Friday, 2 September 2016

Haiku Sept 16 ganv

कोई न जाना
पढ़ के हस्तरेखा
लिखा क्या लेखा

देख के हाथ
हाथ में बोला दूल्हा
ये मेरे लिए

हाथों की देख
बताया तकदीर
शास्त्री लकीर

प्यार जताते
मालिक से अपने
पूंछ हिला के

सीधी न होती
कितनी भी कर लो
कुत्ते की दुम

रहते मिल
कितना अच्छा होता
बिल्ली व कुत्ता

खाई कसम
है हमने सनम
रहेंगे संग

कौन कहता
कुत्ते बिल्ली की लाग
हमें है प्यार

प्यार करेंगे
प्यार करने वाले 
जमाना जले

बाँहों में सोये
मनमीत जो होये
सुख की नींद

रहना जब
हिल मिल के रहेंगे
एक ही घर


दृढ बेशक 
बो देने पर शक
रिश्ता समाप्त

मंगलकारी
हरना गणपति
संकट भारी

करे जो सेवा
सफल मनोरथ
गणेश देवा

विघ्नों के हर्ता
सभी कार्यों में सदा
करो निर्विघ्न

एस० डी० तिवारी

मेरा अंगना
गौरैया न करना
कभी भी सूना

मेरा अंगना
तुम्हारे बिन सूना
गौरैया रानी !

