरा नन्हां सा पोता -
घूमने चलो

होते ही रात
चाँद ने देखा चाँद
करवा चौथ

चाँद व चंदा
निहारे परस्पर
करवा चौथ

निकल चाँद
देर कर दी बड़ी
भूखा है चाँद

हाथ ले जूता
मेरा नन्हां सा पोता -
घूमने चलो 

आम आदमी
आमदनी अठन्नी
खर्चा रुपय्या

रोगी बेहाल
रखते अस्पताल
जेब पे आंख  

कोयल बोली
उठो सुबह हो ली
बहुत सो ली

आया फैसला
कब्र में जाने पर
सजा-ए-मौत

कानून छोटा
कुछ भी करें नेता
कुछ ना होता 

औरों का हक़
छीनने की ललक
रखते सब

ढका बारूद
कैसे रख सकोगे ?
लंबे समय

उत्तो प्रदेश
दिया किसके हाथ
रहे पछता

आया तूफान
तट पे क्या छोड़ा / छोड़ेगा क्या तट पे
उत्तो प्रदेश / देक्खे की बात

खाकर लात
क्या करता है भाई
देक्खे की बात


तीन तलाक  
शादियां चार चार 
कैसा इंसाफ  

दोनों को मिले 
बराबरी का हक़  
मर्द औरत   

एस० डी० तिवारी 


********************
शहीद

आया सन्देश
बेटा तारों के देश
इस दिवाली

छाया अँधेरा
बुझा घर का दीप
इस दिवाली

जलाया दीया
रख बेटे का चित्र
इस दिवाली

जला न चूल्हा
माँ की आँखों में नीर
इस दिवाली

कर न पायी
दीदी भाई के दीद
इस दिवाली

सीमा पे गया
बेटा हुआ शहीद
इस दिवाली



गिरने से डरूँ
नहीं चढ़ाना प्रभु
इतना भी ऊँचा 

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