Friday, 30 September 2016

Veer tum badhe chale




सैनिक हिंदुस्तान के, वीर तुम महान हो।
तुम निडर जवान हो, देश की तुम शान हो। 

देश पे कुर्बान तुम, आन हो तुम देश की।
देश की ही रक्षा में, लगा दिए हो जिंदगी।
तुम हो तो राष्ट्र है, तुमसे ही हैं हम खड़े।
कैसी भी हों ताकतें, तुम रहे अडिग, अड़े।
पहाड़ तोड़ बढे चले, आंधी हो, तूफान हो।  सैनिक  ...


संग हो न साथ हो, कोई भी विषाद हो।
देश भक्ति का बड़ा, तुम लिए उन्माद हो।
घाटी हो, पहाड़ हो, तुम निडर बढ़े चले।
करते तुम बहादुरी से, दूर सब मुश्किलें।
कारण वीरता के, विश्व में पहचान हो। सैनिक  ... 

हाथ में सजा रहे, राष्ट्र की ध्वजा रहे।
तुम्हारे हौसलों से सब, शत्रु वीर लजा रहे।
तिरंगा झुके नहीं! तुम कभी रुके नहीं।
दिन हो या रात हो, कर्मों से चुके नहीं।
आती कोई आपदा, उसका भी निदान हो। सैनिक  ...

राष्ट्र विरोधी ताकतें, बन न सकीं रूकावटें।
मातृ भूमि हेतु बढे, पीछे न कदम हटे।
देश हित जहाँ कहीं, तुम बढे चले वहीँ।
षड्यंत्रों को मात दे, तुम कहीं रुके नहीं।
राष्ट्र के नागरिकों का, तुम अभिमान हो।  सैनिक  ...  


     ***


वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !
देश के जवान तुम, शान हो तुम देश की
देश की ही आन में, लगा दिए हो जिंदगी
तुम हो तो राष्ट्र है, तुमसे ही हैं हम खड़े
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !

संग हो न साथ हो, कोई भी विषाद हो
देश भक्ति का बड़ा, लिए तुम उन्माद हो
घाटी हो, पहाड़ हो, तुम निडर चढ़े चले !
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !

राष्ट्र की ध्वजा रहे, हाथ में सजा रहे
तुम्हारे हौसलों से सब, शत्रु वीर लजा रहे
तिरंगा झुके नहीं, तुम कभी रुके नहीं !
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !

राष्ट्र विरोधी ताकतें, बनें ना रूकावटें
मातृ भूमि हेतु बढे, पीछे न कदम हटें
देश हित जहाँ कहीं, तुम बढे चले वहीँ !
वीर तुम बढे चले, रणवीर तुम बढे चले !

 - एस० डी० तिवारी


हे राष्ट्र के प्रहरी, हे वीर जवान,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।
कर दिए प्राण तुम राष्ट्र के नाम
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।

तुम्हारा शौर्य, अरि में भय है
तुम्हारी जय, राष्ट्र की जय है।  
तुम्हारी वीरता से ही अमन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।

देश की रक्षा में तुम जीते,
देश के लिये हो मर मिटते। 
राष्ट्र हेतु तुम्हारा तन मन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है। 

आंधी और तूफान से लड़कर,
कंकड़ और काँटों में चलकर,
किया सुरक्षित धरा गगन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।

करता चाहे वॉर वो छुप के, 
करते खट्टे दांत तुम रिपु के। 
तुम तो निश्चित शत्रु दमन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।

टूट पड़ते पंचानन की भांति,
राष्ट्र पर जब आपदा आती। 
तुमसे विपदाओं का गमन है,
तुम्हें हमारा कोटि नमन है।

तुम हो तो है भारत का गौरव,
तुमसे फैला राष्ट्र का सौरभ।
गौरवान्वित सारा जन गण है, 
तुम्हें हमारा कोटि नमन है। 




