Sunday, 30 July 2017

Haiku mausam pyar 3

भिगोई तन
पहली वो बारिश
भीगा न मन

बरसे ऐसे
धुल गया कजरा
कारे बदरा

मन उदास
सूखा रहा आकाश
आये न घन

उनके बिना
बरसा न सावन
तरसा मन

आयी फुहार
लाई पिया को साथ
इस सावन

भीगी मैं खूब
सखि! संग साजन
इस सावन

झूलूँगी झूला
सावन में पी संग
ऊँची ले पेंग

झूलूँगी झूला
सबसे ऊँची पेंग
संग पिया के

झूलूँगी झूला
सोची थी सावन में
साईयाँ भूला

पिया आये ना
सावन ऋतु आई
बरसे नैना

भीगीं पलकें
भीगती रहीं रातें
उनकी यादें



सावन आया
भू पे धाक जमाया
पिया न आया

झूलूँगी झूला
सोची मैं सावन में
पिया न आया

खूब सताया
छीन रातों की नींद
पिया न आया

आये बदरा
बह गए कजरा
पिया न आया

अकेली रातें
किससे करूँ बातें
पिया न आया


प्रेमी युगल
बने प्रेम के संत
आया बसंत

कोयल अलि
गाते गीत रसिक
आया बसंत

हुआ बसंती
मन ऋतु के रंग
आया बसंत

बागों में प्रेमी
फूल भौरों के संग
आया बसंत

ढूंढते पंछी
मन-मीत का संग
आया बसंत 


कब आओगे
आ गया मधुमास
मधु लाओगे ?

निहारी पथ
अबकी मधुमास
आने की आस

ख़ुशी समायी
मन में सावन की
पी आवन की

प्यासा जीवन
मरुस्थल सा बन
पिया न पास

नहीं निकट
सावन में साजन
विघ्न विकट

तुम थे पास
मनाये मधुमास
बारहों मास


तेरा व मेरा
पलता प्यार देख
उमड़े मेघ

फैलाया तूने
प्यार भरा आंचल
जले बादल

घन घुमड़ा
याद आ गए तुम
प्रेम उमड़ा

आषाढ़ मास
आ गए घन घेर
जगाने प्यास



तुम्हारे साथ
लगता मधुमास
हरेक ऋतु 

*******

जल के मन
ओस से हुआ छन्न
तुम्हारे बिन

जलाई तन
जाड़े की ठिठुरन
तुम्हारे बिन

रात की ओस
कर देती बेहोश
तुम्हारे बिन

लागे न नीक
चैत मास के दिन
तुम्हारे बिन

काटीं रतियाँ
हमने तारे गिन
तुम्हारे बिन

सावन आया
मन रहता खिन्न
तुम्हारे बिन

सताता बड़ा
जब आता है जाड़ा
तुम्हारे बिन

खिली भी कली
मगर अधखिली
तुम्हारे बिन

आये थे मेघ
गए अंगना देख
तुम्हारे बिन

भूत का डेरा
लगता घर मेरा
तुम्हारे बिन


*********
जाग उठता
सावन की बौछार
देख के प्यार

रातों को आके
टिमटिमाते तारे
जगाते प्यार

खिल उठता
देख फूलों को खिले
दिल में प्यार

छा जाती जब
बसंत की बहार
पलता प्यार

खिलखिलाती
जाड़े की धूप आती
गाता है प्यार

**********
गर्मी की आड़
लेती तो पी बोलता
चल पहाड़

बदली ऋतु
रहा अडिग किन्तु
प्यार हमारा

चुरा ही लेती
हर ऋतु से कुछ
प्यार की ऋतु

कोई भी ऋतु
खिल जाता हंस के
प्यार का फूल 


घेरे बदरा
कसमस जियरा
उनके बिन

उड़ाती रही
उनके बिन होश
जाड़े की ओस

जाड़े की रात
नभ! बहाया आंसू
क्या तू भी तन्हा  


कोहरा बन
चारों ओर छाओ ना
पास आओ ना

वाह री आग
तुझे जो प्यार करे
हो जाता खाक

काटी हमने
जुगनुओं के साथ
अँधेरी रात 


Friday, 28 July 2017

Khoon ka junoon

खून का जुनून - १

लड़ाकों की टुकड़ी, लड़ाई जीत चुकी थी
हजारों जिंदगियां बीत चुकी थीं।
ढह चुके, अनगिनत मकान थे
बस्तियां बन चुकी कब्रिस्तान थीं।
खंडहरों से मलवा, हटाया जा रहा था
लाशों को कहीं और, दफनाया जा रहा था।
बस्ती दुबारा बसाने की, सोची जा रही थी
बदबू के सहारे, लाशें खोजी जा रही थीं।
औरत, बच्चे, बूढ़े सभी थे, लाशों में
सड़ी, गली भी मिल रहीं, तलाशों में।
मलबों के झरोखों से झांकते
कहीं हाथ, पैर; किसी की आँखें।
जो जिन्दा था, मुर्दे से बदतर था
बेबस था, अपाहिज बनकर था।
भारी बमबारी, बड़ी जानलेवा थी
कोई अनाथ था, कोई बेवा थी।
कभी, जिस जगह फूल खिलते थे 
हरी घासें थीं, जानवर चरते थे।
वह जमीन, अब लाल पड़ी थी
बिखरे शवों से बेहाल पड़ी थी ।
लाशों के सड़ने की बदबू फैली थी
बारूद के धुएं से हवा विषैली थी। 
सुनसान वो जगह मीलों मील थी
आसमान में गिद्ध और चील थीं।
मुर्दे ही मुर्दों को ढूंढ रहे थे
आदमी आँखों को मूंद चुके थे।