गौरैया रानी
ना करना नादानी
दूर जाकर


सास को आई
बहू ने डांट खाई
गैस की गंध

डाइनोसॉर
चित्रों में उपलब्ध 
मानस पशु

********

किया था कैद 
महकती जुल्फों ने
छूट न सके

पाया आराम
दिल को मिला जब 
जुल्फों की छाँव

जगा ही देती
जुल्फों की सुंदरता
दिल में प्यार 

छीनी आजादी 
कर लिया किसी की
जुल्फों ने कैद

वह लगाया 
मेरा दिल चुराया
जूड़े में फूल

काफी समय
संवारने में जाता
बालों से प्यार

बड़े सुन्दर
बोला तो फंस गयी
उसके बाल

बदलते ही
बदल गया मैं भी
बालों की शैली 

बताता भेद
आदमी या औरत 
बालों का कद

रख लूँ बांधे
चोटी में हरदम
रखती दम

बालों का मोल
कितना अनमोल
गंजे से पूछो

रही संवार
बचे गंजी के सिर 
थोड़े से बाल

जी का जंजाल
निहारे हर कोई 
सुन्दर बाल

गिरा दूल्हे का
हंसी में डूबा हाल
नकली बाल


है पहचान
दाढ़ी मूंछ का आना
हुए जवान

नहीं गलती
हुस्न के आगे दाल
सफेद बाल

रखे तमाम
दाढ़ी मूंछ पलक
बालों के नाम

ले के सहारा
उलझा लिया दिल
बालों का हुस्न  


कुछ की होती
निकालना आदत
बाल की खाल

गया बालक
हज्जाम की दुकान
रफू मुस्कान

बढ़ती उम्र
चुगली कर देते 
सफेद बाल

बिखरे केश
झांक रहा है चाँद
घेरे हों मेघ

चढ़ा सोपान
है हुस्न बेईमान
बालों के बल


करवा देता
सर्दी में गड़ेरिया 
भेड़ों को गंजा

कोमल बाल
जी चाहे खरहे से
सटा लें गाल

पागलखाना
नरक का टुकड़ा 
धरती पर



छक्कों की झड़ी
बहा रहीं पसीना

चीयर गर्ल्स

किसी का दिल
जाने न कहाँ टूटा 
पानी बरसा

बाप कहता
निकली मूंछ दाढ़ी 
अक्ल न आई

बेटा बाप से
डैडी बदलो अब
बदला वक्त

राहुल लाये
अयोध्या से आशीष
विजयी भव

पैसे के पीछे
मरोगे क्या कब्र में ?
मित्र न रिश्ते  

प्यार में मग्न
लगा के ऊँची पेंग 
झूलता प्यार

छूकर गयी  
मेरे पांवों को अभी
यह लहर

- एस० डी० तिवारी



करके नंगा
आदमी को शराब
बुद्धि पे पर्दा

नशे में झूमे
समझ नहीं पाये
किसको चूमे

नशा में पैसा
सुध बुध भी खोये
खुद पे रोये

अंततोगत्वा
होकर ही रहता 
नशा से नाश

हुए है फिदा 
ऋषि मुनि भी देख
रूप व अदा

बन चंडिका
बुराईयों का नाश
स्त्री की भूमिका


सब्जियों पर

निकली छींक 
बैठे सब लोगों की 
सब्जी की छौंक


मक्खन डाल
तड़के वाली दाल
मुंह में पानी

हुआ बेहाल
छींक सबका हाल
मिर्च की छौंक

घर में बनी
धनिया की चटनी
जीभ अधीर

करता मन
सब्जियों में पसंद
आलू बैगन

खाने में और
बढ़ जाता जायका
होवे रायता

प्यार से बनी
माँ के हाथ की सब्जी
निराला स्वाद

खाने में होता
ताजे सब्जी व फल
स्वास्थ्य का हल

जमी मिलती
कौन जाने कबकी
मॉल में सब्जी

घर की भिन्डी
मिल रहा अपने
स्वेद का स्वाद

भाता भरवा
बन के अलबेला
मुझे करेला

स्वादिष्ट बना
गाजर का हलवा
थोड़ा सा और

साथ पा जाती
पालक इतराती
सोया का जब

मटर पाता   
बंद गोभी का साथ
बढ़ाता स्वाद


रफू चक्कर
थाली से टमाटर
दिखा के भाव

किसी का हाथ
झट लेता है थाम
आलू आवारा


प्याज हसीना
बन के कटरीना
सभी फिल्मों में 

स्वाद का चित्र
बन गोभी का मित्र
उकेरे आलू

पनीर संग
दिखाने लग जाती
पालक रंग

खप ही जाती 
जिसके घर जाती   
प्याज बेचारी

प्याज दुलारी