 - एस० डी० तिवारी

Thursday, 29 September 2016

Haiku oct 16 patthar / gulab


दे के जबाब
पाक को किये चित्त
हमारे वीर

पायेगा पाक
मुहतोड़ जबाब
किया जो घात

किये कमाल
आतंकियों को मार
हमारे वीर

खायेगा जिन्न
पाक को एक दिन
उसी का पाला

देंगे जबाब
तेरी करतूतों का
सोच ले पाक

रखते दम
सबक सिखाने की
पाक को हम

लिए ऐटम
जुबान पे घूमता
फोड़ेंगे हम

शांति की बात
समझता ना पाक
लात का भूत

सोच ना पाक
हमारी कमजोरी
शांति की चाह

जगाया तूने
सोते शेर को पाक
नतीजा आंक

नहीं बचेगा 
तेरा नामो निशान 
पाक ले जान 

नहीं बर्दाश्त 
कर देंगे परास्त  
शत्रु के घात

 रंग ले आया
सेना का पराक्रम
पाक को मात

अब ना बात
पछाड़ कर देंगे
पाक को मात 

भाई की जान
अटकी पाकिस्तान
पेट मुम्बई

जलाये गाँधी
नेताओं ने बुझा दी
त्याग की बाती

चलाये आंधी
देश प्रेम की गाँधी
हवा हो रही

कल तक थे
जो कन्हैया के पीछे
हुये नमो के

लड़ना सीखो
मुल्क की खामियों से
पाक के बच्चों 


खुद पे होता
नहीं पक्का भरोसा  
सेना पे शक

मांग ना लेना
बाप को फर्जी बता
माँ से सबूत

अब ना बात
पछाड़ कर देंगे  
पाक को मात 

नहीं चलेगा 
बात के साथ पाक !
भीतरघात 

घूमते आज   
सहस्रों ही रावण 
कहाँ हैं राम 

******************

पड़ जाये तो
कठिन है छूटना
नशे की लत

ले जाती गर्त
जीते जी मनुष्य को
नशे की लत

घर पे लाया
बोतल में कलह
पीने की लत

उनको गर्त
दिखता है जन्नत
नशे की लत

हो गया खाली
गुड़िया का गुल्लक
नशे की लत


मैके से लाई
बिक गयी पाजेब
नशे की लत

लड़खड़ाते
घर देर से आते
पीने की लत

गिरे पड़े थे
एक दिन नाली में
नशे की लत

पत्नी से होती
रोजाना तकरार
पीने की लत

मुंह की बास
छुपाते पान चबा
पीने की लत  

**************

भ्रष्ट आचार
बना लिए आधार
देश के शत्रु

औरों का हक़
छीनने की ललक
देश के शत्रु

देश का धन
लूट के भरे घर
देश के शत्रु

होते हैं खड़े
संविधान से परे
देश के शत्रु

नकली माल
बेच के मालामाल
देश के शत्रु

बेच खा जाते
सरकारी संपत्ति
देश के शत्रु

पैसे के लिए
मिल जाते शत्रु से
देश के शत्रु

बिना झिझक
दवा में मिलावट
देश के शत्रु

****************

रंग बिरंग
मन भावन गंध
पुष्प गुलाब

काँटों में रह
मुस्कराता है वह
पुष्प गुलाब

सबका प्यारा
लुटा कर खुशबु
पुष्प गुलाब

वायु स्वछन्द
कर देती सुगंध
पुष्प गुलाब

रंगों पे भारी
रखे सुगंध प्यारी
पुष्प गुलाब

इत्र की शीशी
रस पी इतराती
पुष्प गुलाब

जाता है खिल
सूंघ कर के दिल
पुष्प गुलाब

सुगंध बांटे
फांद कर के कांटे
पुष्प गुलाब

देख के मन
तोड़ने को बेचैन
पुष्प गुलाब