                                   क्रमशः २, ३

खून का जुनून - २

वह नदी में पानी के लिए गया था
गले में बोतल लटका, दोनों हाथ ऊपर किये था।
फिर भी बंदूकें चल रही थीं
उस पर गोलियां बरस रही थीं।
वह छोटा सा, नन्हां सा मासूम था
यह क्या और क्यों हो रहा, नहीं मालूम था।
धांय धांय और गोली, कैसी बर्बरता
यह बहादुरी थी या कायरता ?
दया की भीख ने भी दरिंदों से नहीं बचाया 
बंद होने से पहले, अल्लाह की ओर नजर घुमाया।
थोड़ी ही देर में, रेत ने सारा खून सोख लिया
माँ धरती ने उसे अपनी कोख लिया।
नन्हां सा एक जूता, रेत में छटका पड़ा था
दूसरा, पैर के साथ ही सड़ा था।
कौन था ? बस जूता ही निशान थी
अपनों के लिए बस वही एक पहचान थी।
क्या पहचानने वाला कोई मिलेगा ?
या शव अपनों की नजर के लिए तरसेगा ?
कौन होगा, उसको जो दफ़नायेगा
कब्र मिल भी गयी तो चिराग कौन जलाएगा ?

                                           क्रमशः - ३

खून का जुनून - ३

किसके लिए वे लड़ रहे, नहीं जानते,
इंसानों का क्यों क़त्ल कर रहे, नहीं जानते।
हैवान बने, कितना खून पिए, नहीं जानते
इंसानों पर क्यों जुल्म किये, नहीं जानते।
जानने की उनको परवाह नहीं थी
कि असली इंसान कौन है ?
कुछ थे, लहू बहाके, साबित करने में लगे
असली मुसलमान कौन है !
उन्हें क्या पता था, इंसानियत भी कोई धर्म है।  
इंसान की जान बचाना, सबसे बड़ा कर्म है।
जो जिंदगी दे नहीं सकता, लेने का क्या हक़ ?
मगर उनका मजा है, बहाना खून नाहक।
शायद  वो इंसान नहीं कुछ और थे
पापी, हैवान थे, निर्दयी कठोर थे। 
जिस जीव को खुदा खुद बनाता है
इंसान कैसे हो सकता, जो मिटाता है !
अल्लाह के जीवों को इस तरह मिटायेंगे
जहन्नुम में भी, क्या वे जगह पाएंगे ?
मगर उनका तो बस एक ही जुनून था
कैसे भी हो, इंसानों का पीना खून था। 

एस० डी० तिवारी 

Haiku pyar 2


उनसे जुड़ा
हो गया बदनाम
हमारा नाम

इससे अच्छा
उनसे चैट करें
याद में मरें

लगाए वही
लौ उन्हीं की लगी
प्रेम की आग

दर्पण जान
तेरे दिल में देखा
दिल का बिम्ब

राहें पूछतीं
तुम न होते साथ
वो कहाँ गए

होता न हुस्न
सोचता हूँ क्या होती
फूलों की क़द्र

खिली जो कली
मंडराते आ गए
बागों में अलि

ढोते हैं दुःख
अनुरागी जितना
और न कोई

सोयें जी भर
सांसों को रोके बैठे
चैन की नींद

शाम हो गयी
चले उनकी गली
दीया जलाने

होती रहती
साल भर बारिश
प्रेम की ऋतु

जीते जी तूने
बुर्के में ढका रहा
मरे कफन

आज मुझको
ढक ना कफन से
वो भी देख ले

हुई परीक्षा
पास फेल की चिंता
इश्क में न की

हो गए फेल
प्रेम की परीक्षा में
समझे खेल

लहू ना बहा
इश्क के हादसे में
दर्द तो हुआ

तुम्हीं थे चारा
खा गए बेईमान
हुआ बेचारा

कंधे पे रखे
तुम फूलों सा हाथ
दिल पे नाग

कहानी छपी
पत्रिका खूब बिकी
मेरे प्रेम की

दिया है चीर
तेरे प्रेम का तीर
सियूं तो कैसे

तुझे क्या पता
तू प्यार में कितना
चुका है सता

भुला दें तुझे
दर्द में रोता दिल
सुला दें इसे ?

मिटा दो चाहे
मिटा चुके दिल से
किताबों से भी

बेहोश किया
बिना दर्द मरेंगे
शुक्रया तेरा

जब तू नहीं
क्या करेंगे लेकर
सूखी जिंदगी


****

सोच के रोये
प्रेम का परिणाम
कर के रोये

खोया हमने
रूठने मनाने में
प्यार कितना

तेरा मुखड़ा
दिल को हंसा देता
और वो चाँद

रखे थे आस्था
दोगे ही एक दिन
दिल में स्थान

बनाये हम
दिल में मार्ग चौड़ा
आ जाओ दौड़े

करके याद
बदले करवट
तुझे ही बस

तुम्हारी याद
आनी शुरू हो जाती
शाम ज्यों आती

ले के शबाब
दे दिये हो तलाक
कैसा हिसाब ?