जिसके घर गयी
उसे सँवारी

दिल समाया
पालक की पकौड़ी
माँ ने खिलाया


माँ के हाथ की 
मुंह से न छूटती
बनी जो सब्जी


किसी भी ठौर   
माँ के हाथों का स्वाद
बात ही और


जाता है खिल
पाकर चाउमिन
बच्चों का दिल

बच्चों का देख  
सिकुड़ जाती नाक
हरी सब्जियां

मूली गाजर
कच्चा या पकाकर 
खाना जरूर

बनाई चना
किताब से पढ़के
खाये न बना


दिखाती भाव
जैसे ही जाती मंडी
खेत से भिन्डी

लौकी का कोफ्ता
खा के पूरी कटोरी
फिर रोपता

मिठाई पेठा
हो गोल न चौकोर
रहता ऐंठा

बनी ढंग की
मुंह से ना छूटती
गोभी की सब्जी

सबका प्रिय
बच्चे बूढ़े जवान
आलू महान

अकेली सब्जी
अनेकों पकवान
आलू महान

आलू पराठा
डिब्बा भर के चला
सैर सपाटा

करे कोई भी 
कटे आलू बेचारा
भोज भंडारा

मुस्कराहट
कहती कुछ कम
छुपाती ज्यादा

तोड़ने वाले
दिल पत्थर चाहे
तोड़ ही देते

पैसा बनाता
पैसे के लिए घर 
टूट भी जाता

**************
गांव 

खेत में खड़े
खोंस रहे पछोटा
हाथ में लोटा

नीम की छाँव
दादा की खाट तले
कुत्ते का ठाँव

तेज गति से 
शौचालय निर्माण
नयी पतोहू

मुर्गे की बांग
पहलवान जी का
ट्रेक्टर स्टार्ट

चढ़ा सूरज 
फरसा लिये चाचा
नरेगा केंद्र


झांकता भोर
दादा की खटनही
मंदिर ओर

धूप सेकता
डलिया में ले भूजा
जाड़े में बच्चा 

गाय रंभाती
दूध अब तैयार
होते ही भोर

हुआ विहान
गाने लगीं चिड़ियाँ
मंगल गान

उतरीं नीचे
सूरज की किरणें   
चहके पंछी

देख आसमाँ
मुस्कराता चन्द्रमा
सूर्य से रिक्त
 हो गयी शाम
सूरज छुप गया
दूर के गांव

देखे किसान  
मुस्कराती फसल
खुशी असल  

फसल कटी
खलिहानों में रखी
सोने की ढेरी

जाड़े की रात
करवाता किसान
गेहूं को स्नान

चला किसान
खत्म चिंता का रेला
बैसाखी मेला

बनी एकोर
पगडण्डी की छोर
चींटी की लेन


थोड़ा ठहर
खाऊंगा डाल कर
गाय को चारा

रहा इतरा
चुटिया में अटका
भूसा तिनका

स्कूल जा रही
गांव के पगडण्डी
बच्चों की पंक्ति

तारे व चाँद
खुल के कर लेते
गांव में बात


बोरे का चना
अबकी बरसात
धरे ही जमा

पोत गोबर
त्यौहार की तैयारी
आंगन घर

होत सवेर
पकवानों का ढेर
गांव का पर्व

झाड़ झंखार
तितलियों के पीछे
बाल गोपाल

घास चरती
खुजला रहा कौवा
भैंस की पीठ

हो के सवार
कौवा ढूंढे आहार 
भैंस की पीठ

घर के पास
बांस का झुरमुट
झांकता चाँद

गांव का ताल
भैंस, बच्चों का साझा
तरण ताल


पीटते तास
गांव में खलिहर
समय पास

तोड़ के चाचा
बना लिए दातून
नीम की शाखा

द्वार पे पेड़
पतझड़ में रोज
पत्तों का ढेर

द्वार पे पक्षी
बैठते डेरा डाल
पेड़ की डाल

हुक्का ओझल
चौपाल पे चुपके
खुली बोतल


छाँव जो देता
होता वृक्ष सा कद
औरों से ऊँचा 

बैठे अंगना
तोड़ रहे सजना
गरम रोटी

बहुएं पायीं
एक एक कमरा
सास दलान

है उपजाता
सारा संसार खाता
कृषक अन्न

पशु इंसान
रहते एक साथ
गांव महान


चाहे अभाव
मानवता का भाव
रखता गांव 

होते चुनाव
दबंगई की छाँव
बदला गांव 

पसार लिया
प्रदूषण ने पांव
बदला गांव

खींचते अब
एक दूजे की टांग
बदला गांव

दीनदयाल
चाय पीते चट्टी पे
बदला गांव

घड़े मटके
हो गए प्लास्टिक के 
बदला गांव

बैलों की जोड़ी
नहीं रही जरूरी 
बदला गांव

करता स्त्री