काला या श्वेत
सुगंध में ना फेर
पुष्प गुलाब

खिला गुलाब
हुआ माली बेताब
तोड़ लेने को

*************

मैंने बनाया
कहता मेरा घर
बोला पत्थर

बना पत्थर !
तू दिल रख कर
बोला पत्थर

चलाता छैनी
निर्मोही दिल पर
बोला पत्थर

मुझे टक्कर
रोयेगा मारकर
बोला पत्थर

मूर्ति मुझमें
काढ़ ले गढ़कर
बोला पत्थर

वैसे का वैसा
सदियों रहकर
बोला पत्थर

खाया ठोकर
चला अँधा होकर ?
बोला पत्थर

मुझे भी लगी
तू मारा कसकर
बोला पत्थर

रखे तू सोना
नगीना मैं मगर
बोला पत्थर 

ताज महल
मुझसे ही सुन्दर
बोला पत्थर

तराश ले तू
मूरत है अंदर
बोला पत्थर

**************

सोते बैठते
माँ रटती रहती
कब आएगा

सैनिक पुत्र
रोया विदाई कर
माँ का कलेजा

खबर आई
फटा माँ का कलेजा
बेटा शहीद

करता प्रश्न
उसे वहां क्यों भेजा
माँ का कलेजा

गर्व से हुआ
बाप का सर ऊँचा
बेटा शहीद

उससे पूर्व
सोचती क्यों न फटा
माँ का कलेजा

जब बनाती
माँ बेटे की पसंद
आंसू बहाती

आता त्यौहार
रोता बेटा पुकार
माँ का कलेजा


दिखता शून्य
छोड़ गया अँधेरा
शहीद पति

*******************
कोयल बोली
उठो सुबह हो ली
बहुत सो ली

हाथ ले जूता
मेरा नन्हां सा पोता -
घूमने चलो

होते ही रात
चाँद ने देखा चाँद
करवा चौथ

चाँद व चंदा
निहारे परस्पर
करवा चौथ

निकल चाँद
देर कर दी बड़ी
भूखा है चाँद

हाथ ले जूता
मेरा नन्हां सा पोता -
घूमने चलो 

आम आदमी
आमदनी अठन्नी
खर्चा रुपय्या

रोगी बेहाल
रखते अस्पताल
जेब पे आंख  

कोयल बोली
उठो सुबह हो ली
बहुत सो ली

आया फैसला
कब्र में जाने पर
सजा-ए-मौत

कानून छोटा
कुछ भी करें नेता
कुछ ना होता 

औरों का हक़
छीनने की ललक
रखते सब

ढका बारूद
कैसे रख सकोगे ?
लंबे समय

उत्तो प्रदेश
दिया किसके हाथ
रहे पछता

आया तूफान
तट पे क्या छोड़ा / छोड़ेगा क्या तट पे
उत्तो प्रदेश / देक्खे की बात

खाकर लात
क्या करता है भाई
देक्खे की बात


तीन तलाक  
शादियां चार चार 
कैसा इंसाफ  

दोनों को मिले 
बराबरी का हक़  
मर्द औरत   

एस० डी० तिवारी 


********************
शहीद

आया सन्देश
बेटा तारों के देश
इस दिवाली

छाया अँधेरा
बुझा घर का दीप
इस दिवाली

जलाया दीया
रख बेटे का चित्र
इस दिवाली

जला न चूल्हा
माँ की आँखों में नीर
इस दिवाली

कर न पायी
दीदी भाई के दीद
इस दिवाली

सीमा पे गया
बेटा हुआ शहीद
इस दिवाली



गिरने से डरूँ
नहीं चढ़ाना प्रभु
इतना भी ऊँचा 

Tuesday, 27 September 2016

Kali si ladaki

काली सी लड़की

घर में छाई पड़ी, पहले से ही कंगाली थी ।
ऊपर से लड़की आई, वो भी काली थी ।
पैदा होते ही कानाफूसी होने लग पड़ी।