किये प्रतीक्षा
तुम लिए परीक्षा
भोर से शाम

कितने पले
मेरी जिंदगी तले
बूढ़े हो चले

एक बिस्तर
सोये करके मुंह
जानूं उधर

खुश हो जाता
तुम जाते हो मिल
आशिक दिल

होते न पास
तुम तो हो जाता है
दिल उदास

हुई बर्बाद
ये जिंदगी करके
तुझको याद

तुम आते हो
मधु घुल जाती है
इस हवा में

तुम्हारी याद
आती रही बंद थे
खिड़की द्वार

जान न सके
आसान की मुश्किल
तू से मंजिल

आते हो तुम
हो जाता है मौसम
खुशगवार

कहाँ से आये
सुहानी ऋतु लाये
चलें हम भी

कसम खाई
ना मिलेगी हमसे
फिर भी आयी

****

गले से हमें
जिसने भी लगाया
शुक्रिया अदा

आता है प्यार
दिल में दबे पांव
खुद चल के

भारी हो गया
तेरे प्यार का बोझ
दिल पर था

समय लगा
पहली बार लिखा
प्यार की चिट्ठी

खोल रखे थे
हिय के दरवाजे
प्रिय के वास्ते

ज्योति न मिली
जीते प्यार की तेरी
कब्र पे दीया

भूली यादों का
तन्हाई में काफिला
संग में चला

असर हुआ
तुम गए जो मिल
धड़का दिल

ढूंढते रहे
मुहब्बत की हद
डूबते रहे

वश में न था
गले को लगा पाना
काट ही देते

करता है जो
पछताना ही होता
राही से प्यार

हारने वाला
विजयी कहलाता
प्यार में दिल

सिर झुकाये
पत्थर भी लगता
देवता जैसा

डाल के दोनों
दिल को गए हार
फूलों का हार

उसने दिया
मुहब्बत का विष
हमने पिया

फोटो देखते
पढ़ाई के बहाने
पन्नों में तेरी

प्यार की सजा
इससे भी ज्यादा क्या
अकेलापन

तोड़ते गए
लोग प्यार की टांग
प्यार न रुका

पाते न मोल
शबाब व शराब
प्यार न होता

फेंका पत्थर
प्यार समझकर
उठाये हम

********
देखे सितारे
हमारी बेकरारी
सोये न सारे

ढह ही जाते
थामे न होते तुम
प्यार बन के

क्या कहा होगा
उसने कहा होगा
प्यार तुमसे

क्यों कर कहूं
एक सा नहीं होता
चाँद तुमको

खूब जमेगी
शहनाई बजेगी
तेरी व मेरी

आज मैं आया
बारात भी आएगी
तेरे दर पे

लौट के आये
तुम जाने के बाद
डोली उसकी

रहा न गम
अब रहा भी कहाँ
दम में दम

बदल लिया
बनाया घर पास
तो तूने घर !

