अपने ही मन का, रिमझिम वो बरसा
मन लुभाया बड़ा, वो बारिश का पानी।
मुझे तर कर गया, वो भिगो कर गया,
पर रोके ना रुका, वो बारिश का पानी।
शोर करता हुआ, जोर भरता हुआ
दरिया को चला,वो बारिश का पानी।
हम यूँ देखते रहे, मन मसोसते रहे
मगर बहता गया, वो बारिश का पानी।
रोक पाते तो हम, मजे उठाते यूँ हम
बुझा देता प्यास, वो बारिश का पानी।
जैसे बरस जाता, है उम्मीदें जगाता
बरसता है प्यार, वो बारिश का पानी।
रख लेना बड़ा, करके दिल का घड़ा
काम देगा पड़ा, वो बारिश का पानी।
- एस० डी० तिवारी
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