त्याग के धोबी घाट 
बदला गांव

बेरोजगार
हो गया कुम्हकार
बदला गांव

ढूंढे न मिले
कुंवा व पनघट  
बदला गांव

दूल्हा मांगता
मोटर साइकिल
बदला गांव

गांव की गोरी 
अब जीन्स में हो ली
बदला गांव

होली कजरी
सब डिस्को ने ले ली
बदला गांव

घर में टंगी
सोलर लालटेन
बदला गांव

अब न जाना
शौच हेतु बाहर
बदला गांव

दीया न बाती
गली जगमगाती
बदला गांव

दाल  व सब्जी
खरीद कर आती
बदला गांव

खाया क्रिकेट
गुल्ली डंडा का खेल
बदला गांव

गाड़ी मोटर
दौड़ती सरपट
बदला गांव

खेलते बच्चे
अब विडियो गेम
बदला गांव

कोई न राजी
पैदल चल कर
बदला गांव

सैलून वाला
हुआ गांव का नाई
बदला गांव

ट्रेक्टर पर
मोबाइल से बात
बदला गांव

सुनते हॉर्न
स्वप्न पक्षी का गान
बदला गांव

बात बात पे
निकलता तमंचा
बदला गांव

दोना पत्तल
हो गए थेर्मोकोल
बदला गांव

***************

रोये बहुत
गए पहली बार
गांव से दूर

धुआं पीने को
हो गए मजबूर
गांव से दूर

गांव अपना
याद आता है बड़ा
गांव से दूर

गौरैया रानी
चली गयी क्यों रूठ
गांव से दूर

रूठ सी गयी
गये तो आबो हवा
गांव से दूर

रोटी की भूख
लेकर के आ गयी
गांव से दूर

 ढूंढें न मिला
प्रेम व भाईचारा
गांव से दूर

शाम को रोज
सूरज पृथ्वी पर
गांव से दूर


गांव के पेड़
कहाँ पीले कनेर
गांव से दूर

गाड़ी का हॉर्न
कहाँ पक्षी का गान
गांव से दूर

छोड़ के आये
दौलत वास्ते दिल
गांव से दूर

सीमा पे डंटा
गांव का वीर योद्धा
गांव से दूर

ताजी व सोंधी
कहाँ चूल्हे की रोटी
गांव से दूर

फूली सरसों
देखे हुए बरसों
गांव से दूर

भेज दी राखी
भाई गया कमाने
गांव से दूर

खुद का बाग
आम हुआ हराम
गांव से दूर

गन्ने का रस
मिले न लोटा भर
गांव से दूर

बांधे गठरी
बन चले शहरी
गांव से दूर

मन न भाई
खाई सेर मिठाई
गांव से दूर

ऋतु बसंत
हैं कहां मकरंद
गांव से दूर


खींच के लाई
शहर की चमक
गांव से दूर

बैठते घंटों
कहाँ अब पुलिया
गांव से दूर

हुआ सपना
तोड़ मटर खाना
गांव से दूर

तोड़ के गन्ना
असंभव चूसना
गांव से दूर

बुलाते आम
छोड़ के गये कहाँ
गांव से दूर


************
स्वर्ग जो गये
तिरंगे में लिपट
अमर हैं वे

जीवन धन्य
जो मरे और जिये
देश के लिए

जो मर गया 
समझो तर गया 
देश के हित

दिया जो प्राण
मातृ भूमि के लिए
वही महान

सबसे अच्छा
यदि धर्म है कोई 
देश की रक्षा

छत पे धुआं
और खेत में हुआं
होते ही शाम



बेटी जवान
कंगना के अंगना
गड़े नौ बांस

बड़े जतन
बेटी को पाला पोषा
बनी दुल्हन

गांव तैयार
जोह रहा बारात
खेत में तम्बू

छुप के बैठा
अली के घर भोला
होली के दिन

गांव का अन्न
चला जाता शहर
भूख मिटाने
गांव जाता शहर
रोजी रोटी कमाने 


****************

रंगीन बत्ती
लगा बिकती सब्जी
वक्त की बात

लुच्चे लफंगे
तले पार्टी के झंडे
वक्त की बात

चलाता जीप
भोला अस्सी की स्पीड
वक्त की बात

तीन दो पांच
गणक से गणना
वक्त की बात

चौधरी चाचा
पिछली सीट पर
वक्त की बात

रोती है रोटी
खा गया चाउमिन
वक्त की बात

दुहते गाय
अब सुई लगाय
वक्त की बात

तोड़ दी दम
चिट्ठी पत्री ने अब
वक्त की बात










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