साइन वाले को
इतने चोट खाये
कहाँ से लाएं

उदास हुए
ना आस पास हुए
जब भी तुम

सोखता रहा
दिल का खून बहा
आँखों का पानी

हाथ उठाये
लेने को अंगड़ाई
लगा बुलाये 


सूरज ढला
अम्बर हुआ लाल
मुझे सम्हाल

तुम करीब
हम गरीब कहाँ
बड़े नसीब

मुंह छुपाये
दुपट्टे से वो आये
पहली बार

हाथों में रहीं
चूड़ियां खनकती
पहली रात

उठीं व झुकीं
नजरें कई बार
पहली बार

जाने की जल्दी
आये न कि कर दी
पहली बार

कांपे थे हाथ
लेकर आये चाय
पहली बार

याद  है हमें
तुम्हीं खोले किवाड़
पहली बार

उसने छुआ
दिल बेहाल हुआ
पहली बार

पढ़ते गए
आंसू झरते गए
प्यार कि चिठ्ठी

रोये भी तो क्या
देखने वाला न था
भीत के सिवा

प्रेम नगरी
सामने जो भी होता
अपनी रोता

हर कोई था
लिए भीगी रुमाल
प्रेम की राह

देर कर दी
परवा न इसकी
आये तो सही 

प्रेम की राह
थामें किसका हाथ
कैसे जानते

रखे भरोसा
ढूंढे गली गली में
उसका पता

कैसे ढूंढते
शहर में उसको
नहीं था पता

हम न होंगे
प्यार के ये लफड़े
कम न होंगे

चढ़ा था तेरा
जाने क्या कह गए
प्यार का नशा

घोंपे खंजर
तुम तो चाँद तारे
देखे मंजर

बहता रहा
लहू का दर्द दिल
सहता रहा

उतरे तुम
कैसे मैं बंद करूँ
आँखों में मेरी

आकर तुम
जला रही थी धूप
छाँव तो दिए

रखे आँखों में
उतारोगे हमको
दिल में कब

लगे न कोई
इल्जाम तुम पर
पी गए आंसू

दिखे न तुम
तोड़ दिया दर्पण
खुद हमने

आ ढूंढते हैं
हमें ढालने वास्ते
गजलकार

सबके साथ
मेरी लोट पोट पे
वो भी हँसते

उड़ने चले
उधार के पंख से
धड़ाम गिरे

जल बुझी है
आज दुनिया सारी
तू साथ मेरे


********

*हास्य व्यंग्य *

चाहत जुदा
काम करते मिल
आंख व दिल

छाई बदली
तवियत बदली
उनको देख

बारिश आई
गल तो न जायेंगे
मिटटी के हम


होश खोने को
क्यों जाना मयखाना
तोड़ दो दिल /कर लो इश्क

तोड़े जनाब
मयखाना में दिल
पी बेहिसाब

देख के चाँद
वह विदक गयी
मैं प्रेमी हुआ

दिल की लगी
जता पाते उसको
छोड़ के भगी

प्यार में मैं तो
पा गया ससुराल
सिक्का उछाल

बाल रोपाया
पैसे गंवाकर भी
कुछ न पाया   

छुड़ाने पर 
टूटता एक ही क्यों
जुड़े दिलों को

रोज चाहता
तुझे मेरी खातून
जैसे दातून

आये सामने
वो ईद के बहाने
हमें चिढ़ाने

छत पे बोला
कल उसके कागा
कोई ले भागा

समूची रात
सताती रही याद
नींद सिधारी

********
क्या क्या न किये
मन मार के जिए
तुम्हारे लिए

खा गए चोट
गए तोड़ने तारे
तुम्हारे लिए

चाहे जो ले लो
खुला है ये बाजार
तुम्हारे लिए

रखते दम
लड़ें जग से हम
तुम्हारे लिए

जिन्दा हैं हम
दुनियां में सनम
तुम्हारे लिए

**********

कैसे मैं जानूं
तुम हो मेरे जानूं
लाये न हार


प्यासे नयन
सूखा दिल का कंठ
तेरे रूप के

छूती है उसे
हवा भी जब कभी
जल जाता हूँ

उड़ जाने दे
मेरी आँखों से नींद
प्यार में तेरे

देखते जब
दर्पण में दिखते
तुम ही तुम

छीने हैं चैन
तेरे चंचल नैन
मृदुल बैन

भुला देती हैं
तुझसे मुलाकातें
जरूरी बातें

कानों में देते
तेरे मधुर बोल
शहद घोल

मटक तेरा
हिरनी सा चलना
मेरा गिरना

*****

नापी नजर
निस दिन डगर
पिया विदेश

कान रहते
हरदम फ़ोन पे
पिया विदेश

होती नजर
सन्देश पेटी पर
पिया विदेश

मन दौड़ाती
कहाँ कहां घुमाती
पिया विदेश

नहीं सुहाती
रजनी बरसाती
पिया विदेश

मन में आते
बुरे स्वप्न डराते
पिया विदेश

बुझी न आग
सावन की लगाई
पिया विदेश

*****


जब भी आती
पायल झनकाती
मन झंकृत

जब भी आती
चूड़ियां खनकाती
मन पुष्पित

सुन सजना
कभी नहीं करना
हमें विस्मृत

तुमसे प्यार
डंके की चोट पर
सर्व विदित

सूख रही थी
किये प्रेम बगीची
तुम सिंचित 

***


हुआ लापता
जबसे चाँद मेरा
अम्बर सूना

तोडा तुमने
बसाया था घरोंदा
प्रेम का मेरा

लाया था तोड़
तेरे लिए सितारे
गयी क्यों छोड़

सुन्दर मुख
देखकर तुम्हारा
मिलता सुख

दिल पे लिखी
जिसे नित पढ़ता
कहानी है तू