काली आ गयी पहले ही समस्याएं बड़ी।
कौन करेगा व्याह, कैसे होगा बेडा पार।
काली कलूटी; कौन बनेगा गले का हार।
पड़ोस की ताई कहने से नहीं चुकती,
ईश्वर अगर लड़की दे तो, दे रूपवती।
काली है, और उस पर रूप की थकान है। 
अपनों के चेहरे पर मुरझाई मुस्कान है। 
घर में कोई ख़ुशी नहीं, सभी उदास हैं। 
फेंक तो सकते नहीं इसीलिए पास है। 
अबोध है, पता नहीं गोरी-काली का भेद।  
बच्चों के साथ बच्चा है, मन में न छेद। 
बड़ी हुई, सनकी जमाना चुप कैसे रहता। 
कोई कलूटी, कोई काली मायी कहता। 
समझ के साथ मुश्किलें बढती रहीं। 
कालापन का अभिशाप सर चढ़ती रही।  
चुभती रही दुनिया पग पग पर शूल सी।  
वह तो चाहती थी महकना फूल सी।   
दबंगई की छाँव तले ही जीना पड़ा। 
मिलते रहे घाव मगर होंठ सीना पड़ा। 
जो भी नजर पड़ती उसे नीचे ही गाड़ती।  
कोई अपराध किया हो ऐसे निहारती।   
लोगों की बातें से जो गहरी चोट मिलती। 
भीतर घुस छैनी सी आत्मा को छीलती। 
सोचती, यौवन में कौन उसका नाम लेगा। 
जिंदगी थम जाएगी या कोई थाम लेगा। 
राम, कृष्ण भी मानव रूप में सांवले थे। 
मगर सीता और राधा के रंग धवले थे। 
बार बार सोचती इसमे उसका क्या दोष। 
क्यों झेलना पड़ रहा जीवन में अवरोध। 
ज़माने का बोझ उसके जीवन पर था। 
अपनों का ही दिया कष्ट मन पर था। 
यह कोई अवगुण नहीं, मगर ढकेगी। 
तन के रंग का आवरण गुणों में ढूंढेगी।  
अनेकों यत्न कर, बदन को सँवारी। 
लाभ न मिला तो अपने भीतर निहारी। 
सुन्दर कंठ था उसका, वह गाने लगी। 
सुरीले गान से कोयल भी लजाने लगी। 
बुद्धि, विवेक में औरों से कहीं आगे थी। 
जीवन के सपनों को लिए वह जागे थी। 
व्यंजन बनाना बाएं हाथ का खेल था। 
उसके हाथ के स्वाद का कोई ना मेल था। 
यही सब सोचते, करते वह बड़ी हुई। 
अब तक तो अनेकों गुणों से जड़ी हुई। 
वह पूर्ण रूप से तराशा हुआ नगीना है। 
उमंग व गौरव से भरा उसका जीना है। 
अब तो वही लोग कहते हैं रूप रंग क्या !
गुणों में ही होती है; वास्तविक सुंदरता। 


एस० डी० तिवारी  

Saturday, 10 September 2016

Barish ka paani


अपने ही मन का, रिमझिम वो बरसा
मन लुभाया बड़ा, वो बारिश का पानी।
मुझे तर कर गया, वो भिगो कर गया,
पर रोके ना रुका, वो बारिश का पानी।
शोर करता हुआ, जोर भरता हुआ
दरिया को चला,वो बारिश का पानी।
हम यूँ देखते रहे, मन मसोसते रहे 
मगर बहता गया, वो बारिश का पानी।
रोक पाते तो हम, मजे उठाते यूँ हम  
बुझा देता प्यास, वो बारिश का पानी।
जैसे बरस जाता, है उम्मीदें जगाता 
बरसता है प्यार, वो बारिश का पानी।
रख लेना बड़ा, करके दिल का घड़ा
काम देगा पड़ा, वो बारिश का पानी।

