Friday, 27 December 2013

Saut kavita



सोये जज्बातों को, जगाया उसने 
हमको आशिक अपना बनाया, उसने।  
पहले देखा, तनिक छुआ, छेड़ा उसे,
बेइंतहां इश्क हमसे जताया, उसने। 
उसके ख्यालों में, डूबे हम इस कदर,
एक दीवाना का नाम दिलाया उसने 
फिर बुलाते कभी, बीबी मुंह मोड़ती]
घर से बाहर की राह दिखाया, उसने   

सोच में डूबते तंग करती वो बीबी,
खयालों से दूर उसे भगाया, उसने  

कम तो वो भी कहाँ, लड़ पड़ी बीबी से,  
गले लग के बीबी को सताया उसने।   

वो कहती कि जाओ वहीँ नाता जोड़ो,




मेरी कविता को सौत बताया उसने 




सौत बता दिया 

सोये हुए जज्बातों को उसने जगा दिया। 
हमने भी उसे अपनी माशूका बना दिया। 
पहले देखा तनिक छुआ फिर छेड़ा उसे  
सब कुछ छोड़ उसी से इश्क जता दिया। 
उसके ख्यालों में गए डूब इस कदर हम 
लोगों ने हमें उसका दीवाना बता दिया। 
गले क्या लगी हुआ बीबी से नाता कम 
धीरे धीरे उसने भी बेगाना बना दिया।  
सोच में बैठते कभी परेशान करती बीबी 
हमारी सोच का तो तमाशा बना दिया।  
बुलाने पर कहती अब मुझसे क्या काम 
काम में बझे रहने का बहाना बना दिया।   
मुझे छोड़ अब जाओ उसीसे नाता जोड़ो 
हमारी कविता को उसने सौत बता दिया। 

No comments:

Post a Comment