तेरे प्यार में
पड़ी मझधार में
जीवन नैया

अभी भी पड़ी
दीवार पर टंगी
तस्वीर तेरी

बजती रही
हेलो तक न आया
घंटी पे घंटी

हाथों पे खींची
ये रेखायें हैं लिखी
तेरा ही नाम

मैसेज आया
नहीं किया स्वीकार
भेजे सौगात

हैं अनमोल
गिरें न आँखों से ये
प्यार के मोती

निर्झर बही
नयनों से जो चली
अश्रु सरिता

जैसे ही देखा
नयन मधुशाला
नशा सा छाया

फूल जो झरे
रखे बोरों में भरे
प्यार के तेरे

धन को त्रस्त
तन पे फटे वस्त्र
पिल्ले से प्यार

कभी था प्यार
जिस नर्स से आज
सुई चुभोती

उसका होना
खटकता मुझको
तुम्हारे पास

देखता जब
फटकते उसको
भुन जाता हूँ

बगैर खुला
मेरा वो प्रेमपत्र
कूड़े में मिला

सम्हाले रखा
तुम्हारे प्रेमपत्र
आते ही फाड़ी

तेरे प्यार के
मिले जो खत मुझे
सम्हाले रखे 


*******

वन के कष्ट
सीता सही सहज
प्रेम में डूबी

राधा जीवन 
की कान्हा को अर्पण
प्रेम में डूबी

पी गयी विष
मीरा बेझिझक 
प्रेम में डूबी

चौदह वर्ष
उर्मिला के अकेले
प्रेम में डूबी

रानी से दासी
हो गयी दमयंती
प्रेम में डूबी

जहर खिला 
हुई हीर की हत्या
प्रेम में डूबी

पाई सौगात
ताज का मुमताज
प्रेम में डूबी

पढ़े थे साथ
थाम के रखी हाथ
प्रेम में डूबी

कह दी साफ
तू मेरा अनुराग
प्रेम में डूबी

तू मेरा दीया
मैं तेरी बाती पिया
प्रेम में डूबी

********



हुआ लापता 
जबसे चाँद मेरा  
अम्बर सूना 

तोडा तुमने 
बसाया था घरोंदा
प्रेम का मेरा 

लाया था तोड़ 
तेरे लिए सितारे  
गयी क्यों छोड़ 

सुन्दर मुख 
देखकर तुम्हारा 
मिलता सुख

दिल पे लिखी 
जिसे नित पढ़ता 
कहानी है तू  

तेरे प्यार में 
पड़ी मझधार में 
जीवन नैया 

अभी भी पड़ी 
दीवार पर टंगी  
तस्वीर तेरी 

बजती रही 
हेलो तक न आया 
घंटी पे घंटी 

हाथों पे खींची 
ये रेखायें हैं लिखी 
तेरा ही नाम 

मैसेज आया  
नहीं किया स्वीकार   
भेजे सौगात  

हैं अनमोल   
गिराओ न आँखों से   
प्यार के मोती 

निर्झर बही 
नयनों से जो चली
अश्रु सरिता 

जैसे ही देखा  
नयन मधुशाला 
नशा सा छाया

फूल जो झरे 
रखे दिल में भरे  
प्यार के तेरे 

धन को त्रस्त
तन पे फटे वस्त्र
पिल्ले से प्यार   

कभी था प्यार
जिस नर्स से आज  
सुई चुभोती  

उसका होना 
खटकता मुझको  
तुम्हारे पास  

देखता जब 
फटकते उसको 
भुन जाता हूँ 

बगैर खुला 
मेरा वो प्रेमपत्र  
कूड़े में मिला  

सम्हाले रखा 
तुम्हारे प्रेमपत्र 
आते ही फाड़ी

तेरे प्यार के 
मिले जो पत्र मुझे  
सम्हाले रखे 

बिन साजन 
लगता है सावन 
जेठ महीना 

पार्क का बेंच 
प्रेम कहानियों का 
पुराना साक्ष्य 

रह के साथ 
बीस से अब तक 
निभाए साथ 

हो पाईं दो ही 
देखे मैंने हजारों 
ऑंखें अपनी 

चंचल नैन 
दो नयनों में झांक 
हो गए चार 

लगने लगी 
जबसे देखा उसे 
परी सी मुझे  

होने दो शादी  
तुम भी हो जाओगे  
आम आदमी 

क्या दे दें हम 
तू ही कर दे तय 
दिल या जान 

हजारों बार 
देख कर भी तुझे 
प्यासे नयन   

कोई तो होगा 
बीते जन्म का नाता 
फिर से मिले 

गर तू परी 
मुहब्बत से भरी 
मेरी ये चिट्ठी 

महक गयी 
तुम्हारे आ जाने से 
गली की हवा 

जाओ उतर
या उतारो खंजर 
दिल में अब 

चाही थी हवा   
मिटा न सकी नाम  
दिल से तेरा 

मिल जाए तो  
तू और तेरा प्यार 
जिंदगी पार 


समाने आया  
तेरा रूप मस्ताना
होश उड़ाया

आँखों से पी ली
बड़बड़ा न उठूं
होठों को सी ली

इतना प्यार
आ के ना जा पाओगे
है मेरे पास

दर्पण नहीं
मिट जाय तस्वीर
दिल है मेरा

तुझको सिला
तेरी मुहब्बत से
मुझको मेरी

दर्पण रोज
तेरा मुंह देखता
मुझे चिढ़ाता

देख के मुंह
करते दिन शुभ
फोटो पे तेरी

अँधा था प्यार
देखा नहीं बंद था
दिल का द्वार

बरसों जोहा
कार्ड पे छपे नाम
दोनों का साथ

हुआ दीवाना
तेरे हुस्न को देख
दिल ना माना

पीकर हुआ
तेरे होठों का प्याला
जी मतवाला

गया तरस