- एस० डी० तिवारी

Friday, 2 September 2016

Haiku Sept 16 ganv

कोई न जाना
पढ़ के हस्तरेखा
लिखा क्या लेखा

देख के हाथ
हाथ में बोला दूल्हा
ये मेरे लिए

हाथों की देख
बताया तकदीर
शास्त्री लकीर

प्यार जताते
मालिक से अपने
पूंछ हिला के

सीधी न होती
कितनी भी कर लो
कुत्ते की दुम

रहते मिल
कितना अच्छा होता
बिल्ली व कुत्ता

खाई कसम
है हमने सनम
रहेंगे संग

कौन कहता
कुत्ते बिल्ली की लाग
हमें है प्यार

प्यार करेंगे
प्यार करने वाले 
जमाना जले

बाँहों में सोये
मनमीत जो होये
सुख की नींद

रहना जब
हिल मिल के रहेंगे
एक ही घर


दृढ बेशक 
बो देने पर शक
रिश्ता समाप्त

मंगलकारी
हरना गणपति
संकट भारी

करे जो सेवा
सफल मनोरथ
गणेश देवा

विघ्नों के हर्ता
सभी कार्यों में सदा
करो निर्विघ्न

एस० डी० तिवारी

मेरा अंगना
गौरैया न करना
कभी भी सूना

मेरा अंगना
तुम्हारे बिन सूना
गौरैया रानी !

