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phu ls eaxk;k eky ns[kus esa vkd”kZd
exj iz;ksx esa rfud Hkh fVdkm ugha gSA
वकील चलाय कानून] और वकील को धन।
कहो देश में फिर कैसे] न्याय पाये निर्धन!
कहते न्याय बिकाऊ नहीं है।
सालों साल का चक्कर] फिर भी असमंजस।
तारीखें पड़ती रहीं] मुकदमा जस का तस।
न्याय प्रक्रिया छकाउ नहीं है!
एक धर्म की बात करे] होता सांप्रदायिक।
एक को भड़काने का] अधिकार स्वाभाविक।
नेता मगर भड़काऊ नहीं है।
वोटों के लिए नेता] जाति धरम में बांट।
लोगों को गुमराह कर] अपने करता ठाट।
नीति उसकी अलगाऊ नहीं है।
झूठ बोले सच लगे] सत्य तो अर्धसत्य।
नेता बोलते कुछ भी] हो चाहे ना तथ्य।
फिर भी वो बहकाउ नहीं है।
अधिकारी रखते पास] बड़े बड़े अधिकार।
नेताओं पर प्रयोग में] हो जाते लाचार।
नेता जी पर चलाऊ नहीं है।
चीन से आयात किया] सस्ता होता माल।
आते लेकर ख़ुशी से] पछताते हर हाल।
प्रयोग में टिकाऊ नहीं है।
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सालों साल का चक्कर] फिर भी असमंजस।
तारीखें पड़ती रहीं] मुकदमा जस का तस।
न्याय प्रक्रिया छकाउ नहीं है!
एक धर्म की बात करे] होता सांप्रदायिक।
एक को भड़काने का] अधिकार स्वाभाविक।
नेता मगर भड़काऊ नहीं है।
वोटों के लिए नेता] जाति धरम में बांट।
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नीति उसकी अलगाऊ नहीं है।
झूठ बोले सच लगे] सत्य तो अर्धसत्य।
नेता बोलते कुछ भी] हो चाहे ना तथ्य।
फिर भी वो बहकाउ नहीं है।
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प्रयोग में टिकाऊ नहीं है।
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