तेरे नैनों का रस
पीने को मन

ले के रहेंगी
तेरी नजरें तीखी
जान किसी की

कांपने लगा
तुमने जो लगायी
दिल में आग

बज उठती
प्यार में घडी घडी
फोन की घंटी

शादी करके
दो दिल एक हुए
प्रमाणपत्र

छुपाता रहा
फिर भी खुल गया
प्रेम का भेद

प्यार में टॉप
पढ़ाई में हो गए
दोनों ही फ्लॉप 


जबसे पिया
छोड़ा पीना शराब
तेरा शबाब


तूने चलाया
समझे होता है क्या
प्यार का जादू

हुआ असर
तूने डाली नजर
गिरे बेहोश

एक ही घर
तेरा मेरा रहेगा
एक ही कब्र

पागल पंछी
जी ताके तेरी ओर
जैसे चकोर

कही कहानी
ढलका के चुनर
बैरी जवानी

जबसे यार
पाये तुम्हारा प्यार
परमांनद

देखूं दर्पण
दिन में कई बार
चढ़ी उमर

डगमगाए
नशे में डूबे तेरे
कदम मेरे

होश न खोये
उन्होंने सोचा होगा
प्यार न होगा

भोली सूरत
मार गयी मगर
कातिल अदा

बिजली गिरी
हुआ ऐसा असर
जख्मी जिगर


छूटे पसीना
गर्मी में पी आतुर
छूने को सीना

छूटे पसीना
गर्मी में पी करता
मुश्किल जीना

थामा तू डोर
जीवन की पतंग
नभ की ओर

तुम बिन ज्यों
चाँद बिन आकाश
दिल उदास

आँखों का जादू
उन्होंने किया डाल
दिल बेकाबू

चाहता नित
तेरी बाहों का हार
दिल को प्यार

जलाये बैठा
तेरे प्यार का दीया
दिल ये पिया

विरह तेरी
जला के न कर दे
राख ही मुझे

हमको दे दो
आपने सारे गम
ढो लेंगे हम 



दिल था भोला
इश्क ने खिला दिया
भांग का गोला

इश्क का जादू
चला के किया तूने
दिल बेकाबू

खुश अम्बर
हमारे प्यार पर
रंग बिखेरा

देखी जबसे
बना ली तक़दीर
तेरी तस्वीर

दिल लगाया
और जो ना लगाया
रोना ही आया

सामने आये
देख छवि उनकी
नैन जुड़ाये

आँखों की खता
काटी जिंदगी भर
दिल ने सजा 


जाओगे तुम 
जाएगी मेरी सांस 
तुम्हारे साथ 

करती रही 
मंहगी मुहब्बत 
रोज गरीब 

प्यास बुझाने 
नदी निहारे मेघ 
मैं पी की राह 

जब से हुआ
हम दोनों का सिला
शकुन मिला

लेकर आयी
हम दोनों को पास
ठंडी फुहार

तन्हा थे हम
आये तुम करीब
मेरे नसीब

मान के आये
यहाँ तक कि दोगे
तुम न दगा

छेड़े हो तुम
मेरे दिल का तार
बदला सुर

आये वो पास
खूबसूरती ने की
बदहवास

नैनों का तीर
चुभोया ऐसा तूने
घायल दिल

करके प्यार
बात बात पे यार
खफा ना होना

छैल छबीली
कहोगे कि करोगे
जेब भी ढीली

कैसे हो यार
तुम्हें मुझसे ज्यादा 
जेब से प्यार



दिल बेकाबू
चला के किया तूने
प्यार का जादू

शाम ज्यों आती
आनी शुरू हो जाती
तुम्हारी याद

हुई बर्बाद
करके ये जिंदगी
तुझको याद

लगाया आग
वो तेरा था चिराग
घर में मेरे

साथ में चली
परछाईं भी मेरी 
उजाला तक 

कल से बैठे
तुम रूठे क्यों ऐसे 
फेर के मुंह  

Thursday, 20 July 2017

Ganv se shahar, ghazal

अपनापन हो गया दूर, गांव से शहर आ गए।
बचपन था बहुत मगरूर, गांव से शहर आ गए।
नीले आसमान को फांद, चले आते सूरज चाँद,
टिमटिम तारों की त्याग, चमकती लहर आ गए।
चिड़ियों की चीं चीं नहीं, में बकरी की कहीं,
और न मेढक की टर्र, जाने किस डहर आ गए।  
तज; कोयल के गान, गेहूं, सरसों की मुस्कान,
जगाता मुर्गे की बांग, रोजाना सहर, आ गए।
छूटा नदी का कूल और मिला न स्विमिंग पूल,
कहाँ मन महकाते फूल? कौन से ठहर आ गए?
पेड़ की ठंडी छाँव, चू कर गिरे रसीले आम;
पीने, छोड़ अपने गांव, धुएं का जहर आ गए।
संस्कारों से परे, महँगी कार की मंशा धरे,
बासी खाने डिब्बा बंद. खड़ी दोपहर आ गए।
वास्तविकता को छोड़, दिखावे का चोला ओढ़,
अपनी सुध बुध पर 'देव', ढाने कहर आ गए। 

सत्य देव तिवारी 

Saturday, 15 July 2017

Haiku Aug 17 / pyar1

तुम्हारे होंठ
जैसे सुर्ख गुलाब
नहीं जबाब

कहाँ से आई
सुन्दर रूप लिए
परी लजाई

तुम्हारी ऑंखें
जैसे आम की फांकें
सख्ती से ताकें

तुम्हारे नैन
भीतर डूबा दिल
गहरी झील

आँखों की बड़ी
तुम्हारी ये पुतरी
पारसमणि

तुम्हारे गाल
दहकते अनार
दिल बीमार

तुम्हारे गाल
टमाटर से लाल
काटे न कोई !