गौरैया रानी
ना करना नादानी
दूर जाकर


सास को आई
बहू ने डांट खाई
गैस की गंध

डाइनोसॉर
चित्रों में उपलब्ध 
मानस पशु

********

किया था कैद 
महकती जुल्फों ने
छूट न सके

पाया आराम
दिल को मिला जब 
जुल्फों की छाँव

जगा ही देती
जुल्फों की सुंदरता
दिल में प्यार 

छीनी आजादी 
कर लिया किसी की
जुल्फों ने कैद

वह लगाया 
मेरा दिल चुराया
जूड़े में फूल

काफी समय
संवारने में जाता
बालों से प्यार

बड़े सुन्दर
बोला तो फंस गयी
उसके बाल

बदलते ही
बदल गया मैं भी
बालों की शैली 

बताता भेद
आदमी या औरत 
बालों का कद

रख लूँ बांधे
चोटी में हरदम
रखती दम

बालों का मोल
कितना अनमोल
गंजे से पूछो

रही संवार
बचे गंजी के सिर 
थोड़े से बाल

जी का जंजाल
निहारे हर कोई 
सुन्दर बाल

गिरा दूल्हे का
हंसी में डूबा हाल
नकली बाल


है पहचान
दाढ़ी मूंछ का आना
हुए जवान

नहीं गलती
हुस्न के आगे दाल
सफेद बाल

रखे तमाम
दाढ़ी मूंछ पलक
बालों के नाम

ले के सहारा
उलझा लिया दिल
बालों का हुस्न  


कुछ की होती
निकालना आदत
बाल की खाल

गया बालक
हज्जाम की दुकान
रफू मुस्कान

बढ़ती उम्र
चुगली कर देते 
सफेद बाल

बिखरे केश
झांक रहा है चाँद
घेरे हों मेघ

चढ़ा सोपान
है हुस्न बेईमान
बालों के बल


करवा देता
सर्दी में गड़ेरिया 
भेड़ों को गंजा

कोमल बाल
जी चाहे खरहे से
सटा लें गाल

पागलखाना
नरक का टुकड़ा 
धरती पर



छक्कों की झड़ी
बहा रहीं पसीना

चीयर गर्ल्स

किसी का दिल
जाने न कहाँ टूटा 
पानी बरसा

बाप कहता
निकली मूंछ दाढ़ी 
अक्ल न आई

बेटा बाप से
डैडी बदलो अब
बदला वक्त

राहुल लाये
अयोध्या से आशीष
विजयी भव

पैसे के पीछे
मरोगे क्या कब्र में ?
मित्र न रिश्ते  

प्यार में मग्न
लगा के ऊँची पेंग 
झूलता प्यार

छूकर गयी  
मेरे पांवों को अभी
यह लहर

- एस० डी० तिवारी



करके नंगा
आदमी को शराब
बुद्धि पे पर्दा

नशे में झूमे
समझ नहीं पाये
किसको चूमे

नशा में पैसा
सुध बुध भी खोये
खुद पे रोये

अंततोगत्वा
होकर ही रहता 
नशा से नाश

हुए है फिदा 
ऋषि मुनि भी देख
रूप व अदा

बन चंडिका
बुराईयों का नाश
स्त्री की भूमिका


सब्जियों पर

निकली छींक 
बैठे सब लोगों की 
सब्जी की छौंक


मक्खन डाल
तड़के वाली दाल
मुंह में पानी

हुआ बेहाल
छींक सबका हाल
मिर्च की छौंक

घर में बनी
धनिया की चटनी
जीभ अधीर

करता मन
सब्जियों में पसंद
आलू बैगन

खाने में और
बढ़ जाता जायका
होवे रायता

प्यार से बनी
माँ के हाथ की सब्जी
निराला स्वाद

खाने में होता
ताजे सब्जी व फल
स्वास्थ्य का हल

जमी मिलती
कौन जाने कबकी
मॉल में सब्जी

घर की भिन्डी
मिल रहा अपने
स्वेद का स्वाद

भाता भरवा
बन के अलबेला
मुझे करेला

स्वादिष्ट बना
गाजर का हलवा
थोड़ा सा और

साथ पा जाती
पालक इतराती
सोया का जब

मटर पाता   
बंद गोभी का साथ
बढ़ाता स्वाद


रफू चक्कर
थाली से टमाटर
दिखा के भाव

किसी का हाथ
झट लेता है थाम
आलू आवारा


प्याज हसीना
बन के कटरीना
सभी फिल्मों में 

स्वाद का चित्र
बन गोभी का मित्र
उकेरे आलू

पनीर संग
दिखाने लग जाती
पालक रंग

खप ही जाती 
जिसके घर जाती   
प्याज बेचारी

प्याज दुलारी
जिसके घर गयी
उसे सँवारी

