Saturday, 15 October 2016

Gungunati hawa


बैठी होती है यादों में पलकें भिगोये, 
जा के सम्मा बुझाती गुनगुनाती हवा। 
खेतों में आये खलिहानों से गेहूं को, 
डंठल से बिलगाती गुनगुनाती हवा।
धीरे से हिला कर, दरवाजे का पल्ला, 
चरमरा कर डराती, गुनगुनाती हवा।
पीपे में कभी कभी ट्यूबों में भरकर,
पानी में तैराती, गुनगुनाती हवा।
राज की बात आकर कानों के पास, 
धीरे से फुसफुसाती, गुनगुनाती हवा।
झूमती घूमकर मस्तियों में ये जब, 
तब बवंडर उठाती, गुनगुनाती हवा।
खम्भे पर टंगे दिक्शूचक को उड़ा,
दिशा को दर्शाती, गुनगुनाती हवा।


pys >we cy[kkrh] xquxqukrh gokA
fny Nwdj tqM+krh] xquxqukrh gokA
lks;s gksrs gSa >hy] leqUnj] unh
mfeZ;ksaa dks txkrh] xquxqukrh gokA
Mksy ikrs gSa vktkn vEcj esa os 
cknyksa dks ?kqekrh] xquxqukrh gokA
[ksys yiVksa ls ;s tSls cPpksa dk [ksy
/k/kdkrh cq>krh] xquxqukrh gokA
ckalksa ds >qjeqVksa esa ;s tkrh gS ?kql
tk ds ckalqjh ctkrh] xquxqukrh gokA
f[kys gksrs gSa Qwy vfr lqUnj exj
lqxa/kksa dks QSykrh] xquxqukrh gokA
xkrs gksrs fogax e/kqj xhr ckx esa
dkuksa rd ys vkrh] xquxqukrh gokA
jk”Vª /ot dks gS Åapk Vkaxk t:j
ml >aMs dks ygjkrh] xquxqukrh gokA
fudy tkrh gS ?kj ls dgha lqUnjh
pquj mldh mM+krh] xquxqukrh gokA
dHkh ,slk Hkh gksrk] tc fcxM+s fetkt
vkaf/k;ka ysdj vkrh] xquxqukrh gokA



चले झूम बलखाती] गुनगुनाती हवा। 
छूकर दिल को जुड़ाती] गुनगुनाती हवा। 
सोये होते हैं झील समुन्दर नदी
उर्मियों को जगाती गुनगुनाती हवा। 
डोल पाते हैं आजाद अम्बर में वो 
बादलों को घुमाती गुनगुनाती हवा।  
खेले लपटों से जैसे बच्चों का खेल 
धधकाती बुझाती गुनगुनाती हवा। 
बांसों के झुरमुटों में ये जाती है घुस 
पहुँच बांसुरी बजाती गुनगुनाती हवा।
पड़े होते हैं पत्ते, जब खो कर के होश;

जा हिलाती डुलाती, गुनगुनाती हवा
खिले होते हैं फूल अति सुन्दर मगर 
खुशबुओं को फैलाती गुनगुनाती हवा। 



गाते हैं खग, मधुर, बागों में गीत 
कानों तक ले आती गुनगुनाती हवा।
फैलाकर के  पंख, जब उड़ते विहंग,
थाम कर के झुलाती, गुनगुनाती हवा।
चलती जब होकर, फसल के ये ऊपर,
बल खाती इठलाती, गुनगुनाती हवा।  
द्वारे है आती बारात बेटी की जब 
शहनाई बजाती, गुनगुनातीं हवा।
निकल जाती है घर से कहीं सुंदरी 
चुनर उसकी उड़ाती गुनगुनाती हवा। 
निखार, पाता है हुस्न, थोड़ा सा और
जब जुल्फें उड़ाती, गुनगुनाती हवा। 
ऋतु लेकर के जब, चला आता बसंत, 
राग दिल की सुनाती, गुनगुनाती हवा।


मद्धम हो जाती है, चूल्हे की आग,
फूंक कर के जलाती, गुनगुनातीं हवा।
पसारती कहीं पांव, कचरे की बदबू,
दूर उड़ाकर ले जाती, गुनगुनाती हवा।
ले के आती है गर्मी, बेचैनी कभी,
आ के बेनी डुलाती, गुनगुनाती हवा।
दौड़ाते हैं हम, जब गाड़ी सड़क पर
रस्ते से हट जाती, गुनगुनाती हवा।
गाड़ी के पहिये में लेकर के बोझ
भागती सरसराती गुनगुनाती हवा।  
नन्हें बालक के आगे फिरकी नचाती  
मन को बहलाती गुनगुनाती हवा।
खड़े होते हैं बच्चे ले चरखी व डोर  
पतंग ऊँचा ले जाती गुनगुनाती हवा।



टांग देते ध्वजा को, हैं ऊँचा जरूर  
वह झंडा लहराती, गुनगुनाती हवा।
माँ खिलाने से पहले, ले हाथों में फूंके,  
गर्म कौर को जुड़ाती, गुनगुनाती हवा।
डाल देते हैं जब, धूप में भीगे वस्त्र 
साथ मिल के सुखाती, गुनगुनाती हवा।  
जोहता डाल कर के वो मांझी है पाल,
नाव आकर चलाती, गुनगुनाती हवा।
केले का पत्ता, अंग तक लेता फाड़,  
जब मस्ती में डुलाती, गुनगुनाती हवा।
होने लगता कहीं, प्राणवायु का संकट, 
भर सिलिंडर में जाती, गुनगुनाती हवा।  
होता है कभी बिगड़ जाता मिजाज 
आंधियां लिये आती गुनगुनाती हवा।

बवंडर

एस० डी० तिवारी  

खम्भे पर टंगे बड़े पंखे को डुला  
बिजलियाँ नित बनाती गुनगुनाती हवा। 
पक जाती है दाल प्रेशर कुकर में जब 
बजा सीटी बताती गुनगुनाती हवा। 
चलाकर के पम्प सोख लेती मशीन    
उठा कूड़ा हटाती गुनगुनाती हवा।  
समुन्दर में मछली जिंदगी के लिए  
जल में ही पा जाती गुनगुनाती हवा। 
बहलाने को मन प्यारे बच्चों का वो 
गुब्बारा फुलाती गुनगुनाती हवा। 
गड़बड़ हो जाता हाजमा जब किसी का   
पेट में गुड़गुड़ाती गुनगुनाती हवा। 
लिख देता है एक एक गिन कर के वो 
सांसों को चलाती गुनगुनाती हवा। 


बैठी होती है यादों में पलकें भिगोये, 
जा के समां बुझाती गुनगुनाती हवा।
खेतों से आये, खलिहानों में गेहूं को,  
डंठल से बिलगाती गुनगुनाती हवा। 
धीरे से हिलाकर, दरवाजे का पल्ला 
चरमराकर डराती गुनगुनाती हवा। 
पीपे में कभी, भरकर ट्यूब में कभी, 
पानी में तैराती, गुनगुनाती हवा। 
राज की बात, आकर कानों के पास,
धीरे फुसफुसाती गुनगुनाती हवा।  
झूमती घूमकर, मस्तियों में जब ये 
बवंडर तब उठाती गुनगुनाती हवा। 
खम्भे पर टंगे दिक्शूचक को उड़ा, 
दिशा को दर्शाती, गुनगुनाती हवा। 



No comments:

Post a Comment