तुम्हारी हंसी
हम हो गए तेरे
दिल के कैदी

निकली देख
तुम्हारा गोरा रूप
रात में धूप

हुआ घायल
मुस्करा दिए तुम
दिल कायल

तुम्हारे बाल
रेशम से कोमल
दिल का जाल

तुम्हारी बाहें
लगतीं गले पड़
स्वर्ग की राहें

छाई बेहाली
देखा जबसे तेरी
होठों की लाली

हिलती तेरी
दिल झूमता संग
कानों की बाली

शोभेगी तेरी
डाल कर उंगली
मेरी मुदरी


हंस सी तेरी
कर देती बेहाल
अनोखी चाल

रही है डाल
दुनिया दृष्टि बुरी
कैशोरी चाल

तेरी बिंदिया
देखते तो खो जाती
मेरी निंदिया

दिल लुभाई
जब तूने लगाई
माथे की बिंदी

बैरन बनी
हम दोनों के बीच
तेरी नथनी

कलाई भरी
साईयाँ को बुलातीं
चूड़ियां हरी

नकली
देख कंगना
हाथों में

चाँद को ढंकी
झलमल चुनरी
बन बदरी

माथे पे बिंदी
तेरी ये चमकती
नभ पे चाँद

****

पकड़े तुम
हाथ तो दिल गया
भौरे सा झूम

नहीं अंटता
तुम्हारी सुंदरता
छोटा आईना

सोचा है कैसे ?
मेरे कटेंगे दिन
तुम्हारे बिन

जला के दिल  
जिन्दा हूँ अब तक 
तुम्हारे लिए 

छेड़ते रोज 
मुझे देख अकेले 
दूर से तारे 

तुम्हारा साथ
पाकर पाया मैंने
जग सौगात

खुशियां मेरी
एक एक दिन की
दी हुईं तेरी

चुभी न कहीं
नयनों से उतरी
दिल में दर्द

दुनिया सुनी 
तुम बिन लगते 
दिन भी खूनी 

****
देखा न करो 
दीवाना ही हो जाय 
रोज आईना 

नहीं पाओगे 
जब तक आओगे 
रखा ये दिल 

जिसको चाहा 
नहीं है कोई और 
तुम्हारे सिवा 

मैंने चुराया 
हिसाब बराबर 
तूने चुराया 

तुझे देख के 
सेकंड की सुई सा 
दिल धड़के 

माँगा मन्नत 
पाकर के तुझको 
पाया जन्नत 

कविता मेरी 
गढ़ती है अनूप 
तेरा ही रूप 


ढलकी उम्र
आंसुओं में बह के
तन्हा रह के

उनकी अदा
दुनिया हुई फ़िदा
मैं तो दीवाना

तुम ज्यों आये
हमने जला दिया
प्रेम का दीया

****
है परेशान
जबसे उन्हें देखा
दिल नादान

अंदर डूबा
हो पाया पार वही
प्यार की नदी

खुली थीं बाहें
कौन था रोक दिया
प्यार की राहें

तुम आते हो
जगमगा जाता है
दिल का दिया

चाँद की ओर
ताकता है चकोर
मैं तेरी राह

सावन बीता
एक बूँद के लिए
पपीहा बैठा

जल्दी से भाग
खेला तो जला देगी
प्यार की आग

प्यार है पानी
प्यार ही बुझाती है
प्यार की आग

कैसे कटेगी
सर्दियों में तन्हाई
राम दुहाई

वर्षों बाद भी
थी पुस्तक में पड़ी
पुष्प पंखुड़ी

****
नथनी लाई
मगर पछताई
नाक न छेद

कान छेदायी
कहती रह गयी
बाली न आई

तेरी पायल
रुनझुन करती
हुए घायल

पायल डाल
हो गई मतवाली
गोरी की चाल

माथे बिंदिया
नयनों में अंजन
मोह ली मन


लग जा गले
हमारा प्यार पले
अम्बर तले

ढलकी उम्र
आंसुओं में बह के
तन्हा रह के

है परेशान
जबसे उन्हें देखा
दिल नादान 


गालों पे टिल 
देख कर उनके 
अटका दिल 

पड़ी अकेली 
नैनों से बरसात 
सावन मास 


मुश्किल किया 
एक पल भी जीना 
इश्क कमीना 

********
हुआ दुस्वार 
जी पाना खुशहाल  
तुमसे दूर 

बड़ी मुश्किल 
हुआ पाना मंजिल 
तुमसे दूर 

जलते रहे 
कड़क ठण्ड में भी 
तुमसे दूर 

ख्वाब सजाये
मगर चले आये  
तुमसे दूर 


प्यार के बोल 

प्रेम की राह 

दिल की बात 

बेमौत मारा 
दीवाना बना कर 
इश्क तुम्हारा 

शब्द न बोल 
समझ जाते ढोर  
प्यार की भाषा 

****
हवा जो चली
खिली दिल की कली
तेरे प्यार की

सताया तूने
ख्वाब दिखाया तूने
तेरे प्यार का

पन्ना पलटा
तेरा ही नाम लिखा
इस बार भी

आहट हुई
देखा तो तेरे सिवा
नहीं था कोई

जब भी पढ़ा
दिल का फलसफा
तेरा ही नाम 


तुझसे बनी
जिंदगी की कहानी
सबने सुनी

तुमसे मिल
जाने क्या पाता दिल
जाता है खिल

जबसे मिला
तन्हा डरने लगा
तुम्हारा साथ

शूल पिरोई
पहनी विरह के
यामिनी रोई

भुलाना चाहें
जितना ही तुमको
याद सताएं

****
मिले जबसे
मिलता नहीं चैन
तुमसे नैन

पड़ी तो लगा
चाँद उतर आया
तुम्हारी छाया

झटके तुम
टूटे इस दिल के
टुकड़े गुम

तुम जबसे
मेरे दिल में बसे
दूर गम से

तुम थे यहीं
ढूंढे हम जहाँ में
दिल में कहीं

घर से चला
कैसे कहूं अपना
कोई न रोका

देख उनके
जैसे ही पीछे दौड़े
मुंह वे मोड़े

मेरे ही कूचा
आकर वे मटके
हाल न पूछा

तुम्हें पाकर
चाहते नहीं खोना
बाद में रोना

रहा न गया
पास गए दिल की
कहा न गया

***
महकती हूँ
दिलों में बसती हूँ
उल्फत हूँ मैं

दिल बेकाबू
पल भर का जादू
प्यार हो जाना

हो गए दूर
जबसे मशहूर
हुए हो तुम

सिखाया होगा
पतंगों को जलाना
समा को तूने

तू नहीं होती
भरी महफिल भी
तन्हा लगती

कहते रहे
रहते रहे दूर
थे मजबूर

तुझे चाहता
जानती हूँ उसे भी
यही कहता

जला लिया तो
बुझी उसकी आग  
मेरे दिल को

बहती नदी
सागर में गिरती
प्यार अश्कों में

****
डाल के देखो
दुनियां प्यारी बड़ी
प्यार का चश्मा

प्रेम की गली
करके तुम्हारा ही
भरोसा चली

जलता रहा
देख ना पाए तुम
दिल का धुंआ

दूषित हुआ
कितने दिल जले
पर्यावरण

लाये सौगात
कुछ कहे न बोले
रख के चले

रोज रोती मैं
याद करके तुम्हें
कैसे सोती मैं

नजर मिली
सुगबुगाने लगी
गली की हवा

कृष्ण गोपाल
गईयां भी करतीं
तुझसे प्यार

प्यार को कभी
पीस के रख देती
जीवन चक्की

बटन टांका
कमीज का तुमने
प्यार ही है न

****
चाय की प्याली
उठते ही आ जाती
प्यार ही है न

क्या है पसंद
खाने में पूछ जाती
प्यार ही है न

जल्दी आ जाना
चलते ही कहती
प्यार ही है न

दवाई खाया ?
बीमारी में पूछती
प्यार ही है न

तेरी बातों से
आंसू छलक आये
प्यार ही है न 

झगड़ कर
फिर मान भी गए
प्यार ही है न

ना रूठे होते
तुम न झूठे होते
तुमसे हम

हुए थे खफा
हुए तुम बेवफा
खुद से हम 

गुम थी सिट्टी
थमाया था उसको 
पहली चिट्ठी 

रखी अभी भी  
खुशबू बिखराती
पहली पाती 

** **

खूब निहारे
चाँद को छोड़ तारे
तेरी सूरत  

सर्दी बेदर्दी
सताने नहीं पाई
तू व रजाई

जैसे ही छुआ
हंस कर वो बोली
दीवाना हुआ !