दिल समाया
पालक की पकौड़ी
माँ ने खिलाया


माँ के हाथ की 
मुंह से न छूटती
बनी जो सब्जी


किसी भी ठौर   
माँ के हाथों का स्वाद
बात ही और


जाता है खिल
पाकर चाउमिन
बच्चों का दिल

बच्चों का देख  
सिकुड़ जाती नाक
हरी सब्जियां

मूली गाजर
कच्चा या पकाकर 
खाना जरूर

बनाई चना
किताब से पढ़के
खाये न बना


दिखाती भाव
जैसे ही जाती मंडी
खेत से भिन्डी

लौकी का कोफ्ता
खा के पूरी कटोरी
फिर रोपता

मिठाई पेठा
हो गोल न चौकोर
रहता ऐंठा

बनी ढंग की
मुंह से ना छूटती
गोभी की सब्जी

सबका प्रिय
बच्चे बूढ़े जवान
आलू महान

अकेली सब्जी
अनेकों पकवान
आलू महान

आलू पराठा
डिब्बा भर के चला
सैर सपाटा

करे कोई भी 
कटे आलू बेचारा
भोज भंडारा

मुस्कराहट
कहती कुछ कम
छुपाती ज्यादा

तोड़ने वाले
दिल पत्थर चाहे
तोड़ ही देते

पैसा बनाता
पैसे के लिए घर 
टूट भी जाता

**************
गांव 

खेत में खड़े
खोंस रहे पछोटा
हाथ में लोटा

नीम की छाँव
दादा की खाट तले
कुत्ते का ठाँव

तेज गति से 
शौचालय निर्माण
नयी पतोहू

मुर्गे की बांग
पहलवान जी का
ट्रेक्टर स्टार्ट

चढ़ा सूरज 
फरसा लिये चाचा
नरेगा केंद्र


झांकता भोर
दादा की खटनही
मंदिर ओर

धूप सेकता
डलिया में ले भूजा
जाड़े में बच्चा 

गाय रंभाती
दूध अब तैयार
होते ही भोर

हुआ विहान
गाने लगीं चिड़ियाँ
मंगल गान

उतरीं नीचे
सूरज की किरणें   
चहके पंछी

देख आसमाँ
मुस्कराता चन्द्रमा
सूर्य से रिक्त
 हो गयी शाम
सूरज छुप गया
दूर के गांव

देखे किसान  
मुस्कराती फसल
खुशी असल  

फसल कटी
खलिहानों में रखी
सोने की ढेरी

जाड़े की रात
करवाता किसान
गेहूं को स्नान

चला किसान
खत्म चिंता का रेला
बैसाखी मेला

बनी एकोर
पगडण्डी की छोर
चींटी की लेन


थोड़ा ठहर
खाऊंगा डाल कर
गाय को चारा

रहा इतरा
चुटिया में अटका
भूसा तिनका

स्कूल जा रही
गांव के पगडण्डी
बच्चों की पंक्ति

तारे व चाँद
खुल के कर लेते
गांव में बात


बोरे का चना
अबकी बरसात
धरे ही जमा

पोत गोबर
त्यौहार की तैयारी
आंगन घर

होत सवेर
पकवानों का ढेर
गांव का पर्व

झाड़ झंखार
तितलियों के पीछे
बाल गोपाल

घास चरती
खुजला रहा कौवा
भैंस की पीठ

हो के सवार
कौवा ढूंढे आहार 
भैंस की पीठ

घर के पास
बांस का झुरमुट
झांकता चाँद

गांव का ताल
भैंस, बच्चों का साझा
तरण ताल


पीटते तास
गांव में खलिहर
समय पास

तोड़ के चाचा
बना लिए दातून
नीम की शाखा

द्वार पे पेड़
पतझड़ में रोज
पत्तों का ढेर

द्वार पे पक्षी
बैठते डेरा डाल
पेड़ की डाल

हुक्का ओझल
चौपाल पे चुपके
खुली बोतल


छाँव जो देता
होता वृक्ष सा कद
औरों से ऊँचा 

बैठे अंगना
तोड़ रहे सजना
गरम रोटी

बहुएं पायीं
एक एक कमरा
सास दलान

है उपजाता
सारा संसार खाता
कृषक अन्न

पशु इंसान
रहते एक साथ
गांव महान


चाहे अभाव
मानवता का भाव
रखता गांव 

होते चुनाव
दबंगई की छाँव
बदला गांव 

पसार लिया
प्रदूषण ने पांव
बदला गांव

खींचते अब
एक दूजे की टांग
बदला गांव

दीनदयाल
चाय पीते चट्टी पे
बदला गांव

घड़े मटके
हो गए प्लास्टिक के 
बदला गांव

बैलों की जोड़ी
नहीं रही जरूरी 
बदला गांव

करता स्त्री
त्याग के धोबी घाट 
बदला गांव

