Thursday, 1 November 2018

Haiku 2019

बढ़ाई आंच
दूध ने लिया बांच
बुझाया चूल्हा

पी लिया बेटा
जरूरत से ज्यादा
नाली में लेटा

बड़ा होकर 
बाप की कुर्सी पर
नेता का बेटा

इश्क का खेल
पढ़ाई में दो बार
हुआ था फेल

हुई क्या सस्ती
दिवाली मना रही
चीन की बत्ती

जैसे ही डाला
गले में वरमाला
जिंदगी कैद

खाने का स्वाद
कर दिया बर्बाद
व्हाट्सएप्प

सिर झुकाये
व्हाट्सएप्प का रोग
पाल के लोग

मुर्गा बनाया
कक्षा में मैडम ने
अंडा भी दिया


हिम्मत मेरी
मुहब्बत की टेरी
भरता रहा

भौरों पे छायी,
गजब की बेकली
कली ज्यों खिली

बना के रखी
उनकी मशहूरी
बीच में दूरी


इश्क की गली
मुझे चिकनी लगी
फिसल गया

जोर से बोले
चले जाओ दर से
द्वार न खोले

दिल पे लिख
डायरी से मिटाये
नाम उनका

छुपाना चाही
कौन से करामात
चालाक रात

उनकी याद
सताने चली आयी 
जाने के बाद

तुझ पे किया
बहुत एतबार
मिला न प्यार

तुम आये तो
बदली थी जिंदगी
गए तो फिर

तुझसे यारी
करना पड़ गया
जेब पे भारी

तेरी नजर
नीबू मिर्ची की माला
पहन डाला

चिकना हो के
वो घर से निकले
हम फिसले

पीला दे मुझे
उल्फत के दो घूँट
ऑंखें न मूँद

आओगे लौट
वहां से खा के चोट
शायर बने


जान पे आयी
दवा न काम आयी
प्रेम का रोग

सुहानी लगी
बसने को जी चाहा
उनकी गली

दिल धड़का
तू आयी क्या करता
हूँ तो लड़का

बहती रही
तू प्रेम नदी बनी
मैं प्यासा रहा

नहीं सुनता
पत्थर है कि खुदा
मुझको बता

देखा न होगा
जो शराब पीते हैं
तेरा जलवा

हुस्न पे लुटा
पास जो था खजाना
इश्क को जाना

दिल को नहीं
जेब को टटोली थी
बड़ी भोली थी

उनकी याद
सताने चली आयी 
जाने के बाद

गली में आया
गल न पायी दाल
हुआ बवाल

लेकर गए 
महँगी थी सौगात
बनी न बात

हुस्न पे लुटा
पास जो था खजाना
इश्क को जाना

सोचा था मीठा
चखा तो पाया तीखा
इश्क का स्वाद

दिल ने खेला
सौदेबाजी का दाव
प्रीत की हार

दाव लगाया
हरा दिया तुमने
प्यार का दिल

नहीं सुनता
पत्थर है कि खुदा
मुझको बता

रोजाना होती
सितारों की बारात
देता तू साथ

दिल लगाना
अल्लाह ने सिखाया
ब्रेक जमाना

देखता जब 
दिखलाता आईना
मेरी सूरत


क्या होगा मोल
जान से बढ़कर
प्रेम का ले लो

प्रेम तुम्हारा
जी सका मैं जी भर
बना सहारा


जबसे मिली
तेरी यादें बसतीं
दिल की बस्ती

आँखों ने झाँका
उन आँखों को
दिल पे डाका

खाये थे चोट
दूर न कर पाए
खुद का खोट


पागल है क्या
शीशे के टूक दबा
मुस्करा रहा

दिल में आना
फिर कभी न जाना
मेरे हो जाना


कह अपना
चला गया दूर
दिखा सपना

डाल पे बैठी
चिड़ा मनाता रहा
चिड़िया ऐंठी

अबकी आये
आँखों में भर लूंगी
जाने न दूंगी

पीकर आया
रात देर से पिया
धूम मचाया

पीकर आया
रात देर से पिया
सोने न दिया


दिल की भेंट
ले के इश्क ने किया
मटियामेट

घातक छुरी
था यूँ इश्क तुम्हारा
पर जरूरी

इश्क उनका 
हलाल होते रहे
संजोते रहे

चला न पाए
इश्क की वो दुकान
गंवाये जान


चलाने चले
इश्क की वो दुकान
गंवाये जान

गंवाए जान
ना सके पहचान
इश्क की धार

इश्क की धार
बस घाव ही छोड़ी
चीर निगोड़ी

उनकी गली
लगी कुछ पतली
वापस चला

वापस चला
मिली नहीं पनाह
इश्क की राह

इश्क की राह
बड़ी थी काटों भरी
चुभती रही


चबाया मैंने
तुम्हें पाने के लिए
लोहे के चने

लोहे के चने
तुम्हारे घर आना
जैसे चबाना

पाना उसको
नाक रगड़ के भी
दूर कि कौड़ी

चश्मे से नजर

सताने आया
ये जाड़ा हरजाया
पा के अकेला



चुभती ठण्ड
देख कर भी चुप
नभ में सूर्य

मिट्टी की काया
चार दिनों की माया
फिर से मिट्टी


करवा चौथ
खाना खाएंगे दोनों
चाँद को न्यौत

दूज का चाँद
देखने आया छुट्टी
चौथ का चाँद

ताल का तट
बस एक ही रट
वक का मत्स्य


माँ सरस्वती
कर में वीणा धर
विद्वता भर
अज्ञानता को हर
उज्ज्वल पथ कर

मधु का डर
बड़ा दिवाली पर
मिठाई छोड़े
चिंता ना घुटे साँस 
खूब पटाखे फोड़े

- एस. डी. तिवारी

क्यों कर रहे
रौशनी का त्यौहार
धुएं में काला
बढ़ाओ भाईचारा
फैले प्रेम उजाला




कर विषैला
दिवाली पर छैला
हवा को खुश

किये दिवाली
पटाखे बदनाम
रीति के नाम

दिवाली पर्व
हवा में विष घोल
मनाते हर्ष

खाओ मिठाई
करो और न भाई
हवा दूषित

घातक छुरी
पटाखों से जरूरी
सांसें अपनी

दिवाली पर
विष पी के ठहाके
छोड़े पटाखे

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