तरु का छाँव
तुम बिन लगता
मरू का घाम

सीने में रहा
हमारे व तुम्हारे
एक ही दर्द

मुफ्त मिलते
रुसवाई के जख्म
प्रेम की गली

पत्थर दिल
मुहब्बत का फूल
पाया न खिल

प्यार का कली
तुमने सींचा नहीं
खिल न सकी

हुई न पार
प्यार के सागर से
ख्वाब की नाव

हुए बेकार
छुड़ाया घर बार
तुम्हारा प्यार

*****
सम्हाल रखे
अब भी पढ़ लेते
तुम्हारे पत्र


हंस उठते
तेरे दरश कर
मेरे नयन

पुष्प पंखुड़ी
किताब में जो पड़ी
तेरा ही दिया

जलाया दीया
मैंने प्यार का जब
चलीं आंधियां

प्रेम का दीया
जला तो हुआ उग्र
हवा का रुख

चिर संचित
धरे थे अनुराग
अब ना भाग

नारी सागर
गिरती है जाकर
प्रेम की नदी

घूमे बाजार
पैसे से या उधार
मिला न प्यार

दिल बेकाबू
देखकर हो जाता
हुस्न का जादू

कैसा भी योद्धा
झुका देता है सर
हुस्न का बल

****
गए बाजार
हुस्न के लग गया
इश्क का रोग

पड़ जाता है
जिसे लग जाता है
इश्क का रोग

वैद्य भी हारे
कर दवा बेचारे
इश्क का रोग

सो नहीं पाता
चांदनी में चकोर
इश्क का रोग

प्यासा भटका
सावन में पपीहा
इश्क का रोग

*****

क्या क्या न किया
तुम्हें पाने के लिए
दिल बेकाबू

हंसी को देख
समझना न, नहीं
आँखों में आंसू

***

काटी थी रातें
हमने तारे गिन
तुम्हारे बिन

साल सी रात
लगे सदी सा दिन
तुम्हारे बिन

आंखें बुझी सी
मन रहता खिन्न
तुम्हारे बिन

मन का चैन
तन्हाई ने ली छीन
तुम्हारे बिन

डसतीं रातें
बन कर सांपिन
तुम्हारे बिन 



हुई आहट
द्वार पे खटखट
खोली तो हवा

बो दी है तारे
अँधेरी रात ला के
इश्क जगाने

जब भी आती
आते हो बड़ा याद
ये बरसात

किस्मत फूटी
जब निदिया टूटी
वे जा चुके थे

कहा था कभी
मुहब्बत तुमसे
कह दो झूठ

***
आकर मेघ
टप टप बरसा
मन तरसा

तेरे प्यार का
अथाह समुन्दर
डूबे अंदर

घेरे बादल
प्रेम में नाच उठे
प्रेमी पागल

मेरी सादगी
शायद बदल दे
तेरी जिंदगी

फड़फड़ाये
मेरे प्राणों के पंख
तुझे पाने को

तेरी नजर
रही बटुए पर
मैं बेखबर

तू है हसीन
करती मुझे प्यार
पर यकीन

तुम दिल के करीब थे : मेरे नसीब थे

प्यार में धोखा
जानता हर कोई
फिर भी खाता

हिचकी आई
उसके सिवा और
कोई न होगा

चाहे थे हम
चाहे जाये मौसम
तू नहीं जाये

****

अनेकों मोड़
पार किये तो आये
तुम्हारे तक

खोल के रखा
आसानी से आ सको
स्वप्न के द्वार

चाँद और वो
देखते छत पर
एक दूजे को

मुझसे नहीं
किसी और से सही
निभाया तो तू

सोते से जागा
तूने खटखटाया
दिल का द्वार

जागी ननदी
चूड़ियों ने कर दी
जा के चुगली

जकड़े हम
तुम्हारी उल्फत में
निकला दम

आ ही गए तो
चाँद निकलने दो
चाहे ना रुको

टूटे ना कहीं
दिल खिलौना चाहे
पत्थर नहीं 


हम जो फिरे
कई चेहरे फिरे
बेरोजगार

वैद की दवा
प्रेम का वो रोगी था
हो गयी हवा

रखा तुमने
मेरे कंधे पे सिर
लगा मेरे हो

रखने दिए
तुम कंधे पे सिर
सुकून मिला

झूठ है ब्रेक
विश्वास से  चलती
प्रेम की गाड़ी

भड़का कर
आंच से डर रहे ?
प्रेम की आग

बुझने न दो
जलने से पहले
प्रेम की आग

लगाए हो तो
निखरोगे भी कभी
प्रेम की आग

आंच न आती
धीरे धीरे जलाती
प्रेम की आग

जलती रही
छाया रहा अँधेरा
प्रेम की आग

चौंधिया देती


सेंक भी ले लो
जलाया जो तुमने
दिल किसी का

नहीं देखता
प्रेम का एक छोर
प्रेम का अँधा

अपना प्रेम
दिल से देख लेता
प्रेम का अँधा

देखता बस
चिड़िया की ही आंख
प्रेम का अँधा

देख न पाता
कैसे प्यार जताता
प्रेम का अँधा

पा जाता ज्योति
पा के अपना प्यार
प्रेम का अँधा

विरागी आंखें
ठोप ठोप बरसीं
बाढ़ आ गयी

आँखों में प्यार
मैंने ढूंढ ही लिया
लाखों में यार

सामने आये
हमारी राहें रुकीं
निगाहें झुकीं

उनसे मिल
लापता हुआ दिल
मैं दिलदार

ठंडी बयार
हिला कर जगाती
सोई वो याद

मुश्किल राहें
चलेंगे साथ मिल
थाम लो बाहें

तुम आ गए
राहों में जल गए
प्यार के दिये

तुम जो संग
लगे हर मौसम
मुझे बसंत

सुबह आती
बीतने के पश्चात्
अँधेरी रात

प्रेम की नदी
डूबा जो भी अंदर
उतरा वही

यादों के तीर
वर्षों पहले छूटे
अभी भी पीर

शब्द ही बचे
पुरानी डायरी में
समय गया

अपना कह
अपना नहीं सका
क्या थी बेबसी ?

जाओगे तुम
मैं देखूंगी तुम्हारी
यादों में तुम्हें

चाहने वाले
होते हजारों तारे
एक ही चाँद 

लाखों चमके
चमकीला सबसे
तारा हो तुम

कहे तू प्यासी
लाएंगे उठाकर  
हम सागर

सुने ना कोई
मेरे दिल की बात
पास आ जाओ

बड़ी खास है
तू क्या देगा सौगात
आज की रात

तेरी आवाज
लजाती सुन कर
कोयल आज

बड़ा सुन्दर
तेरा साथ पाकर
हो जाता जहाँ

तुम जो साथ
एक एक ग्यारह
हम हो जाते

जगाया तूने
इश्क की चिनगारी
सुलगा दिल

दिल बीमार
परीलोक से आई
तुम्हीं दवाई

बनाया अँधा
तेरा इश्क न छोड़ा
कहीं का बंदा

किनारे बैठ
आंसुओं से वो झील
भरती रही


दिल की बात
कोई और न सुने
थोड़ा पास आ

किनारे बैठ
आंसुओं से वो झील
भरती रही

रूठ गए तो
जान लिए उनसे
गहरे रिश्ते

हुए न पार
तेरी आँखों में हम
डूबे सनम