बेरोजगार
हो गया कुम्हकार
बदला गांव

ढूंढे न मिले
कुंवा व पनघट  
बदला गांव

दूल्हा मांगता
मोटर साइकिल
बदला गांव

गांव की गोरी 
अब जीन्स में हो ली
बदला गांव

होली कजरी
सब डिस्को ने ले ली
बदला गांव

घर में टंगी
सोलर लालटेन
बदला गांव

अब न जाना
शौच हेतु बाहर
बदला गांव

दीया न बाती
गली जगमगाती
बदला गांव

दाल  व सब्जी
खरीद कर आती
बदला गांव

खाया क्रिकेट
गुल्ली डंडा का खेल
बदला गांव

गाड़ी मोटर
दौड़ती सरपट
बदला गांव

खेलते बच्चे
अब विडियो गेम
बदला गांव

कोई न राजी
पैदल चल कर
बदला गांव

सैलून वाला
हुआ गांव का नाई
बदला गांव

ट्रेक्टर पर
मोबाइल से बात
बदला गांव

सुनते हॉर्न
स्वप्न पक्षी का गान
बदला गांव

बात बात पे
निकलता तमंचा
बदला गांव

दोना पत्तल
हो गए थेर्मोकोल
बदला गांव

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रोये बहुत
गए पहली बार
गांव से दूर

धुआं पीने को
हो गए मजबूर
गांव से दूर

गांव अपना
याद आता है बड़ा
गांव से दूर

गौरैया रानी
चली गयी क्यों रूठ
गांव से दूर

रूठ सी गयी
गये तो आबो हवा
गांव से दूर

रोटी की भूख
लेकर के आ गयी
गांव से दूर

 ढूंढें न मिला
प्रेम व भाईचारा
गांव से दूर

शाम को रोज
सूरज पृथ्वी पर
गांव से दूर


गांव के पेड़
कहाँ पीले कनेर
गांव से दूर

गाड़ी का हॉर्न
कहाँ पक्षी का गान
गांव से दूर

छोड़ के आये
दौलत वास्ते दिल
गांव से दूर

सीमा पे डंटा
गांव का वीर योद्धा
गांव से दूर

ताजी व सोंधी
कहाँ चूल्हे की रोटी
गांव से दूर

फूली सरसों
देखे हुए बरसों
गांव से दूर

भेज दी राखी
भाई गया कमाने
गांव से दूर

खुद का बाग
आम हुआ हराम
गांव से दूर

गन्ने का रस
मिले न लोटा भर
गांव से दूर

बांधे गठरी
बन चले शहरी
गांव से दूर

मन न भाई
खाई सेर मिठाई
गांव से दूर

ऋतु बसंत
हैं कहां मकरंद
गांव से दूर


खींच के लाई
शहर की चमक
गांव से दूर

बैठते घंटों
कहाँ अब पुलिया
गांव से दूर

हुआ सपना
तोड़ मटर खाना
गांव से दूर

तोड़ के गन्ना
असंभव चूसना
गांव से दूर

बुलाते आम
छोड़ के गये कहाँ
गांव से दूर


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स्वर्ग जो गये
तिरंगे में लिपट
अमर हैं वे

जीवन धन्य
जो मरे और जिये
देश के लिए

जो मर गया 
समझो तर गया 
देश के हित

दिया जो प्राण
मातृ भूमि के लिए
वही महान

सबसे अच्छा
यदि धर्म है कोई 
देश की रक्षा

छत पे धुआं
और खेत में हुआं
होते ही शाम



बेटी जवान
कंगना के अंगना
गड़े नौ बांस

बड़े जतन
बेटी को पाला पोषा
बनी दुल्हन

गांव तैयार
जोह रहा बारात
खेत में तम्बू

छुप के बैठा
अली के घर भोला
होली के दिन

गांव का अन्न
चला जाता शहर
भूख मिटाने
गांव जाता शहर
रोजी रोटी कमाने 


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रंगीन बत्ती
लगा बिकती सब्जी
वक्त की बात

लुच्चे लफंगे
तले पार्टी के झंडे
वक्त की बात

चलाता जीप
भोला अस्सी की स्पीड
वक्त की बात

तीन दो पांच
गणक से गणना
वक्त की बात

चौधरी चाचा
पिछली सीट पर
वक्त की बात

रोती है रोटी
खा गया चाउमिन
वक्त की बात

दुहते गाय
अब सुई लगाय
वक्त की बात

तोड़ दी दम
चिट्ठी पत्री ने अब
वक्त की बात